आर-पार की लड़ाई के मूड में पंचायत सचिव, 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के फरमान के बाद भड़के संघ के कर्मचारी
ग्राम पंचायत सचिव संघ का लगातार हड़ताल जारी है, वहीं 24 घंटे में काम पर वापस लौटने के शासन के आदेश के बाद सचिव संघ के कर्मचारी और भड़क गए हैं। अल्टीमेटम के बावजूद पंचायत सचिव काम पर लौटने को तैयार नहीं है। आलम ये है कि काम पर लौटने के आदेश की प्रतिया जलाकर पंचायत सचिव अपना विरोध जता रहे हैं। उनका कहना है की ग्राम पंचायत में शासन की सभी योजनाओं के क्रियावयन के लिए सतत रूप से बखूबी से सचिव संघ अपनी जिम्मेदारी निभाते आ रही है। गौरतलब है की पंचायत सचिव संघ द्वारा एक सुत्रीय मांग को लेकर सोमवार को 18 वें दिन भी काम बंद कलम बंद कर हड़ताल जारी रखा।ग्राम पंचायत सचिव संघ के द्वारा उनकी मांग पूरी नहीं होने तक अनिश्चितकालीन हड़ताल करने का एलान कर दिया है,जिससे अब लोगों को भी पंचायत स्तर के कार्यों के लिए उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हड़ताल कर रहे सचिव संघ का कहना है की पंचायत सचिवों का एक सूत्रीय मांग परीविक्षा अवधि पश्चात् शासकीयकरण की घोषणा नहीं करने के कारण 16 मार्च से काम बन्द कलम बन्द कर हड़ताल कर रहे हैं। सोमवार को कई जगों पर पंचायत सचिवों ने संयुक्त सचिव द्वारा हड़ताल पर बैठे पंचायत सचिवों को 24 घंटे के अंदर काम में लौटने के आदेश की प्रतियां जलाई और जमकर विरोध किया। छत्तीसगढ़ की लगभग 11 हजार पंचायतों के पंचायत सचिव शासकीयकरण की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। दरअसल कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में 10 दिन में इन्हें नियमित करने का वादा किया गया था। नियमितिकरण का वादा पूरा नहीं होने पर पंचायत सचिव आंदोलन पर उतारू हैं।
इससे पहले प्रदेश सरकार द्वारा बजट पेश करने के बाद ग्राम पंचायत सचिव संघ ने उनकी मांग पर विचार नहीं किए जाने पर प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना में गोबर खरीदी कार्य बंद कर 15 मार्च तक अल्टीमेटम दिया गया था। लेकिन किसी प्रकार का विचार नहीं किए जाने पर सचिव संघ ने हड़ताल जारी रखा है। पंचायत सचिवों के हड़ताल में चले जाने से शासन की योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है..यहां बताना लाजमी होगा कि शासन के अतिमहत्वपूर्ण कार्यों में अधिकांश विभागों के विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन पंचायत के माध्यम से होता है..आज पखवाड़े भर बाद भी पंचायत सचिवों के मांग को लेकर शासन के द्वारा कोई ठोस पहल नहीं किया गया है..नाराज सचिव संघ अपनी मांग को लेकर हड़ताल पर डटा हुआ है..
आपको बता दें कि छ.ग.शासन सयुक्त सचिव द्वारा हड़ताल पर बैठे पंचायत सचिवों को 24 घंटे के अंदर काम में लौटने के संबंध में आदेश जारी किया गया है । जिससे सचिवों में नाराजगी है। इधर, कोण्डागांव जिले के पांचों ब्लाक कोण्डागांव, फरसगांव , केशकाल, माकड़ी, बडेराजपुर में हड़ताल पर बैठे सचिवों ने 3 अप्रैल को हड़ताल स्थल पर आदेश के छायाप्रति जलाकर विरोध प्रदर्शन किया गया,सचिवों का कहना है की जब तक सरकार इनकी मांगों को पूरा नहीं करेगी तक तक इनका हड़ताल जारी रहेगा, चाहे आर पार की लड़ाई क्यों न लडना पड़े।
प्रदर्शनकारियों के साथ बीजेपी
प्रदेश भाजपा महामंत्री ओपी चौधरी ने मुख्यमंत्री से कहा कि प्रदेश के सभी 146 विकासखंडों में पंचायत सचिव साथी आपकी वादाखिलाफी के विरोध में अपनी एक सूत्रीय मांग को लेकर धरने पर 17 दिनों से बैठे हैं।चूँकि पंचायत सचिव साथी गांव के आम ग्रामीणों और सरकार के बीच के सबसे महत्त्वपूर्ण कड़ी होते हैं,इसलिये आज आपकी वादा खिलाफी के कारण आज हरेक गांव के ग्रामीण विकास की सभी योजनाओं के काम ठप्प पड़े हुये हैं।आपने चुनाव से पहले कई मंचों पर वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 10 दिनों के भीतर नियमितीकरण कर दिया जाएगा। आज साढ़े चार साल में भी इनके नियमितीकरण की कोई मंशा नहीं दिख रही। पंचायत से जुड़े कर्मचारियों के साथ वादाखिलाफी का दुष्प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों की जनता पर पड़ रहा है।
पंचायतों में कामकाज ठप्प-: पंचायत सचिवों के हड़ताल में जाने से पंचायतों में पंचायती कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है..वही हड़ताल से आमजनों को भी बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है..ग्राम पंचायतों में जरूरतमंदों के राशनकार्ड नहीं बन पा रहा है, वहीं पेंशन बनवाने सहित अन्य कार्यों को लेकर लोग पंचायत पहुँच रहे है, लेकिन उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है..
सचिवों की माँगे जायज, होनी चाहिए पूरी-: देवभोग सरपंच संघ के अध्यक्ष बघेल ने सचिवों की एक सूत्रीय मांग को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि सचिवों की यह मांग जायज है, इसे शासन को जल्द ही पूरा करना चाहिए।