छत्तीसगढ़ में 27.5 लाख से ज्यादा नाम मतदाता सूची से हटने की आशंका, प्रदेश का हर 8वां वोटर होगा बाहर! - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ में 27.5 लाख से ज्यादा नाम मतदाता सूची से हटने की आशंका, प्रदेश का हर 8वां वोटर होगा बाहर!


प्रदेश में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर बदलाव सामने आया है। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार राज्य के कुल 2 करोड़ 12 लाख से अधिक मतदाताओं में से करीब 27 लाख 50 हजार 822 नाम मतदाता सूची से हटाए जाने की तैयारी है। इसका मतलब है कि प्रदेश में लगभग हर आठवां मतदाता सूची से बाहर हो सकता है। निर्वाचन विभाग के सत्यापन में स्पष्ट हुआ है कि नाम कटने की वजह केवल मृत्यु नहीं है, बल्कि तेजी से हो रहा माइग्रेशन, सत्यापन के दौरान मतदाताओं की अनुपस्थिति और डुप्लीकेट प्रविष्टियां भी बड़ी वजह बनी हैं।

इन वजहों से कटे नाम

नाम कटने के पीछे कारण सिर्फ मृत्यु नहीं हैं। शहरों के भीतर और बाहर तेजी से हुआ माइग्रेशन और बड़ी संख्या में मतदाताओं का सत्यापन के दौरान अनुपस्थित रहना भी इसकी बड़ी वजह बनी है। सत्यापन में सामने आया है कि 6,40,115 मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है, जिनके नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं। वहीं 14,26,212 मतदाता दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं। इसके अलावा 1,71,212 नाम डुप्लीकेट पाए गए हैं। 4,98,291 मतदाताओं का पता ही नहीं चल पाया है। ये मतदाता अपने पते पर नहीं मिले और इनके संबंध में कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। अन्य श्रेणी में 14,992 मतदाता शामिल हैं, जिनके नाम भी काटे गए हैं।

सबसे ज्यादा असर राजधानी में

एसआइआर का सबसे ज्यादा असर राजधानी रायपुर में देखने को मिल रहा है। रायपुर जिले के 18 लाख 92 हजार 523 मतदाताओं में से 4 लाख 94 हजार 485 नाम कटने की आशंका है। यानी लगभग हर चौथा मतदाता सूची से बाहर हो सकता है। यहां 79,405 मतदाताओं की मृत्यु हो चुकी है। 2,88,222 मतदाता दूसरे स्थानों पर शिफ्ट हो गए हैं। 1,291 नाम डुप्लीकेट पाए गए हैं। सबसे बड़ा आंकड़ा उन मतदाताओं का है, जिनका पता ही नहीं चल पाया है। ऐसे 1,12,109 मतदाता अपने दर्ज पते पर नहीं मिले। अन्य श्रेणी में 2,658 मतदाता शामिल हैं।

23 दिसंबर को प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन

निर्वाचन विभाग के अनुसार 23 दिसंबर को प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। इससे पहले आंकड़ों में मामूली फेरबदल संभव है, लेकिन नाम कटने की संख्या में बड़े बदलाव की संभावना बेहद कम बताई जा रही है। यही वजह है कि राजधानी में एसआइआर को लेकर बेचैनी बढ़ती जा रही है।

डिजिटलाइजेशन 100 प्रतिशत, फिर भी फार्म अधूरे

प्रशासन का दावा है कि प्रदेश में 100 प्रतिशत डिजिटलाइजेशन पूरा हो चुका है, लेकिन जमीनी स्तर पर स्थिति अलग है। कई मतदाताओं के गणना प्रपत्र अब तक वापस नहीं आए हैं, जबकि समयसीमा समाप्त होने में गिनती के दिन बचे हैं। यही स्थिति आगे चलकर दावा-आपत्ति के दौरान परेशानी का कारण बन सकती है।

आगे की प्रक्रिया 

23 दिसंबर 2025: प्रारंभिक मतदाता सूची का प्रकाशन

23 दिसंबर से 22 जनवरी: दावा-आपत्ति

14 फरवरी 2026 तक: नोटिस और सुनवाई

21 फरवरी 2026: अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन


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