अब छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी स्कूलों में मोबाइल ऐप से लगेगी हाज़िरी, सभी स्कूलों पर रहेगी सीधी डिजिटल नजर
छत्तीसगढ़ में अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों की उपस्थिति मोबाइल ऐप के माध्यम से दर्ज की जाएगी. पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों व छात्र-छात्राओं को समय पर आना ही होगा. उनकी हाजिरी अब मोबाइल ऐप से दर्ज करनी होगी. इसमें समय और लोकेशन अपने आप आ जाएंगे. स्कूल शिक्षा विभाग ने “विद्या समीक्षा केंद्र” ऐप को प्रदेश के सभी जिलों में लागू कर दिया है. अब तक यह व्यवस्था प्रदेश के 7 जिलों में लागू थी, जहां इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं. इसी अनुभव के आधार पर राज्य सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया है. स्कूल शिक्षा मंत्री श्री गजेंद्र यादव ने कहा कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की नियमितता और जवाबदेही सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता है. ‘विद्या समीक्षा केंद्र' ऐप से यह स्पष्ट हो जाएगा कि शिक्षक और विद्यार्थी समय पर स्कूल आ रहे हैं या नहीं. इससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी और पढ़ाई का माहौल मजबूत होगा.
स्कूल शिक्षा विभाग का दावा है कि इस एप से न केवल शिक्षकों की जवाबदेही तय होगी, बल्कि छात्रों की उपस्थिति और कक्षा संचालन की स्थिति भी बेहतर ढंग से मानीटर की जा सकेगी। एप को आइआइटी भिलाई के सहयोग से तैयार किया गया है। संस्था प्रमुख की जिम्मेदारी भी तय होगी। यदि कहीं कोई गड़बड़ी सामने आती है तो संबंधित प्रधानाध्यापक पर भी कार्रवाई संभव होगी। शिक्षा विभाग ने सभी संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में ऐप के जरिए उपस्थिति दर्ज कराना सुनिश्चित करें. राज्य शासन का मानना है कि इस नई व्यवस्था से स्कूलों में अनुशासन बढ़ेगा और विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी.
50 मीटर की परिधि में एक्टिव होगा एप
इस एप की सबसे खास बात यह है कि यह केवल स्कूल की 50 मीटर परिधि में ही सक्रिय होता है। शिक्षक को विद्यालय पहुंचकर ही शिक्षक एप के जरिए उपस्थिति दर्ज करनी होगी। इस तकनीकी व्यवस्था से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि शिक्षक वास्तव में स्कूल पहुंचे हैं।
मिलेगी सटीक जानकारी
एप से दर्ज उपस्थिति की जानकारी सीधे जिला मुख्यालय तक पहुंच जाएगी। अधिकारी रियल टाइम आधार पर यह देख सकेंगे कि किस स्कूल में कितने शिक्षक उपस्थित हैं। इससे न केवल उपस्थिति की पारदर्शिता सुनिश्चित होगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर उच्च स्तर से सीधी निगरानी भी संभव हो जाएगी। शिक्षा अफसरों का कहना है कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और बच्चों को बेहतर शैक्षणिक माहौल उपलब्ध कराने की दिशा में सुधार साबित होगा। अब देखना यह है कि डिजिटल निगरानी प्रणाली पूरे प्रदेश में लागू होने के बाद किस हद तक असरदार सिद्ध होती है।
