अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस=सहकार से समृद्धि! - CGKIRAN

अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस=सहकार से समृद्धि!

 


अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस हर साल जुलाई के पहले शनिवार को मनाया जाता है.पहली बार 1923 में इंटरनेशनल कोऑपरेटिव अलायंस (ICA) द्वारा मनाया गया था, और 1995 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त हुई.सहकारिता दिवस से स्थानीय, राष्ट्रीय व वैश्विक नीति निर्माता, नागरिक संगठनों व आम जनता को सहकारिता के योगदान को समझने का अवसर मिलता है.इस वर्ष की थीम है "सहकारी संस्थाएं एक बेहतर दुनिया के लिए समावेशी और सतत समाधान प्रदान कर रही हैं.'यह आयोजन सहकारी संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों, सरकारों और नागरिकों द्वारा दुनिया भर में मनाया जाता है.भारत में 8 लाख से अधिक सहकारी समितियां विकसित भरत के सपने को साकार कर रही हैं.

1895 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (ICA) एक गैर-सरकारी संगठन है जिसका घोषित मिशन दुनिया भर में सहकारी समितियों को एकजुट करना, उनका प्रतिनिधित्व करना और उनका समर्थन करना है. अंतर्राष्ट्रीय सहकारी गठबंधन दुनिया भर में सहकारी समितियों को एकजुट करता है, उनका प्रतिनिधित्व करता है और उनकी सेवा करता है. 1895 में स्थापित, यह सहकारी समितियों का प्रतिनिधित्व करने वाला शीर्ष निकाय है, जिनकी संख्या दुनिया भर में लगभग 3 मिलियन होने का अनुमान है, जो सहकारी समितियों के लिए और उनके बारे में ज्ञान, विशेषज्ञता और समन्वित कार्रवाई के लिए एक वैश्विक आवाज़ और मंच प्रदान करता है.

सहकारी समिति एक स्वैच्छिक संगठन है जहाँ साझा ज़रूरतों वाले व्यक्ति आम आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ आते हैं. ये समितियाँ स्व-सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों पर आधारित हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाने के बजाय समाज के वंचित वर्गों के हितों की सेवा करना है. सदस्य अपने संसाधनों को एकत्रित करते हैं और साझा लाभ प्राप्त करने के लिए उनका सामूहिक रूप से उपयोग करते हैं, जिससे सहकारी संरचना सामुदायिक कल्याण पर अपने जोर में विशिष्ट बन जाती है. भारत में सहकारी समितियाँ कृषि, ऋण और बैंकिंग, आवास और महिला कल्याण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं. वे किसानों और छोटे उद्यमियों को ऋण प्रदान करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में सहायक हैं, जिन्हें पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं तक पहुँचने में कठिनाई हो सकती है. ये समितियाँ ग्रामीण विकास, स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.

देश में सहकारिता क्यों अहम है?

कृषि, ऋण, डेयरी, आवास और मत्स्य पालन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में 800,000 से अधिक सहकारी समीतियों के साथ भारत का सहकारिता नेटवर्क विश्व के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है. सहकारिता क्षेत्र में देश के किसान, कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास एवं सशक्तीकरण के लिये पर्याप्त संभावनाएं हैं. सहकारिता क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के क्रम में केंद्र सरकार ने जुलाई 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी. सहकारिता मंत्रालय की स्थापना 6 जुलाई, 2021 को हुई थी. अमित शाह देश के पहले सहकारिता मंत्री बने. 6 जुलाई, 2021 से लेकर 14 मई, 2025 तक देश के कई राज्यों में हजारों नई सहकारी समितियाँ बनाई जा चुकी हैं. इस मंत्रालय के गठन के बाद से नई सहकारिता नीति और योजनाओं के मसौदे पर काम हो रहा है.

भारत में सहकारी समितियां

उपभोक्ता सहकारी समिति: उचित मूल्य पर उपभोक्ता वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए गठित, उत्पादकों से सीधे खरीद करके बिचौलियों को खत्म करना. उदाहरणों में केन्द्रीय भंडार और अपना बाजार शामिल हैं.

उत्पादक सहकारी समिति: कच्चे माल और उपकरण जैसी आवश्यक उत्पादन वस्तुएँ उपलब्ध कराकर छोटे उत्पादकों की सहायता करती है. उल्लेखनीय उदाहरण हैं आपको और हरियाणा हैंडलूम.

सहकारी विपणन समिति: छोटे उत्पादकों को उनके उत्पादों की सामूहिक बिक्री करके उनके विपणन में सहायता करती है. गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ इसका एक प्रमुख उदाहरण है.

सहकारी ऋण समिति: जमा स्वीकार करके तथा उचित ब्याज दरों पर ऋण देकर सदस्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है. उदाहरणों में ग्राम सेवा सहकारी समिति तथा शहरी सहकारी बैंक शामिल हैं.

सहकारी कृषि समिति: छोटे किसान बड़े पैमाने पर खेती का लाभ उठाने के लिए इन समितियों का गठन करते हैं. उदाहरणों में लिफ्ट-सिंचाई सहकारी समितियाँ और पानी-पंचायतें शामिल हैं.  

हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी: सदस्यों के लिए ज़मीन खरीदकर और उसे विकसित करके किफ़ायती आवासीय विकल्प प्रदान करती है. उदाहरणों में कर्मचारी आवास सोसाइटी और मेट्रोपॉलिटन हाउसिंग कोऑपरेटिव सोसाइटी शामिल हैं

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