इस साल सावन में कितने सोमवार, कब है महीने की शिवरात्रि...
सावन का महीना शुरू होने वाला है. सावन के सोमवारी का खास महत्व माना जाता है. हिंदू धर्म में सावन को भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत शुभ और प्रिय माह माना गया है. इस महीने में भक्त शिवजी की पूजा और भक्ति में लगे रहते हैं. वहीं सावन के सोमवार को व्रत रखने और पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. मान्यता है कि इस दिन उपवास रखने से और भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आइए आपको बताते हैं कि इस साल सावन में कितने सोमवार पड़ रहे हैं और शिवरात्रि की तिथि कब है?
आसमान में बादलों की चादर बीछ गई है, ठंडी-ठंडी बारिश की बूंदे धरती की गर्मी को शांत करने लगी हैं. इससे साफ है कि सावन के महीने ने दस्तक दे दी है. हिन्दु धर्म में सावन के महीने को अति विशेष माना जाता है, क्योंकि पूरे साल में से यही वो महीना है, जब देवों के देव महादेव, भगवान शिव धरती पर आते हैं. मान्यताओं के अनुसार, इस पूरे महीने में भगवान शिव की पूजा और भक्ति करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. साल 2025 में सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है. आइए आपको इसके सभी सोमवारों की तिथि और खास तौर से शिवरात्रि की तिथि के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.
सावन की तिथि हिन्दू पंचांगों के आधार पर तय की जाती है. साल 2025 की सावन की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है और इसका समापन 9 अगस्त 2025 को होगा. सावन के महीने में भगवान शिव के भक्त पवित्र नदी गंगा से जल लेकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
बेल पत्र का महत्व क्या है?
हिंदू धर्म में बेल पत्र (बिल्व पत्र) का खास महत्व है. यह 'शिवद्रुम' भी कहलाता है. भोलेनाथ को सर्वाधिक प्रिय बेल पत्र अत्यंत पवित्र माना जाता है, शिव के साथ ही शक्ति को भी यह काफी प्रिय है. बेल के पेड़ को संपन्नता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. वहीं, इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है. इस बिल्व पत्र के महत्व का वर्णन 'बिल्वाष्टकम्' में मिलता है, ‘‘त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम् त्रिजन्म पाप सहारं एक बिल्वपत्रं शिवार्पणम.'' यह तीन गणों से युक्त होने के कारण भगवान शिव को प्रिय है. इससे पुण्य फलों में बहुत वृद्धि होती है.
अब सवाल है कि भोलेनाथ को बेल पत्र इतना प्रिय क्यों है? तो जवाब है कि बेल पत्र की शीतलता और शुद्धता भगवान शिव की ‘रौद्र प्रकृति' को शांत करती है. इसके त्रिफलक पत्ते शिव के त्रिनेत्र और त्रिशूल का प्रतीक होने के साथ-साथ भक्त की भक्ति और समर्पण को दिखाते हैं. शिव पुराण में भी बेल पत्र का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि बेल पत्र अर्पित करने से पापों का नाश होता है और भक्त को शांति मिलती है.
सावन 2025 सोमवारों की तिथि
इस बार सावन का महीना सीधा-सीधा है. मतलब, 30 दिनों तक चलने वाले सावन मास में चार सोमवार हैं और एक शिवरात्रि पड़ रही है. सावन 2025 की पहली सोमवारी 14 जुलाई 2025 को है, दूसरी सोमवारी 21 जुलाई को, तीसरी सोमवारी 28 जुलाई को और चौथी सोमवारी 4 अगस्त 2025 को है. इसके अलावा, 23 जुलाई 2025 को सावन महीने की शिवरात्रि की तिथि पड़ रही है. मान्यता है कि जिन लोगों को सोमवार का व्रत करना हो, वो पूरे साल सोमवारी न करके केवल सावन के महीने में सोमवारी व्रत कर लें, तो उनको दोगुना पुण्य प्राप्त होता है.
इस खास मुहूर्त में करें पूजा
सावन के पहले सोमवार पर एक खास संय़ोग बन रहा है. धर्मशास्त्रों की मानें, तो इस मुहूर्त में भगवान शिव की पूजा करना बहुत खास हो सकता है. 14 जुलाई 2025, सोमवार को राहुकाल दोपहर 12 बजे से डेढ़ बजे तक रहेगा. इस दिन स्वाति नक्षत्र और सिद्ध योग भी बन रहा है, जो बेहद शुभ माने जाते हैं. इस योग में भगवान शिव की अराधना करने से आपकी सारी मनोकामना पूरी हो सकती है.