हरेली पर्व हमारी धरती, परिश्रम और परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक-उपमुख्यमंत्री अरुण साव - CGKIRAN

हरेली पर्व हमारी धरती, परिश्रम और परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक-उपमुख्यमंत्री अरुण साव


छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संस्कृति, कृषि परंपरा और ऋषि संस्कृति से जुड़े पहले पर्व हरेली के पावन अवसर पर राजस्व मंत्री के निवास कार्यालय में पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया।

      मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा के निवास कार्यालय में आयोजित हरेली पर्व में शामिल होकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया, साथ ही गौरी-गणेश, नवग्रहों और कृषि यंत्रों की विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की।इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री द्वय श्री अरुण साव और श्री विजय शर्मा, महिला एवं  बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, रायपुर महापौर श्रीमती मीनल चौबे सहित कई जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।

      उपमुख्यमंत्री श्री साव ने कहा कि “हरेली छत्तीसगढ़ की आत्मा से जुड़ा पर्व है, यह पर्व हमारी धरती, परिश्रम और परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह हमारे किसानों की आस्था और प्रकृति के साथ संतुलन का प्रतीक है।”

    राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने कहा कि “राज्य सरकार किसानों के हित में लगातार कार्य कर रही है। हरेली जैसे पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और कृषि संस्कृति को संरक्षित रखने की प्रेरणा देते हैं। सभी लोगों को इस पावन पर्व की बधाई देते हुए कहा कि इस पर्व में बच्चों के लिए गेड़ी चलाने की प्रतियोगिता  आकर्षण का केंद्र रहती है। इसके साथ ही गोधन को पौष्टिक भोजन कराकर ग्रामीण  पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते है।

    विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने हरेली तिहार की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि “यह पर्व किसान, खेत-खलिहान और गोधन की पूजा का अवसर है। मान्यता है कि आज के दिन शिव-पार्वती स्वयं भू-लोक में आकर किसानों की किसानी देखने आते हैं। हरेली से छत्तीसगढ़ में त्योहारों की श्रृंखला की शुरुआत होती है।”

     इस अवसर पर गेड़ी चढ़ने की परंपरा, पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन, लोक गीतों की प्रस्तुति और छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक ने पूरे वातावरण को उल्लास और लोकभावना से सराबोर कर दिया।

राज्यभर में गांव-गांव, घर-घर हरेली पर्व की उमंग है। लोगों ने पारंपरिक औजारों की पूजा कर प्रकृति और कृषि परंपरा के प्रति आस्था जताई और छत्तीसगढ़ की समृद्ध विरासत को सहेजने का संकल्प दोहराया।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads