बदल रही बस्तर की तस्वीर: ‘नियद नेल्लानार’ योजना ने गांवों की बदली तस्वीर
छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के वे सुदूरवर्ती गांव, जो वर्षों तक विकास की मुख्यधारा से कटे रहे, अपने प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर अबुझमाड़ के लोग अपनी बेजोड़ संस्कृति और परंपराओं का निर्वहन करने के लिए जाने जाते हैं. कठिन परिस्थितियों में भी आदिवासियों ने खुशहाल जीवन जीने के लिए खुद को प्रकृति के अनुकूल बनाकर रखा है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में आदिवासियों के खुशहाल जीवन को नक्सलियों की नजर लग गई थी.लेकिन अब वक्त बदला है.एक बार फिर धीरे-धीरे अबूझमाड़ के आदिवासी अपने पुराने दिनों की ओर लौटने लगे हैं. समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने ‘‘नियद नेल्लानार‘‘ (आपका अच्छा गांव) योजना संचालित कर रही है. आज नई उम्मीदों और उजालों की ओर अग्रसर हैं. जहां कभी बिजली, सड़क, स्कूल, स्वास्थ्य सेवाएँ और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, वहीं अब वही गांव प्रगति के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहे हैं. इस बदलाव की नींव मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और जन सरोकारों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप 15 फरवरी 2024 को ‘नियद नेल्लानार – आपका आदर्श ग्राम योजना’ के रूप में रखी गई. यह योजना उन क्षेत्रों तक शासन की संवेदनशील और सक्रिय पहुँच सुनिश्चित करने का क्रांतिकारी प्रयास है, जहाँ अब तक केवल उपेक्षा और प्रतीक्षा का सन्नाटा था. इस पहल के साथ ही गाँवों में बदलाव की हवा बहने लगी है. मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में संचार और संपर्क साधनों को विशेष प्राथमिकता दी गई है. पहले जहाँ मोबाइल सिग्नल का नामोनिशान नहीं था, वहाँ अब 119 मोबाइल टावरों की योजना बनी और 43 टावर कार्यशील हो चुके हैं. यह सब संभव हुआ है मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की महत्वाकांक्षी योजना ‘नियद नेल्लानार’ के कारण, जिसने माओवादी प्रभावित इलाकों में सुशासन की नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है। दरअसल, मुदवेंडी गांव में महज़ 45 परिवार रहते हैं, लेकिन बिजली पहुंचने के बाद से यहां का माहौल पूरी तरह बदल गया है। पहले जहां रात में एक कदम चलना भी जोखिम भरा था, अब गांव के बच्चे रात में पढ़ाई कर रहे हैं, महिलाएं रसोई में आसानी से काम कर रही हैं और हर ओर सुरक्षा और राहत का भाव है।
मुख्यमंत्री साय का स्पष्ट मानना रहा है कि केवल सुरक्षा शिविर स्थापित कर देना पर्याप्त नहीं, जब तक वहाँ शासन की संवेदनशील उपस्थिति और समग्र विकास की किरण नहीं पहुँचे. इसी सोच के साथ बस्तर के पाँच नक्सल प्रभावित जिलों—सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर—में 54 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए. इन शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 327 गाँवों को चिन्हित कर यह निर्णय लिया गया कि इन सभी को शत-प्रतिशत योजनाओं से जोड़ते हुए एक नया विकास मॉडल प्रस्तुत किया जाएगा. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस दूरदर्शिता ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि सुशासन केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी क्रियान्वयन से आता है. ‘नियद नेल्लानार’ केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह बस्तर के पुनर्जागरण की यात्रा है—एक ऐसी यात्रा जिसमें बंदूक की जगह अब किताबें हैं, अंधेरे की जगह उजियारा है और असहमति की जगह अब सहभागी लोकतंत्र की भावना है. यह परिवर्तन मात्र योजनाओं का संकलन नहीं है, बल्कि शासन और जनता के बीच एक नए भरोसे का रिश्ता है, जिसकी बुनियाद सहभागिता और पारदर्शिता पर टिकी है. वर्षों तक शासन से कटे रहे लोग अब स्वयं विकास की निगरानी में सहभागी बन रहे हैं. यह वही बस्तर है, जो भय से विश्वास और उपेक्षा से भागीदारी की ओर बढ़ चला है.