छत्तीसगढ़ की महिला जनप्रतिनिधियों ने किया कमाल, चुनाव जीतने में देश में रहा अव्वल - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ की महिला जनप्रतिनिधियों ने किया कमाल, चुनाव जीतने में देश में रहा अव्वल


मोदी सरकार में महिलाओं का रुतबा बढ़ा है. सरकार महिला सशक्तिकरण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है वहीँ छत्तीसगढ़ में पंचायत और निकाय चुनावों में 54.78 फीसदी महिलाएं निर्वाचित हुईं, जो देश में सबसे अधिक है. यह महिला सशक्तिकरण का परिणाम है की आज सभी क्षेत्रों में महिलाएं आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है. देश में महिला आरक्षण और आधी आबादी को प्रोत्साहन देने के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से कही आगे निकल गया है. केंद्र सरकार की जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में हुए पंचायत, निकाय चुनावों में 54.78 फीसदी महिलाएं निर्वाचित हुईं हैं. यहां मौजूदा साल में हुए पंचायत चुनाव में निर्वाचित 1.70 लाख से अधिक प्रतिनिधियों में 93,392 से अधिक महिलाएं निर्वाचित हुईं, जो देश में सबसे अधिक महिला निर्वाचन वाला राज्य बना, जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में 50 फीसदी महिलाएं निर्वाचित हुईं है.

रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे का मानना कि जिस तरह से केंद्र और राज्य सरकार  महिलाओं को हर क्षेत्र में योजनाओं के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा. महिलाएं इससे सशक्त हो रहीं है. कारण यही है कि महिलाएं बढ़ चढ़कर चुनाव जीतकर सरकार में योगदान दे रहीं.  नगर निगम चुनाव में पहली बार निर्वाचित हुईं पार्षद और एमआईसी सदस्य (सामान्य प्रशासन विधि-विधायकी) डॉ. अनामिका सिंह ने कहा कि सरकार की महिला सशक्तिकरण की नीति, महतारी वंदन योजना का लाभ सीधे महिलाओं को मिल रहा. सशक्त महिलाएं अब विकास के अपनी भूमिका निभा रहीं. इसकी वजह से राजनीति में भी महिलाएं सफल हो रही

राजनीति में सफल रही महिलाएं

 इन राज्यों के निकाय, पंचायतों में चुनीं गईं सर्वाधिक महिला जनप्रतिनिधि (टॉप -5)

छत्तीसगढ़ – 54.78 %

ओडिशा 52.68 %

केरल – 52.41 %

बिहार – 52.02 %

झारखंड – 51.57 %

देश में सबसे कम इन राज्यों में चुनीं गईं महिला जनप्रतिनिधि

उत्तर प्रदेश –  33 %

अरुणाचल प्रदेश – 38.98 %

हरियाणा – 42.12 %

अंडमान निकोबार – 35.66 %

दादर नगर हवेली – 31.97 %

एक तरफ छत्तीसगढ़ समेत देश के चुनावों के बढ़ते महिला प्रतिनिधित्व महिलाओं की मजबूत स्थिति को बता रहे हैं. तो दूसरी तरफ चुनाव में जीत के बाद भी इनके काम पर पतियों के हस्तक्षेप अधिक और काम पर एकाधिकार भी कई सवाल छोड़ जाते हैं. 

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