खेती-किसानी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग की तैयारी - CGKIRAN

खेती-किसानी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग की तैयारी


स्वाईल सेंसर और क्लायमेट सेंसर लगेंगे, किसानों को प्रशिक्षण भी मिलेगा

प्रथम चरण में 14 गांवों के 20 किसानों और तीन शासकीय प्रक्षेत्रों का चयन

कलेक्टर की अध्यक्षता में संचालन समिति की हुई बैठक

धमतरी जिले में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर खेती-किसानी में होने वाले जोखिम को कम करके किसानों की आय बढ़ाने की परियोजना जल्द शुरू होगी। एग्री पायलट एआई प्रोजेक्ट के लिए जिला प्रशासन ने महाराष्ट्र की संस्था से एक वर्ष का अनुबंध किया है। परियोजना के संचालन के लिए गठित संचालन समिति की बैठक कलेक्टर श्री अबिनाश मिश्रा की अध्यक्षता में कलेक्टोरेट सभाकक्ष में हुई। कलेक्टर ने बैठक में इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए जरूरी आंकड़े इकट्ठे करने का काम अगले 10 दिनों में पूरा करने के निर्देश दिए। खेती-किसानी में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग करने के लिए पहले चरण में जिले के 14 गांवों के 20 किसानों और तीन शासकीय कृषि प्रक्षेत्रों का चयन किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र धमतरी, शासकीय कृषि महाविद्यालय चर्रा और शासकीय उद्यानिकी नर्सरी भाठागांव के साथ कुरूद विकासखण्ड के 8, धमतरी विकासखण्ड के 3, नगरी विकासखण्ड के 2 और मगरलोड विकासखण्ड का एक गांव इस परियोजना के प्रथम चरण के लिए चयनित किया गया है। इन गांवों में 10 किसानों को कृषि क्षेत्र में, लगभग 7 किसानों को उद्यानिकी क्षेत्र में और अंत्योदय वाटिका के लिए महिला समूहों की 2 सदस्यों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग के इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए चयनित किया गया है।

            कृषि विभाग के उप संचालक श्री मोनेश साहू ने बताया कि परियोजना के तहत गांवों और प्रक्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसयुक्त स्वाईल सेंसर और क्लायमेंट सेंसर स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही चयनित गांवों के प्रगतिशील किसानों, कृषि महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं, कृषक मित्र आदि का चयन कर उन्हें इस बारे में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। कृषि के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग के लिए कृषि, उद्यानिकी, जिला पंचायत, सिंचाई विभाग और आदिवासी विकास विभाग से चयनित अधिकारियों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा।

             उप संचालक श्री साहू ने आगे बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य खेती-किसानी में होने वाले जोखिम को कम कर उत्पादन में वृद्धि करना और किसानों की आय बढ़ाना है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना में एक फसल सीजन के लिए चयनित गांवों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संचालित सटिक कृषि तकनीक लागू की जाएगी। एग्री पायलेट उपकरणों का उपयोग करके खेतों की मिट्टी की सेहत, सिंचाई एवं जल प्रबंधन आदि का मूल्यांकन किया जाएगा। मिट्टी की गुणवत्ता और मौसम की भविष्यवाणी से फसल प्रबंधन, कीट नाशकों के उपयोग आदि में किसानों की सहयता की जाएगी। फसलां की निगरानी के लिए एक मॉडल स्थापित होगा। श्री साहू ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को महाराष्ट्र के बारावती कृषि विज्ञान केन्द्र का भ्रमण भी कराया जाएगा। इस केन्द्र में किसानों को कृषि विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने, उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोगों का अनुभव करने का भी मौका मिलेगा। इस पायलट प्रोजेक्ट से एग्रीकल्चर टेक्नॉलॉजी में कैरियर बनाने और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की रूचि रखने वाले युवा को व्यावसायिक रूप से कौशल विकास के भी मौके मिलेंगे।

इन गांवों के किसानों का हुआ चयन

विकासखण्ड कुरूद-बानगर, चोरभट्ठी, भुसरेंगा, गाड़ाडीह, राखी, चरमुड़िया, भखारा, मंदरौद

धमतरी विकासखण्ड-संबलपुर , पोटियाडीह, लोहरसी

नगरी विकासखण्ड-सांकरा, कुकरेल

मगरलोड विकासखण्ड-कुण्डेल

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