1 अप्रैल से हो जाएंगे ये कुछ नियमों में बदलाव, गैस के दाम में भी हो सकता है बदलाव
नए वित्त वर्ष की शुरुआत नए नियमों और बदलावों के साथ शुरू होती है. 1 अप्रैल 2025 से भी कई बदलाव और नए नियम लागू हो रहे हैं. अगले वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2025 से कई बड़े बदलाव होने जा रहे हैं, जिसका आपकी जेब पर सीधा असर पड़ेगा. यानी घर की रसोई से लेकर बैंक एकाउंट और क्रेडिट कार्डधारकों तक सभी पर इसका असर पड़ने जा रहा है. एक अप्रैल से एटीएम की निर्धारित निकासी से ज्यादा पर आपको 2 से लेकर 23 रुपये तक ज्यादा चार्ज देना पड़ सकता है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से बैंकों को इस बारे में मंजूरी दे दी गई है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने न्यूमेरिक यूपीआई आईडी सॉल्यूशन पर हाल ही में यूपीआई नंबर से जुड़े भुगतानों के लिए कस्टमर एक्सपीरियंस बढ़ाने के उद्देश्य से नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. नए दिशानिर्देश 1 अप्रैल से प्रभावी होंगे. केवल यूपीआई ही नहीं और कई नियम और बदलाव है जो एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे, जिनका आपकी जेब पर असर पड़ेगा
एलपीजी पर असर
तेल और गैंस वितरण कंपनियां हर महीने की पहले तारीख को रसोई गैस की कीमतों को रिवाइज करती है. ऐसे में अगले महीने की एक तारीख में इसमें आपको कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है. हालांकि, लंबे समय से रसोई गैस की कीमतों में किसी तरह का इजाफा नहीं हुई है. लेकिन ऐसे उम्मीद की जा रही है कि नए वित्त वर्ष में रसोई गैस में कुछ राहत मिल सकती है. जबकि, बात अगर अगर गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी की कीमतों की करें तो कुछ बदलाव हो सकते हैं.हर महीने की पहली तारीख को ऑयल कंपनियां LPG, CNG-PNG और ATF की कीमतों की समीक्षा करती हैं. 1 अप्रैल से इनके दाम बढ़ सकते हैं या घट सकते हैं. सरकार और ऑयल कंपनियों के निर्णय के अनुसार कीमतों में बदलाव करना होगा.
क्रेडिट कार्ड पर बदलाव
क्रेडिट कार्डधारकों के लिए अगले वित्त वर्ष में कई ऐसे बदलाव होने जा रहे हैं, जो इससे इस्तेमाल करने वालों पर असर डाल सकते हैं. एक तरफ से एबीआई से सिम्पली क्लिक क्रेडिट कार्ड ने स्विगी रिवॉर्ड के प्वाइंट्स को 10 गुणा से घटाकर 5 गुणा करने का एलान किया तो वहीं एयर इंडिया सिग्नेटर पॉइंट्स को 30 से कम कर 10 करने की घोषणा की है.
UPI में क्या होगा?
यूपीआई मेंबर बैंक, यूपीआई ऐप्स और थर्ड पार्टी प्रोवाइडर के लिए जरूरी होगा. नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, इनएक्टिव मोबाइल नंबर से जुड़ी यूपीआई आईडी भी इनएक्टिव हो जाएगी. अगर किसी यूपीआई यूजर का बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर लंबे समय से इनएक्टिव है तो यूजर की यूपीआई आईडी भी अनलिंक हो जाएगी और यूजर यूपीआई सर्विस का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा.
ऐसे में यूपीआई सर्विस का इस्तेमाल करने वाले हर यूजर को यह सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि उसके बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर एक्टिव हो. सही मोबाइल नंबर के साथ बैंक रिकॉर्ड अपडेट रखे जाने पर ही यूपीआई सर्विस का बिना किसी परेशानी के इस्तेमाल किया जा सकेगा. इनएक्टिव या दोबारा असाइन किए गए मोबाइल नंबर को लेकर उनसे जुड़ी यूपीआई सर्विस को लेकर परेशानी आ सकती है.
टेलीकॉम डिपार्टमेंट के नियमों के अनुसार, डिसकनेक्ट होने पर मोबाइल नंबर 90 दिन बाद एक नए यूजर को असाइन किया जा सकता है. अगर किसी ग्राहक का मोबाइल नंबर कॉल, मैसेज या डेटा के साथ इस्तेमाल न किया जा रहा हो तो ऐसे नंबर को टेलीकॉम प्रोवाइडर्स डिएक्टिवेट कर देते हैं. इन नंबरों को रिसाइकल या चर्न्ड नंबर कहा जाता है.
नए दिशा-निर्देशों के तहत यूजर का बैंक-वेरिफाइड मोबाइल नंबर यूजर के यूपीआई आइडेंटिटीफायर के रूप में काम करेगा. जिसके साथ यूजर अलग-अलग यूपीआई ऐप्स का इस्तेमाल कर सकता है.
दूसरी ओर बैंक और यूपीआई एप्लीकेशन को भी अपने मोबाइल नंबर रिकॉर्ड्स को हर हफ्ते अपडेट करने की जरूरत होगी, जिससे रिसाइकिल या मॉडिफाइड नंबर से होने वाली गलतियों से बचा सके. न्यूमेरिक यूपीआई आईडी असाइन करने से पहले एप्लीकेशन को यूजर्स से इजाजत लेने की जरूरत होगी. यूजर्स को इस फीचर के लिए एक्टिवली ऑप्ट इन करना होगा, यह डिफॉल्ट सेटिंग में ऑप्ट आउट है.
किसी स्थिति में अगर एनपीसीआई के वेरिफिकेशन में कुछ देरी होती है तो यूपीआई एप्लिकेशन अस्थायी रूप से न्यूमेरिक यूपीआई आईडी से जुड़ी समस्याओं को इंटरनली हल कर सकते हैं. इन मामलों का डॉक्यूमेंटेशन किया जाना जरूरी होगा और निरीक्षण उद्देश्यों के तहत हर महीने एनपीसीआई को रिपोर्ट किया जाना जरूरी होगा.
मिनिमम बैलेंस नियमों में बदलाव
SBI, पंजाब नेशनल बैंक समेत कई बैंक अपने सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस नियमों को संशोधित कर रहे हैं. अकाउंट होल्डर को अब मिनिमम बैलेंस रखने के लिए क्षेत्र (गांव, टियर वाइज शहर) के आधार पर नई सीमा तय होगी. मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर जुर्माना लग सकता है.
ATM से पैसे निकासी का नियम
कई बैंक 1 अप्रैल से अपनी ATM निकासी नीति में बदलाव करने जा रहे हैं. दूसरे बैंकों के ATM से पैसे निकालने की सीमा घटा दी गई है. नए नियम के तहत ग्राहक हर माह केवल 3 बार ही दूसरे बैंक के ATM से निशुल्क निकासी कर पाएंगे.
वहीं 1 मई से फाइनेंशियल ट्रांजैक्शंस के लिए अतिरिक्त 2 रुपये लगेंगे. कैश विड्रॉल के लिए भी फ्री लिमिट के बाद 17 रुपये की बजाय 19 रुपया लगेगा.