महिलाओं की मेहनत ने तीन महीने में बंजर जमीन को बना दिया सोना
छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा में एक अनूठी पहल के तहत सम्मिलित स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बेकार पड़ी बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया है। उनकी मेहनत और जैविक खेती तकनीक की बदौलत अब यहां हरी-भरी सब्जियां उगाई जा रही हैं, जो न सिर्फ उनकी आर्थिक स्थिति को सशक्त बना रही हैं बल्कि स्थानीय लोगों को भी रसायन मुक्त, ताजी और स्वास्थ्यवर्धक सब्जियां उपलब्ध करा रही हैं।
अकलतरा के जनपद पंचायत परिसर में करीब एक एकड़ भूमि वर्षों से बेकार पड़ी थी। मुख्य कार्यपालन अधिकारी हिमांशु गुप्ता की पहल पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस भूमि का निरीक्षण किया और इसे जैविक खेती के लिए तैयार करने का निर्णय लिया। इसके बाद सम्मिलित महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया और जैविक खाद, ग्रीन मैन्योरिंग और पारंपरिक खेती के तरीकों के माध्यम से सब्जी उत्पादन शुरू किया गया।महिलाओं ने यहां पालक, मेथी, धनिया, लाल भाजी, मूली, टमाटर, हरी मिर्च जैसी कई हरी सब्जियां उगाना शुरू किया, जो बिना किसी रासायनिक खाद और कीटनाशकों के तैयार की जा रही हैं। जैविक होने के कारण ये सब्जियां अकलतरा नगर और आसपास के गांवों में खूब लोकप्रिय हो रही हैं। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए, महिला समूहों ने इसे एक व्यवसायिक पहल के रूप में आगे बढ़ाने की योजना बनाई है। इस पहल से महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली है। वे अपनी मेहनत से खेती कर न केवल परिवार की आय बढ़ा रही हैं, बल्कि जैविक खेती की नई संभावनाएं भी तलाश रही हैं। यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर कृषि और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही है, बल्कि जैविक खेती के महत्व को भी उजागर कर रही है।