मिनी काशी से कम नहीं है रायपुर का हटकेश्वर महादेव मंदिर, कल लगेगा यहाँ भक्तों का मेला मेला - CGKIRAN

मिनी काशी से कम नहीं है रायपुर का हटकेश्वर महादेव मंदिर, कल लगेगा यहाँ भक्तों का मेला मेला


छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में महादेव घाट पर हटकेश्वर महादेव का चमत्कारिक मंदिर है। खारुन नदी के तट पर स्थित महादेव मंदिर के पीछे त्रेता युग की एक दिलचस्प कहानी जुड़ी हुई है। 26 फरवरी महाशिवरात्रि का दिन है, इस दिन भगवान शिव जी का चालीसा पाठ करने से मनोकामना सिद्ध होती है, राजधानी रायपुर में खारुन नदी के किनारे स्थित हटकेश्वर महादेव मंदिर मिनी काशी के रूप में प्रसिद्ध है। इस मौके पर रायपुर शहर के शिवालय अभी से सजने शुरू हो गए हैं। खारुन नदी के किनारे स्थित हटकेश्वर महादेव मंदिर पर मेला जैसा माहौल रहेगा। विविध मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त से दोपहर तक जलाभिषेक के पश्चात शाम को महाकाल और अर्ध्यनारीश्वर के रूप में शिवलिंग का शृंगार किया जाएगा।  राजधानी में खारुन नदी के किनारे स्थित हटकेश्वर महादेव मंदिर मिनी काशी के रूप में प्रसिद्ध है। महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिर के चारों ओर मेला जैसा माहौल रहेगा। हजारों श्रद्धालु महादेव का दर्शन करने पहुंचेंगे। ऐतिहासिक शिवलिंग पर जलाभिषेक करके मेला घूमने का आनंद लेंगे। मंदिर के गर्भगृह के बाहर ढलावदार पात्र में जल अर्पित करने की व्यवस्था रहेगी।

विविध मंदिरों में ब्रह्म मुहूर्त से दोपहर तक जलाभिषेक के पश्चात शाम को महाकाल और अर्ध्यनारीश्वर के रूप में शिवलिंग का शृंगार किया जाएगा। अनेक मंदिरों से भोलेबाबा की बरात निकाली जाएगी। बरात में भूत, प्रेत, देवी-देवता का रूप धारणकर श्रद्धालु शामिल होंगे।

आस्था के सैलाब में गोता लगाने के लिए श्रद्धालु महादेव घाट पहुंचते हैं। मान्यता है कि तकरीबन 600 साल पुराने इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से भक्तों की हर इच्छा पूरी हो जाती है। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिरों में शुमार इस मंदिर में दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से लोग आते हैं। 

फूलों से होगा शृंगार 

महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर 25 फरवरी को महादेवघाट में हटकेश्वर महादेव शिवलिंग का फूलों से शृंगार किया जाएगा। 26 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त में महाआरती की जाएगी। सुबह से दोपहर तक जलाभिषेक की व्यवस्था की गई है। शाम को भांग, धतूरे, चंदन का लेप करके मनमोहक शृंगार किया जाएगा।

नहरपारा से निकलेगी बरात 

नहरपारा केलकर बाड़ी स्टेशन रोड स्थित नीलकंठेश्वर मंदिर के पं. नीलकंठ त्रिपाठी ने बताया कि महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर भोलेनाथ की बरात निकाली जाएगी। श्रद्धालु भूत, प्रेत, देवगणों का रूप धारण करेंगे। शाम को महाआरती की जाएगी।

बूढ़ेश्वर मंदिर में औषधि से अभिषेक भस्म आरती 

बूढ़ातालाब के समीप स्थित बूढ़ेश्वर मंदिर में सुबह भस्म आरती की जाएगी। मंदिर के बाहर पात्र में जल अर्पित किया जाएगा जो शिवलिंग पर अर्पित होगा। शाम चार बजे शृंगार के लिए पट बंद हो जाएगा। शिवलिंग का शृंगार फूलों, भांग, धतूरा का लेपण करके किया जाएगा।  रात्रि आठ बजे आरती एवं 11:30 बजे से महानिशा पूजा शुरू होगी जो सुबह 5:30 बजे तक चलेगी। रात्रि के चार प्रहर में चार बार 24 प्रकार के द्रव्य औषधि से अभिषेक किया जाएगा। दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, स्वर्ण जल, रजत जल, कुशा जल, सुगंधित द्रव्य, केसर दूध, 11 प्रकार के फलों का रस एवं भस्मी से अभिषेक किया जाएगा।

हनुमानजी अपने कंधे पर शिवजी को लाये थे 

 भगवान हनुमान जी शिव जी को अपने कंधे पर यहां लेकर आए थे। इस कथा के चलते ही यह मंदिर दूर-दूर तक जाना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर की मान्यता भगवान श्रीराम के वन गमन के समय हुई थी। वनवास के दौरान जब वे छत्तीसगढ़ के इस इलाके से गुजर रहे थे, तब इस शिवलिंग की स्थापना लक्ष्मणजी के हाथों हुई थी। कहा जाता है कि स्थापना के लिए हनुमानजी अपने कंधे पर शिवजी को लेकर निकल पड़े, बाद में ब्राह्मण देवता को आमंत्रण करने गए तब तक देर हो गई। इधर लक्ष्मणजी देरी होने से क्रोधित हो रहे थे, क्योंकि स्थापना के समय में देर हो गई थी। जहां स्थापना की योजना बनाई थी, वहां न करके स्थापना के समय को देखते हुए खारुन नदी के तट पर ही स्थापना की।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads