दिव्यांगों के कलात्मक प्रतिभाओं को उभारता दिव्यांग कॉलेज - CGKIRAN

दिव्यांगों के कलात्मक प्रतिभाओं को उभारता दिव्यांग कॉलेज

 


छत्तीसगढ़ में पहला दिव्यांग कॉलेज, जहां निखर रही दिव्यांगजनों की कलात्मक प्रतिभाएं

प्रतिभा को निखारने की जरूरत होती है. हर किसी में खास प्रतिभा होती है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में अपनी तरह का पहला संस्थान विकलांग व्यक्तियों, जिन्हें 'दिव्यांग' भी कहा जाता है, के कलात्मक और व्यावसायिक कौशल को निखारने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभर रहा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साईं के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इस अभियान के हिस्से के रूप में, माना में स्थित दिव्यांग महाविद्यालय रायपुर, विकलांग व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए स्नातक पाठ्यक्रम प्रदान कर रहा है। उनके अंदर कलात्मक टैलेंट को उभारा जाता है. यह काम साल 2016 से कॉलेज की स्थापना के साथ चल रहा है. यह छत्तीसगढ़ में अपनी तरह का अनूठा और पहला संस्थान है जो दिव्यांगजनों को कलात्मक हुनर प्रदान करने का काम कर रहा है. इस कॉलेज में एचआईवी से ग्रसित छात्र छात्राएं भी पढ़ते हैं.

इस दिव्यांग कॉलेज में दिव्यांगजनों के लिए स्नातक कोर्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं. जिसमें बैचलर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (बीपीए) और बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (बीएफए)  जैसे पाठ्यक्रम शामिल हैं. यहां संचालित (बीपीए) पाठ्यक्रम में गायन और तबला वादन जैसे स्किल सीखाए जा रहे हैं. इसे सीखने वालों में दिव्यांग दृष्टिबाधित शामिल हैं. बीएफए पाठ्यक्रम बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स ड्राइंग की शिक्षा दी जाती है. इसमें उन दिव्यांगों को शामिल किया गया है जो सुनने और बोलने में अक्षम हैं. ये पाठ्यक्रम छात्रों को अपने कौशल को निखारने और उनके करियर निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं. यहां पढ़ने वाली छात्रा लवली खुटियार ने अपनी शिक्षिका कमलेश कुर्रे से बात की और अपनी भावनाएं बताई.

कॉलेज की प्रिंसिपल शिखा वर्मा ने बताया कि दिव्यांग छात्रों के लिए संस्थान की स्थापना 2016 में की गई थी। यह समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित है और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय से संबद्ध है। इस चार वर्षीय कार्यक्रम में एचआईवी और आर्थोपेडिक दिव्यांग छात्रों को भी नामांकित किया जाता है। स्नातक के बाद छात्रों की संभावनाओं के बारे में पूछे जाने पर वर्मा ने बताया कि इन पाठ्यक्रमों में व्यावसायिकता पर ज़ोर दिया जाता है। पेंटिंग और उससे संबंधित अध्ययन में लगे कई छात्रों ने स्टॉल लगाए हैं, जिससे कम समय में 20,000 रुपये तक की बिक्री हुई है।

Previous article
Next article

Articles Ads

Articles Ads 1

Articles Ads 2

Advertisement Ads