बस्तरओलंपिक तोड़ेगा माओवदियों का हौसला
छत्तीसगढ़ सरकार एक अनोखी पहल शुरू कर रही है। 1 नवंबर से यहां बस्तर ओलंपिक का आयोजन होगा। इस आयोजन में गांवों के खेलों को सम्मिलित किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार पूर्व नक्सलियों और उनके बच्चों को खेलों के माध्यम से समाज से जोड़ने के लिए बस्तर ओलंपिक की शुरुआत कर रही है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य नक्सली हिंसा के पीड़ितों और आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को मुख्यधारा में लाना है। यह खेल गांव स्तर से शुरू होकर जिला और संभाग स्तर तक होंगे। इसमें हॉकी, फुटबॉल, कबड्डी, वॉलीबॉल, वेटलिफ्टिंग और रस्साकशी जैसे खेल शामिल हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा शुरू की गई इस पहल का मकसद आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों, हिंसा से विकलांग हुए लोगों और उनके अनाथ बच्चों को एक खेल आयोजन में एक साथ लाना है। गृह विभाग इस आयोजन का आयोजन कर रहा है, जिसमें खेल और युवा कल्याण विभाग नोडल एजेंसी है। अधिकारियों का मानना है कि बस्तर के युवाओं को शिक्षा और खेलों में शामिल करने से उन्हें नक्सली समूहों में शामिल होने से रोका जा सकता है। ज्ञात हो कि बस्तर ओलंपिक ऐसे समय में हो रहा है, जब नक्सली स्थानीय युवाओं को भर्ती करने या अपनी गतिविधियों में शामिल करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं। भाकपा माओवादियों ने एक बुकलेट जारी की थी। इसमें उन्होंने निरंतर सुरक्षाबल के अभियानों के कारण कैडरों की भर्ती में आने वाली कठिनाइयों को स्वीकार किया था।
इस खेल आयोजन के लिए पंजीकरण 1 अक्टूबर से शुरू होगा, यह 20 अक्टूबर तक जिला कार्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में जारी रहेगा। ब्लॉक स्तरीय प्रतियोगिताएं 1 नवंबर से 10 नवंबर तक सभी 32 ब्लॉकों में आयोजित की जाएंगी। जिला स्तरीय कार्यक्रम 10 नवंबर से 22 नवंबर तक दो-दो दिन तक आयोजित किए जाएंगे। राज्य खेल मंत्री टंक राम वर्मा का कहना है कि इस बार छत्तीसगढ़िया ओलंपिक नहीं होगा। खेलो के विकास के केंद्र सरकार ने लिए खेलो इंडिया लाया है। इसी में छत्तीसगढ़ के सभी पारंपरिक खेलों को शामिल किया गया है।
बस्तर ओलंपिक में दस अलग-अलग खेल श्रेणियों में प्रतियोगिताएं होंगी। इनमें एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, भारोत्तोलन, कराटे, कबड्डी, खो-खो, वॉलीबॉल और रस्साकशी शामिल हैं। यह आयोजन 1 नवंबर को विकासखंड स्तर पर शुरू होगा और संभाग स्तर पर समाप्त होगा। आत्मसमर्पित नक्सली ओपन श्रेणी में भाग लेंगे जबकि उनके अनाथ बच्चे जूनियर श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करेंगे।
नक्सली हिंसा से विकलांग हुए युवाओं के लिए अलग से टीमें भी शामिल हैं। इसके लिए पुलिस विभाग अलग से पंजीकरण के बिना भागीदारी के लिए समर्पित नक्सली टीमों की सूची उपलब्ध कराएगा। इसमें नक्सल हिंसा में विकलांग हुए नक्सली और उनके अनाथ हुए बच्चों को भी खेलने का अवसर मिलेगा।