छत्तीसगढ़ में किसे मिलेगा जनता का आशीर्वाद, जनता किसे पहुंचायेगी संसद...?
देश में लोकसभा चुनाव समाप्त हो गया है. देश के सभी राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों में भी चुनाव संपन्न हो गया है। अब बारी परिणाम की है अब देखना है कौन किस पर भारी पड़ता है। छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में लोकसभा चुनाव संपन्न हुआ इसमें कुछ हाईप्रोफाईल सीटों पर जनता को अब परिणाम का इंतजार है जो जल्द ही आने वाला है।छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में लोकसभा चुनाव पूरे हुए. यहां 19 अप्रैल, 26 अप्रैल और 7 मई को मतदान हुआ. इस तरह तीन फेज में कुल 11 सीटों पर वोटिंग हो गई. कई सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिली. पहले फेज में 19 अप्रैल को बस्तर लोकसभा सीट पर चुनाव हुआ. दूसरे फेज में महासमुंद, राजनांदगांव और कांकेर में 26 अप्रैल को वोटिंग हुई. तीसरे फेज में रायपुर, बिलासपुर, जांजगीर चांपा, रायगढ़, कोरबा, सरगुजा और दुर्ग लोकसभा सीट पर सात मई को चुनाव खत्म हुआ. इस बार दोनों ही पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के बीच टफ फाइट है. उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रचार तक में नए नए हथकंडों का प्रयोग किया. नक्सलवाद, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, विरासत टैक्स, महिला आरक्षण, राम मंदिर और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ा गया. बीजेपी और कांग्रेस में इस दौरान खूब जुबानी जंग भी देखने को मिली. छत्तीसगढ़ में तीन चरणों के चुनाव में जनता ने अपना फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है. अब सबकी निगाहें चार जून पर टिकी है. जून चार को किसकी सरकार बनेगी इस पर सभी राजनीतिक पंडित और विश्लेषक अपना अपना मत रख रहे है.
बस्तर लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर देखने को मिली. 19 अप्रैल को बस्तर का महाभारत खत्म हुआ. बीजेपी ने बस्तर से सबसे आम चेहरे महेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा. आदिवासी वोट बैंक को अपनी ओर खींचने के लिए बीजेपी ने दांव खेला और सबसे नए चेहरे को यहां से मौका दिया. जबकि कांग्रेस ने सुकमा के कोंटा से मौजूदा विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को चुनावी रण में उतारा. इस सीट पर महेश कश्यप और कवासी लखमा के बीच सीधी फाइट देखने को मिली.
दूसरे चरण में 26 अप्रैल को जिस सीट पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थी. वह लोकसभा क्षेत्र राजनांदगांव रहा. यहां कांग्रेस ने सबसे बड़ा चुनावी दांव खेला और पूर्व सीएम भूपेश बघेल को चुनावी मैदान में उतार दिया. भूपेश बघेल दुर्ग के पाटन से विधायक हैं. बीजेपी ने इस लोकसभा सीट से अपने मौजूदा सांसद संतोष पांडेय को टिकट दिया. राजनांदगांव लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ रहा है. यहां से पूर्व सीएम रमन सिंह भी सांसद रहे. उसके बाद उनके बेटे अभिषेक सिंह भी इस लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.
छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव का तीसरा फेज सात मई को संपन्न हुआ. इस फेज में सबसे ज्यादा चर्चा रायपुर लोकसभा सीट की रही. यहां बीजेपी ने वेटरन लीडर और मौजूदा विधायक बृजमोहन अग्रवाल को चुनावी मैदान में उतारा. बृजमोहन अग्रवाल साय सरकार में स्कूली शिक्षा मंत्री हैं. इससे पहले वह रमन सरकार में भी मंत्रीपद संभाल चुके हैं. छत्तीसगढ़ बीजेपी में सीनियर लीडर में उनकी गिनती होती है. जबकि कांग्रेस ने इस सीट से चुनावी दंगल में पूर्व विधायक विकास उपाध्याय पर भरोसा जताया. विकास उपाध्याय कांग्रेस के युवा ब्रिगेड के बड़े चेहरे माने जाते हैं. दोनों ने इस सीट पर जीत का दावा किया है.
दुर्ग लोकसभा सीट का दंगल भी साल 2024 के लोकसभा चुनाव में छाया रहा. यहां से बीजेपी ने अपने मौजूदा सांसद विजय बघेल को चुनावी जंग में सेनापति बनाया. दूसरी तरफ कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतार कर ओबीसी वर्ग को साधने की कोशिश की. इस सीट पर ओबीसी और साहू वर्ग के वोटरों की तादाद अच्छी खासी है. पूर्व सीएम भूपेश बघेल दुर्ग के पाटन से विधायक हैं लिहाजा उन्होंने कांग्रेस के वादों को जनता तक पहुंचाते हुए राजेंद्र साहू के पक्ष में ताबड़तोड़ प्रचार किया. इस सीट पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी चुनावी सभाएं की.
बिलासपुर लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. इस लोकसभा सीट पर शहरी और ग्रामीण दोनों तरह के मतदाता है. बीजेपी ने बिलासपुर से तोखन साहू को चुनाव लड़ाया और साहू कार्ड का दांव खेला. दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस सीट पर भिलाई से मौजूदा विधायक देवेंद्र यादव को दंगल में उतार दिया. दोनों नेता युवा प्रत्याशी के तौर पर जाने जाते हैं. एक तरफ बीजेपी ने इस सीट पर मोदी की गारंटी को भुनाने की कोशिश की. तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने पार्टी की तरह से किए गए वादों को जनता के सामने रखा.
अब चार जून को देखना यह है कि जनता किस पर अपना भरोसा जताती है। इस लोकसभा चुनाव में देखने वाली बात यह भी है कि इसमें दोनों पार्टीयों ने अपने वर्तमान विधायक को सांसद की टिकट दी है यदि यह जीत जाते है तो छत्तीसगढ़ में एक बार फिर विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो जायेगी। और बीजेपी में मंत्री पद भी खाली हो जायेगा जिससे साय कैबिनेट में किसे मौका मिलेगा यह भी देखने वाली बात रहेगी। अब सभी लोगों को चार जून का इंतजार है।