छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प - CGKIRAN

छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प

 


छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की फाइट में जिस  सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है, वो सीट राजनांदगांव है.  छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प है। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग के तहत छत्तीसगढ़ में तीन सीटों पर उम्मीदवारों का फैसला होगा. यहां की महासमुंद, कांकेर और राजनांदगांव पर 26 अप्रैल को वोटिंग है. बुधवार शाम पांच बजे से यहां चुनाव का प्रचार थम गया है. अब इन सीटों पर मतदाताओं की बारी है.इस सीट पर बीजेपी के संतोष पांडेय और कांग्रेस के भूपेश बघेल के बीच मुकाबला है. दोनों ही दिग्गज नेता है. संतोष पांडेय यहां से सिटिंग एमपी हैं जबकि भूपेश बघेल पूर्व सीएम हैं और दुर्ग के पाटन से विधायक हैं. इसलिए राजनांदगांव की सीट सबसे हॉट सीट मानी जा रही है. कांग्रेस ने लोकसभा क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की बहुलता को देखते हुए ओबीसी समाज से भूपेश बघेल को मैदान में उतारकर पिछड़ा कार्ड खेला है तो वहीं भाजपा ने जातिगत समीकरण को नजरअंदाज करते हुए सामान्य वर्ग से ही कवर्धा निवासी संतोष पांडेय को दोबारा प्रत्याशी बनाकर सबको चौंका दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के लिए भी यह चुनाव अहम होगा। वे यहां की एक सीट से विधानसभा सदस्य हैं।राजनांदगांव लोकसभा सीट का अभी भी कई हिस्सा नक्सल प्रभावित है. इस क्षेत्र में विकास और रोजगार के मुद्दे पर हर बार चुनाव लड़ा जाता है. राजनांदगांव लोकसभा सीट पर 1999 से बीजेपी का कब्जा है. राजनांदगांव में शामिल विधानसभा सीटों में राजनांदगांव, डोंगरगांव, खुज्जी, मोहला मानपुर, डोंगरगढ़, खैरागढ़, कवर्धा और पंडरिया शामिल है. वर्तमामन में यह सीट बीजेपी के संतोष पांडेय के पास है. राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र की आधी आबादी नक्सल प्रभावित है। यहां अभी भी मोहला मानपुर और महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में कभी कभार नक्सली वारदात करते रहते हैं। यही वजह है कि गांवों में विकास शहरों के मुकाबले काफी कम ही पहुंच सका है। इस क्षेत्र में पेयजल, पक्की सड़क, बिजली और शिक्षा समेत मूलभूत सुविधाओं को लेकर जनता मतदान करती है। इस बार यह सीट भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

राजनांदगांव वही सीट है जहां से भाजपा नेता व तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉ. रमन सिंह और उनके बेटे अभिषेक सिंह भी सांसद रहे हैं। 1999 के चुनाव में डॉ. रमन सिंह चुनाव जीते थे। इसके बाद 2004 में भी भाजपा के प्रदीप गांधी चुनाव जीते थे, मगर 2007 के उप चुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने में सफलता हासिल की थी। 2009 में भाजपा के मधुसूदन यादव, 2014 में भाजपा के अभिषेक सिंह और 2019 के चुनाव में भाजपा के संतोष पांडेय सांसद निर्वाचित हुए थे। पांडेय दोबारा चुनावी मैदान में हैं।

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