दो दशक तक रहा बस्तर में भाजपा का कब्जा, इस बार कौन मारेगा बाजी...?
छत्तीसगढ़ में बस्तर नक्सल क्षेत्र है। यहां पर लोकसभा चुनाव पहले चरण में 19 अप्रैल को होना है। बस्तर में चुनावी प्रचार तेज हो गया है। बता दें कि कांग्रेस ने पिछले बार मोदी लहर होते हुए भी दीपक बैज ने चुनाव में जीत हासिल की थी पर इस बार उसकी टिकट काटकर कवासी लखमा को कांगे्रस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। बस्तर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण सीटों मे से एक मानी जाती है। वर्ष 1951 के पहले लोकसभा चुनाव से लेकर वर्ष 1996 तक यह कांग्रेस की परंपरागत सीट हुआ करती थी, लेकिन वर्ष 1996 में पहली बार यहां के लोगों ने निर्दलीय प्रत्याशी को चुना। वर्ष 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा। यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। यह सीट वर्ष 1952 में पहली बार अस्तित्व में आई थी। यहां से कांग्रेस के मौजूदा सासंद दीपक बैज हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद जीत दर्ज की थी। दीपक बैज विधानसभा चुनाव 2023 में चित्रकूट से चुनाव हार गए थे। वर्तमान में वो पीसीसी चीफ हैं। बीजेपी ने इस बार कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा को टक्कर देने के लिए बस्तर से महेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से मौजूदा सासंद कांग्रेस के दीपक बैज हैं. वहीं, इस बार बीजेपी ने बस्तर से महेश कश्यप को चुनावी मैदान में उतारा है. बस्तर एक समय में कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी. मगर 1998 से लेकर 2014 तक इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता बलिराम कश्यप यहां से लगातार 4 बार (1998 से 2009) सांसद रहे। वर्ष 2011 और 2014 में बीजेपी के दिनेश कश्यप यहां से सांसद बने। इस सीट पर पिछले डेढ़ दशक तक कश्यप परिवार का दबदबा रह चुका है। वर्ष 2014 में बीजेपी के दिनेश कश्यप ने यहां से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के दीपक कुमार को हराया था।
छह बार के विधायक हैं कवासी लखमा- बस्तर लोकसभा सीट से कांगे्रस ने कवासी लखमा को अपना प्रत्याशी बनाया है बता दें कि छह बार विधायक कवासी लखमा सुकमा जिले के ग्राम नागारास के निवासी हैं। साल 1953 में जन्में लखमा साक्षर हैं। अविभाजित मध्य प्रदेश में पंच के चुनाव से राजनीति में कदम रखने वाले 71 वर्षीय लखमा किसान परिवार से हैं। वहीं बीजेपी के प्रत्याशी महेश कश्यप पहली बार चुनाव लड़ रहे। वह विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सक्रिय सदस्य व इन संगठनों में विभिन्न पदों पर काम कर चुके है। महेश कश्यप ने कक्षा दसवीं तक की पढ़ाई की है। जगदलपुर ब्लाक के ग्राम कलचा के निवासी 48 वर्षीय महेश 1996 में बजरंग दल के जिला संयोजक बने थे। बस्तर लोकसभा के तहत कुल 8 विधानसभा सीटें- कोंडागांव, नारायणपुर ,बस्तर, जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा
बस्तर लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे- साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दीपक बैज ने बीजेपी के बैदूराम कश्यप को कड़ी टक्कर देते हुए हराया था। बैदूराम कश्यप को 38 हजार 982 हजार वोटों से हराया था। दीपक बैज को 4 लाख 2 हजार 527 वोट यानी 44 फीसदी वोट मिले थे जबकि बैदूराम कश्यप को 3 लाख 63 हजार 545 यानी 40 फीसदी वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर सीपीआई के रामू राम थे। रामू को महज 38 हजार 395 वोट मिले थे।
2014 के चुनाव के नतीजे- वर्ष 2014 में हुए चुनाव में करीब 12 लाख 98083 मतदाता थे। क्चछ्वक्क प्रत्याशी दिनेश कश्यप ने कुल 3 लाख 85 हजार 829 वोट हासिल कर बाजी मारी थी। उन्हें 50।11 प्रतिशत वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार दीपक कर्मा (बंटी), को 2 लाख 61 हजार 470 वोट मिला था। कुल वोटों का 33।96 प्रतिशत था। इस सीट पर जीत का अंतर 1 लाख 24 हजार 359 था।
बस्तर लोकसभा चुनाव 2009 का परिणाम- साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में 11 लाख 93 हजार 116 मतदाता थे। उस समय बीजेपी उम्मीदवार बलिराम कश्यप ने 2 लाख 49 हजार 373 वोट पाकर जीत का परचम लहराया था। उन्हें कुल 44।16 प्रतिशत वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर कांग्रेस उम्मीदवार शंकर सोढ़ी थे, जिन्हें 1 लाख 49 हजार 111 वोट मिला था। कुल वोटों का 26।4 प्रतिशत था।
बस्तर लोकसभा सेनिर्दलीय चुनाव लड़े और राजमहल से समर्थित मुचाकी कोसा का रिकॉर्ड कोई तोड़ पाएगा यह भी एक सवाल आज भी है। सबसे ज्यादा अंतर से चुनाव जीते थे मुचाकी कोसा। बस्तर लोकसभा सीट पर अब तक की सबसे बड़ी जीत पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मुचाकी कोसा की रही है। राजमहल समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी मुचाकी कोसा को वर्ष 1952 के चुनाव में कुल विधिमान्य मतों में से 83.05 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के सुरती क्रिस्टैया को मात्र 16.95 प्रतिशत वोट मिले थे। मुचाकी कोसा को 1 लाख 77 हजार 588 मत और सुरती क्रिस्टा को 36 हजार 257 वोट मिले थे। मुचाकी ने 1 लाख 41 हजार 331 मत और 66.09 फीसद के भारी अंतर से जीत हासिल की थी। विधिमान्य मतों में एकतरफा रिकॉर्ड 83.05 मत आज तक कोई प्राप्त नहीं कर सका है।