क्या बस्तर में कांग्रेस पर हावी रहेगी बीजेपी....?, विधानसभा चुनाव में बीजेपी के जीत के बाद रोचक हुई जंग
छत्तीसगढ़ में 3 चरणों में चुनाव होना है जिसमे बस्तर में पहले चरण में चुनाव 19 अप्रैल को होगी. प्रदेश में पहले चरण के चुनाव के लिए बस्तर लोकसभा सीट पर किसी भी प्रत्याशी ने नाम वापस नहीं लिया है। इस बार बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टी बस्तर में अपना परचम लहराने के लिए जोर लगा रही है. 30 मार्च को नाम वापसी की अंतिम तिथि के बाद भी 11 प्रत्याशी चुनावी मैदान पर हैं। बस्तर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र छत्तीसगढ़ 11 संसदीय क्षेत्रों में से एक है जिस पर बार कांग्रेस और बीजेपी पूरा दम लगा रही है. इस संसदीय क्षेत्र में आठ विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है. लोकसभा चुनाव 2019 में देश और राज्य में 'मोदी लहर' चल रही थी. इस बीच संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करके कांग्रेस नेता दीपक बैज सुर्खियों में आ गये थे, लेकिन इस बार बस्तर की जंग रोचक हो चली है जहां विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है.
बता दें की इस बार विधान सभा चुनाव में बीजेपी को जीत मिलने के बाद लोकसभा चुनाव में भी अपना दम ख़म दिखाना चाह रही है. और पूरी ताकत से बस्तर में अपना राज स्थापित करना चाह रही है. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. अब लोकसभा चुनाव में पार्टी पूरा दमखम लगाकर मैदान में उतरने जा रही है ताकि पिछले लोकसभा चुनाव में जिन सीटों पर उसका प्रदर्शन खराब रहा, उसे इस बार हासिल किया जा सके. ऐसी ही एक सीट बस्तर है जो बीजेपी का गढ़ मानी जाती है लेकिन पिछली बार इस सीट को कांग्रेस ने अपने पाले में ले लाया था. इस सीट से बीजेपी लगातार 6 बार से जीतती आ रही थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार दीपक बैज ने यहां से जीत का परचम लहराया. इस बार बस्तर संसदीय सीट (अजजा) के चुनाव में 11 प्रत्याशी आमने-सामने हैं। शनिवार को नाम वापसी का अंतिम दिन था। किसी प्रत्याशी ने नाम वापस नहीं लिया। जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह का आवंटन कर दिया है। चुनाव चिन्ह प्राप्त करने के बाद प्रत्याशी जनता के बीच चुनाव प्रचार के लिए निकल गए हैं।
दीपक बैज की बात करें तो उन्होंने बस्तर जिले के चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र (अनुसूचित जनजाति आरक्षित) से दो बार जीत दर्ज की और विधायक बनें. 2019 के संसदीय चुनावों में बस्तर लोकसभा सीट से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने विधायक पद छोड़ दिया था. बैज पहली बार 2013 में और फिर 2018 में लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे. इस बार विधानसभा चुनाव में वे छत्तीसगढ़ के चित्रकोट विधानसभा सीट से मैदान में उतरे थे लेकिन इस बार उन्हें बीजेपी के विनायक गोयल के हाथों हार का सामना करना पड़ा.
मोदी लहर को बस्तर में किया था फेल
लोकसभा चुनाव 2019 में देश और राज्य में ‘मोदी लहर’ चल रही थी. इस बीच संसदीय चुनाव में जीत दर्ज करके बैज सुर्खियों में आ गये थे. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से जिन दो सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी उसमें बस्तर लोकसभा सीट भी थी. लेकिन इस बार कांग्रेस को मिली विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. इस विधानसभा चुना में बस्तर संभाग की 12 सीट में से कांग्रेस को 8 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. 8 में से 7 आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में कांग्रेस को बड़े मार्जिन से हार का सामना करना पड़ा है जिसने पार्टी की चिंता ज्यादा बढ़ा दी है. खासकर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज को चित्रकोट विधानसभा से करारी हार का सामना करना पड़ा है.
वही बस्तर से इस बार कांग्रेस ने अपने वर्तमान सांसद व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का टिकट काटकर कोंटा सीट से लगातार छह बार के विधायक कवासी लखमा को मैदान में उतारा है। इसके साथ ही बस्तर सीट पर प्रमुख दलीय प्रत्याशियों की स्थिति भी लगभग साफ हो गई है। वहीँ भाजपा यहां से महेश कश्यप को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और पार्टी व प्रत्याशी दोनों चुनाव प्रचार में भी जुट चुके हैं। अब देखना यह है की कांग्रेस ने वर्त्तमान सांसद का टिकट काटकर जो प्रत्याशी मैदान में उतारा है वह कांग्रेस के लिए कितना कारगर साबित होता है.
जानकारों की मानें तो बस्तर की इन सीटों में मिली हार की वजह आदिवासियों की कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से नाराजगी है. लंबे समय से स्थानीय भर्ती में आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता देने की मांग की जा रही थी. सर्व आदिवासी समाज कांग्रेस सरकार के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन करता नजर आ रहा था.