रायपुर लोकसभा सीट पर होगा दिलचस्प मुकाबला
लोकसभा चुनाव की तैयारियां अब तेज हो गई हैं। चुनाव आयोग ने 16 मार्च को मतदान की तारीखों का ऐलान भी कर दिया है। छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है, क्योंकि राजधानी में बीजेपी ने पार्टी के सीनियर नेता और साय सरकार में मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को टिकट दिया है, इनमें से कुछ सीटें ऐसी हैं जहां जोरदार मुकाबला देखने को मिल सकता है। ऐसी ही सीटों में शामिल है छत्तीसगढ़ की रायपुर लोकसभा सीट। इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने बृजमोहन अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं उन्हें टक्कर देने के लिए कांग्रेस पार्टी ने विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा है। रायपुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां पर कई दशकों से भारतीय जनता पार्टी का वर्चस्व रहा है। इसमें भी यहां पर रमेश बैस 7 बार सांसद रह चुके हैं। रमेश बैस 1989 में रायपुर सीट से पहली बार सांसद बने। इसके बाद 1991 में हुए चुनाव में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ला को रायपुर सीट से सांसद बनने का मौका मिला। दोबारा जब 1996 में लोकसभा चुनाव हुए तो रमेश बैस ने जीत हासिल की। इस चुनाव के बाद से रमेश बैस ने कभी पीछ मुड़कर नहीं देखा। रमेश बैस ने 1996 के बाद 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार रायपुर सीट पर जीत हासिल की। हालांकि 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने रायपुर सीट पर सुनील सोनी को उम्मीदवार बना दिया और उन्होंने भी यहां पर भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाई। वहीं इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बृजमोहन अग्रवाल को टिकट दिया है।
बृजमोहन अग्रवाल छत्तीसगढ़ में बीजेपी के सबसे सीनियर नेता माने जाते हैं, वह लगातार 8 बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं. खास बात यह है कि वह अभिविभाजित मध्य प्रदेश की सुंदरलाल पटवा सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं, जबकि छत्तीसगढ़ की रमन सरकार में भी वह लगातार मंत्री रहे हैं. उन्होंने रायपुर की दक्षिण विधानसभा सीट को बीजेपी के गढ़ में तब्दील कर दिया है. साय सरकार में भी उन्हें मंत्री बनाया गया है.
भाजपा से मैदान में उतरे बृजमोहन अग्रवाल
भाजपा ने रायपुर सीट पर आठ बार के विधायक रहे बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया है। बृजमोहन अग्रवाल अविभाजित मध्यप्रदेश में पटवा सरकार में भी मंत्री रहे। इसके बाद रमन सरकार के तीनों कार्यकाल में वह मंत्री रहे हैं। एक मई 1959 को रायपुर में जन्मे बृजमोहन अग्रवाल ने एलएलबी की डिग्री भी ली है। मध्य प्रदेश विधानसभा द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार भी प्रदान किया जा चुका है। बता दें कि 1977 में बृजमोहन अग्रवाल ने मात्र 16 साल की उम्र में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्यता ले ली थी। इसके बाद वर्ष 1981 और 1982 के दौरान वे छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे। 1984 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली। फिर 1988 से 1990 तक वह भाजयुमो के युवा मंत्री भी रहे। 1990 में वे पहली बार मध्यप्रदेश विधानसभा में वह विधायक चुनकर आए। वे राज्य के सबसे युवा एमएलए थे। इसके बाद से 1993, 1998, 2003, 2008, 2013, 2018 और 2023 में वे विधायक चुने गए।
कांग्रेस को विकास उपाध्याय पर भरोसा
एक तरफ भाजपा ने जहां बृजमोहन अग्रवाल को चुनाव में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने पार्टी के कद्दावर नेता रहे विकास उपाध्याय को लोकसभा की टिकट दिया है। विकास उपाध्याय रायपुर जिले की पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने तीन बार के मंत्री रह चुके राजेश मूणत को चुनाव में शिकस्त दी थी। छात्र जीवन से ही वह राजनीति में उतर गए। कांग्रेस की छात्र विंग एनएसयूआई से जुड़ गए। इसके बाद उन्होंने एनएसयूआई के ब्लॉक अध्यक्ष से लेकर प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर पूरा किया। छात्र जीवन के बाद विकास उपाध्याय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव भी रहे। राजनीति में उनका ये सिलसिला लगातार आगे बढ़ता रहा और आज वह विधायक के बाद लोकसभा प्रत्याशी बनाए गए हैं।