छत्तीसगढ़ में BJP का नए चेहरों पर दांव, तीन महिलाओं को मौका
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीट की सूची जारी कर दी है। सूची में सरोज पांडेय, विजय बघेल और संतोष पांडेय को छोड़कर बाकी आठ प्रत्याशी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीट की सूची जारी कर दी है। सूची में सरोज पांडेय, विजय बघेल और संतोष पांडेय को छोड़कर बाकी आठ प्रत्याशी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा ने सरपंच, जनपद सदस्य से लेकर विधायक-मंत्री को टिकट दिया है। सभी में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग समेत सामानय वर्ग सभी को साधने का प्रयास किया गया है।
भाजपा के कद्दावर नेता और आठ बार लगातार विधायक चुनाव जीतने वाले बृजमोहन अग्रवाल को भाजपा ने रायपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। प्रदेश की राजनीति में चुनावी प्रबंधक और भाजपा के संकट मोचक माने जाने वाले बृजमोहन अग्रवाल अब केंद्रीय राजनीति का हिस्सा बनने जा रहे हैं। वह वर्तमान में रायपुर-दक्षिण के विधायक व मंत्री हैं। यहां से सात बार रमेश बैस और पिछली बार सुनील सोनी ने भाजपा से जीत हासिल की थी। यानी परंपरागत रूप से रायपुर लोकसभा सीट भाजपा के कब्जे में रही है। मौजूदा सांसद सुनील सोनी छात्र राजनीति में बृजमोहन अग्रवाल से कनिष्ठ रहे हैं।
भाजपा की तेजतर्रार नेत्री सरोज पांडेय कोरबा से चुनाव लड़ेंगी। सरोज दुर्ग जिले से महापौर, विधायक और सांसद रहीं। साल 2000 पहली बार और 2005 में दूसरी बार दुर्ग की महापौर बनीं। 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक बनीं। 2009 के दुर्ग संसदीय सीट से सांसद बनी। 2013 में भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष, 2014 का लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू से हारीं। इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव रहीं। 2018 में पहली बार निर्वाचित राज्यसभा सदस्य बनीं। कांग्रेस के प्रत्याशी लेखराम साहू को हराया था
दुर्ग लोकसभा सीट के वर्तमान सांसद विजय बघेल को दूसरी बार लोकसभा का टिकट मिला है। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने पौने चार लाख वोटों से रिकार्ड जीत दर्ज की थी। बीएसपी में कर्मचारी रहे विजय बघेल भाजपा में आने के पूर्व लंबे समय तक पाटन ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। 2000 में उन्होंने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा और भिलाई चरोदा नगर पालिका के प्रथम अध्यक्ष बने। सन 2004 में भाजपा प्रवेश किया। सन 2008 में पाटन से भाजपा प्रत्याशी बनाए गए और कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल से अपनी हार का बदला लिया।
संतोष पांडेय को दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ने का अवसर मिला है। पांडेय पिछला चुनाव लगभग 1.12 लाख मतों से जीते थे। बताते हैं कि वह बाल्यकाल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। वे संघ के तृतीय वर्ष तक शिक्षित हैं। अविभाजित राजनांदगांव जिले में भाजयुमो के दो बार जिलाध्यक्ष रहे। रमन सरकार के दूसरे कार्यकाल में छत्तीसगढ़ युवा आयोग के अध्यक्ष थे। इनके पिता स्व. शिवप्रसाद पांडे सहसपुर लोहारा मंडल के दो बार भाजपा अध्यक्ष रहे। इनकी माता अविभाजित मध्यप्रदेश में कवर्धा जिले में दो बार जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थीं।
बस्तर: सरपंच से सीधे सांसद का चुनाव लड़ेंगे कश्यप
विश्व हिंदू परिषद से जुड़े नये व युवा चेहरे महेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। वे इसके पहले 2014 से 2019 तक सरपंच रहे हैं। अब सीधे लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। महेश कश्यप नगरनार के समीप कलचा गांव के रहने वाले हैं। 1996 से 2001 तक बजरंग दल में जिला संयोजक के रूप में जुड़ने के बाद विहिप प्रांतीय उपाध्यक्ष के पद पर हैं। 2021 से अनुसूचित जनजाति मोर्चा भाजपा बस्तर जिलाध्यक्ष के पद पर हैं। छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज में उपाध्यक्ष भी व बस्तर सांस्कृतिक सुरक्षा मंच के संभागीय संयोजक हैं।
महासमुंद के बसना विधानसभा क्षेत्र की निवासी 47 वर्षीय रूपकुमारी चौधरी साल 2013 से 2018 तक बसना से विधायक रहीं। मई 2015 से दिसम्बर 2018 तक संसदीय सचिव रहीं। वर्त्तमान में वे भाजपा महासमुंद जिलाध्यक्ष हैं। अघरिया समाज से संबंधित रूपकुमारी विधायक बनने से पहले जिला पंचायत की सदस्य रहीं। उनका जन्म पांच जुलाई 1976 को हुआ है। उनकी शिक्षा 10वीं उत्तीर्ण है। उनके पति का नाम ओम प्रकाश चौधरी है। वे भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष रहे है। जांजगीर-चांपा लोकसभा से भाजपा ने कमलेश जांगड़े की टिकट दिया है। वे पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी। वर्ष 2005 से 2015 तक वह ग्राम मसनिया कला जिला सक्ती की सरपंच रहीं हैं। वर्तमान में सक्ती जिले से भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं।
जनजाति समाज के उत्थान एवं नशामुक्ति के लिए काम करने वाले भोजराज नाग को भाजपा ने कांकेर लोकसभा क्षेत्र का प्रत्याशी बनाया है। 2014 में वे पहली बार अंतागढ़ से विधायक चुने गए। वे आदिवासियों के हितों के लिए काम करते आ रहे हैं। मतांतरण के खिलाफ उन्होंने क्षेत्र में आंदोलन की शुरूआत की थी। इसकी वजह से उन्हें कई बार नक्सलियों से धमकी भी मिल चुकी है। अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्होंने सरपंच पद से की थी। 1992 से 1997 तक के अपने गांव के सरपंच रहे। नाग ने डी-लिस्टिंग के मुद्दे पर यहां आवाज बुलंद की, जिसमें उन्होंने कहा कि मतांतरण कर अन्य धर्म अपनाने वाले जनजातीय समाज के लोगों को अनुसूचित जनजाति के दायरे से बाहर किया जाना चाहिए। वह जनजातीय सुरक्षा मंच के प्रदेश संयोजक हैं।
बिलासपुर: विधायक के बाद अब लोकसभा की टिकट
लोरमी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक तोखन साहू को भाजपा ने बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है। पंचायत से अपनी राजनीति की शुरुआत करने वाले तोखन पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भरोसा जताया है। जनपद सदस्य से विधायक और बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाए गए तोखन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। प्रथम वर्ष शिक्षित स्वयंसेवक होने के नाते संघ पृष्ठभूमि से भी आते हैं। तोखन साहू मूलत: मुंगेली जिले के ग्राम डिंडौरी के हैं।
रायगढ़ से आदिवासी नेता राधेश्याम राठिया को प्रत्याशी बनाया है। छत्तीसगढ़ गठन के बाद से रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का कब्जा है। वर्तमान में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय 20 साल तक क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। वहीं गोमती साय ने विधानसभा 2023 के चुनाव में पत्थलगांव से विधायक का चुनाव जीतने के बाद लोकसभा सदस्य पद से त्यागपत्र दे दिया है। नए चेहरे की तालाश में रायगढ़ जिले को 25 साल बाद प्रतिनिधित्व का मौका मिला है। वह पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
सरगुजा: कांग्रेस से आए चिंतामणि महराज को मौका
चार माह पूर्व कांग्रेस से भाजपा में आए चिंतामणि महाराज सरगुजा लोकसभा सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। सरगुजा जिले के लुंड्रा विधानसभा क्षेत्र व बलरामपुर जिले के सामरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे हैं। साल 2013 में पहली बार कांग्रेस ने लुंड्रा विस से प्रत्याशी बनाया और चुनाव जीते।साल 2018 में कांग्रेस ने इनकी सीट बदली सामरी से टिकट दिया,यहां भी जीत मिली। लगातार 10 साल दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इनका टिकट काटा तो नाराज होकर भाजपा में शामिल हो गए थे।