क्या राजनांदगांव में इस बार बदल पाएगा चुनावी समीकरण...!
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को लेकर पहले चरण में 7 नवंबर को 20 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। इनमें सबसे महत्वपूर्ण जिला राजनांदगांव है, जहां से कुल 90 सीटों में से 4 विधानसभा और एक लोकसभा सीट आती हैं। इनमें राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव और खुज्जी विधानसभा शामिल हैं। राजनांदगांव छत्तीसगढ़ प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला है। शुरू से ही वीआईपी जिले के रूप में प्रसिद्ध राजनांदगांव इसलिए और प्रमुख हो जाता है क्योंकि छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक बीजेपी सरकार में सीएम रहे डॉ. रमन सिंह का यह विधानसभा क्षेत्र है। बात करे पिछले चुनाव की तो 2018 में भी कांग्रेस इस सीट से हार गई थी लेकिन हार का अंतर काफी कम था। इस तरह कांग्रेस ने इस सीट पर काफी मेहनत की थी। कांग्रेस उम्मीदवार करूणा शुक्ला ने 2018 में इस सीट पर करीब 41 फ़ीसदी वोट हासिल किये थे, जबकि डॉ रमन सिंह को 52 प्रतिशत। 11 प्रतिशत वोटो का अंतर निकटतम चुनाव में कभी नहीं रहा। तो क्या गिरीश देवांगन इस अंतर को कम कर पाएंगे या फिर कांग्रेस के लिए यह भाजपा का अभेद किला बनकर रह जाएगा?राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है, जिसमें साहू, लोधी, यादव और अन्य शामिल हैं। इसके साथ ही सामान्य वर्ग की भी आबादी अच्छी खासी है। इसी वजह से राजनीतिक पार्टियां ओबीसी फैक्टर को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ती हैं। इस विधानसभा सीट में एक बड़ी आबादी ओबीसी की है इसलिए ओबीसी वोटर्स को साधने का काम राजनीतिक पार्टियां करने में लगी हैं।
राजनांदगांव: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी रमन सिंह के सामने कांग्रेस प्रत्याशी गिरीश देवांगन चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह इस विधानसभा सीट से लगातार तीन बार से विधायक हैं। 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सीट पर कब्जा किया। इस कारण इस सीट में बीजेपी की मजबूत पकड़ है। इस बार भी कांग्रेस पूरी तैयारी के साथ चुनावी रण में है। राजनांदगांव विधानसभा सीट बीजेपी का अभेद किला माना जाता है। कांग्रेस प्रत्याशी और किसान नेता गिरीश देवांगन नए चेहरे हैं। वो एक रणनीति के तहत चुनाव लड़ रहे हैं। यहां बीजेपी मजबूत स्थिति में है। वहीं कांग्रेस मजबूती के साथ लड़ती हुई दिख रही है।
खुज्जी: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी गीता घासी साहू के सामने कांग्रेस प्रत्याशी भोलाराम साहू चुनाव लड़ रहे हैं। गीता साहू पहली बार चुनाव लड़ रही हैं। वह जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। वहीं भोलाराम 2008 में विधायक रह चुके हैं और 2019 में सांसदी का चुनाव लड़े थे पर हार गए। खुज्जी विधानसभा सीट कांग्रेस की गढ़ मानी जाती है। पिछले तीन चुनाव कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतते आ रहे हैं। इस वजह से ये कांग्रेस की महत्वपूर्ण सीट है। वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस की छन्नी साहू विधायक हैं।
डोंगरगढ़: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी विनोद खांडेकर के सामने कांग्रेस प्रत्याशी हर्षिता स्वामी बघेल चुनाव लड़ रही हैं। खांडेकर 2003 में पहली बार विधायक बने थे। वहीं हर्षिता वर्तमान में राजनांदगांव जिला पंचायत सदस्य हैं। साल 2018 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के भुनेश्वर बघेल ने बाजी मारी थी। उनके मुकाबले में भाजपा की तरफ से सरोजनी बंजारे को टिकट दिया गया था। कांग्रेस चुनावी लड़ाई को एकतरफा बनाते हुए 35 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीती थी।
डोंगरगांव: इस सीट से इस बार बीजेपी प्रत्याशी भरतलाल वर्मा के सामने कांग्रेस प्रत्याशी दिलेश्वर साहू चुनाव लड़ रहे हैं। भरतलाल पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं दिलेश्वर साहू दूसरी बार के विधायक हैं। इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों का वर्चस्व रहा है। पिछले दो विधानसभा चुनावों से कांग्रेस प्रत्याशी जीतते आ रहे हैं। बीजेपी ने इस बार कमर कस ली है और इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर देखी जा रही है।