किसानों को नई सरकार का इंतजार, कई धान खरीदी केंद्रों में पसरा सन्नाटा
छत्तीसगढ़ में धान तिहार चल रहा है. प्रदेश की जनता को नई सरकार बनने का बेसब्री से इंतजार है। इसी वजह से प्रदेश के कई धान केंद्रों में सन्नाटा देखने को मिल रहा है। चुनावी साल का असर धान खरीदी पर भी देखने को मिल रहा है. नई सरकार बनने और कर्ज माफी के साथ ही नई दरें की उम्मीद में किसान धान बेचने से बच रहे हैं. विधानसभा चुनाव में किसानों को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने एक से बढ़कर एक लुभावने वादे किए हैं। दरअसल, भाजपा 3100 रुपए प्रति क्विंटल तो कांग्रेस ने 3200 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने की घोषणा कर रखी है. दरअसल, राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों का सबसे ज्यादा असर किसानों पर हुआ है. यही वजह है कि जिले के धान खरीदी केंद्र सूने नजर आ रहे हैं . धान खरीदी की शुरुआत हुए लगभग एक महीना होने को है, लेकिन सूरजपुर में आज भी धान खरीदी केंद्र वीरान पड़े हुए हैं। खाद्य विभाग के द्वारा धान खरीदी की तैयारी पूरी कर ली गई हैं। बावजूद इसके किसान धान खरीदी केंद्र तक नहीं पहुंच रहे हैं। इस बार किसान नई सरकार के इंतजार में है, तो वहीं खाद्य विभाग के अनुसार धान के फसल में देरी की वजह से किसान अभी तक अपना धान बेचने मंडी तक नहीं पहुंच रहे हैं। धान खरीदी का 28वां दिन था बावजूद यह नजारा सूरजपुर के ज्यादातर मंडियों का है। बात करें सरगुजा संभाग में तो यहां जिस हिसाब से धान की आवक होनी चाहिए उस हिसाब से नहीं हो पा रही है।
हाल ही में 17 नवंबर को छत्तीसगढ़ में मतदान संपन्न हुए हैं। चुनाव में जहां एक ओर कांग्रेस ने किसानों के लिए बड़ी घोषणा की है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा ने भी अपने किसानों के लिए पिटारा खोले हैं। इसका मुख्य कारण चुनाव में किए गए कर्ज माफी का वायदा को माना जा रहा है, ऐसे में किसान सरकार बनने का इंतजार करते नजर आ रहे है। कहीं- कहीं तो आज तक धान की बोहनी तक नही हुई है और कहीं-कहीं कुछ किसान टोकन ले रहे है और धान बेच रहे है साथ ऐसे किसान जो धान नही बेच रहे है वह सरकार बनने का इंतजार कर रहे है क्योकि किसान चाह रहा है अभी अगर धान बेचेंगे तो कर्ज माफी नही होगा। इसीलिए अभी जो धान खरीदी केंदो में धान की बोहनी नहीं हो रही है तो बिना कर्ज वाले किसानों ने ही धान खरीदी केंद्र में धान बेचकर बोहनी कराई है बहरहाल अब आने वाला 3 दिसंबर के मतगणना के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर सरकार किसकी बनती है और किसानों को कितना फायदा मिल पता है ।