दुर्ग का दंगल: दुर्ग संभाग से भूपेश सरकार के सबसे ज्यादा मंत्री, इसलिए ज्यादा है चुनौती, भाजपा भी लगा रही पूरा जोर - CGKIRAN

दुर्ग का दंगल: दुर्ग संभाग से भूपेश सरकार के सबसे ज्यादा मंत्री, इसलिए ज्यादा है चुनौती, भाजपा भी लगा रही पूरा जोर


छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है. सभी दल वोटरों को साधने के लिए लगातार रणनीति बना रहे हैं. प्रदेश की हर विधानसभा सीटों के सियासी गणित को ध्यान में रखकर सभी दल अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं. राजनीतिक दलों में इसके लिए संभाग के आधार पर प्लानिंग भी हो रही है. इस सबके बीच दुर्ग संभाग पर सभी राजनीतिक दलों का सबसे ज्यादा फोकस है. क्योंकि सीएम भूपेश बघेल समेत कांग्रेस सरकार के सबसे ज्यादा मंत्री दुर्ग संभाग से ही आते हैं. यहां कुल 20 सीटें हैं. पाटन से विधायक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही साजा, अहिवारा, दुर्ग ग्रामीण, कवर्धा, डौंडी लोहारा से जीते विधायक सरकार में मंत्री हैं। वहीं अन्य विधानसभा सीटों की बात करें, तो दुर्ग (शहर), भिलाई नगर, वैशाली नगर, अहिवारा, डोंगरगढ़, डोंगरगांव, राजनांदगांव, खैरागढ़, खुज्जी, मोहला मानपुर, पंडरिया, कवर्धा, साजा, बेमेतरा, नवागढ़, संजारी बालोद और गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं।

 दुर्ग संभाग के जिलों की बात करें, तो यहां दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़ छुईखदान गंडई, कवर्धा, बेमेतरा, बालोद, मानपुर मोहला अंबागढ़ चौकी आते हैं। छत्तीसगढ़ के गठन से पहले ही अविभाजित मध्यप्रदेश की राजनीति में दुर्ग संभाग का बड़ा महत्व रहा है. इसी दुर्ग से निकलकर चंदूलाल चंद्राकर ने देश की राजनीति में अपनी पैठ बनाई थी. चंदूलाल चंद्राकर ने लोकसभा में पांच बार दुर्ग का प्रतिनिधित्व किया. यही नहीं कांग्रेस के प्रति भरोसा जताने का फायदा संभाग के मतदाताओं को मिला. इस बार भी दुर्ग संभाग का रूतबा कम नहीं हुआ. दुर्ग के पाटन विधानसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को कांग्रेस के बहुमत में आने पर मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी मिली. वहीं भाजपा द्वारा पूरा जोर लगाया जा रहा है कि कांग्रेस की यहां से नहीं के बराबर के बराबर सीट पर जीत पाए। सांसद विजय बघेल पाटन विधानसभा क्षेत्र में दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी लगातार दुर्ग संभाग में भरोसे का सम्मेलन कर रहे हैं। भिलाई में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की उपस्थिति में महिला सम्मेलन कराकर कांग्रेस ने यह संदेश दे दिया है कि उसके लिए दुर्ग संभाग कितना महत्वपूर्ण है।

सन् 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की बात की जाए, तो कांग्रेस ने दुर्ग संभाग में सबसे शानदार प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने 20 सीटों में से 18 सीटें पर एकतरफा जीत हासिल की थी। भाजपा से केवल पूर्व सीएम डा. रमन सिंह और वैशाली नगर से स्व. विद्यारतन भसीन ने भाजपा की लाज बचा पाए थे। दुर्ग संभाग के जिलों की बात करें, तो यहां दुर्ग, राजनांदगांव, खैरागढ़ छुईखदान गंडई, कवर्धा, बेमेतरा, बालोद, मानपुर मोहला अंबागढ़ चौकी आते हैं। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से कांग्रेस का गढ़ रहे दुर्ग की आज भी प्रदेश की राजनीति में तूती बोलती है. इसी दुर्ग संभाग से प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ-साथ गृह मंत्री, कृषि मंत्री और वन मंत्री आते हैं. 

दुर्ग विधानसभा सीट शुरू से कांग्रेस की सीट मानी जाती रही है. एक तरह से दुर्ग को कांग्रेस का गढ़ मन जाता रहा है. कांग्रेस के प्यारेलाल बेलचंदन, मोतीलाल वोरा, राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले दाऊ वासुदेव चंद्राकर दुर्ग के सियासत में लगातार हावी रहे थे. कांग्रेस के अलावा किसी अन्य राजनीतिक दल ने यहां लोगों के मन को नहीं बदल पाया था. ऐसे में भाजपा को दुर्ग विधानसभा सीट में स्थापित करने में स्व हेमचंद की भूमिका अहम था. हेमचंद ने कांग्रेस के किले में सेंध लगते हुए बड़ी सफलता हासिल की और लगातर 3 बार विधायक रहे और दो बार मंत्री भी रहे.

पाटन विधानसभा की सीट सबसे ज्यादा चर्चित

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कारण दुर्ग संभाग में पाटन विधानसभा सीट सबसे ज्यादा चर्चित है । यहां पर चाचा भूपेश बघेल और दुर्ग लोकसभा के सांसद भतीजा विजय बघेल के बीच सीधी टक्कर है । अब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राष्ट्रीय दलों के द्वारा यहां पर पूरी ताकत झोंक दी गई है । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी विधानसभा सीट से लगातार चुनाव लड़ते आए हैं। इसी तरह से विजय बघेल भी इस विधानसभा के चिर परिचित चेहरा है।


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