बस्तर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा के लिए आज भी तरस रहे ग्रामीण
राज्य का सबसे पिछड़ा हुआ क्षेत्र बस्तर विकास के नए आयाम गढ़ रहा है, और ग्रामीण अंचलों का लगातार विकास हो रहा है, साथ ही अंदरूनी क्षेत्र के ग्रामीणों को सरकार की हर योजना का लाभ मिल रहा है, लेकिन आज भी बस्तर के कई गांवों की तस्वीर नहीं बदली है. सैकड़ों ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं.
आदिवासी बहुल बस्तर संभाग के जिला मुख्यालयों में जरूर स्वास्थ्य सेवा बेहतर है, मगर ग्रामीण इलाकों के सरकारी अस्पतालों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। बस्तर कहने मात्र को संभाग और जिला है, मगर दोनों प्रशानिक मुख्यालय जगदलपुर में हैं। छत्तीसगढ़ सरकार जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये का स्वास्थ्य बजट बनाती है.
सरकार सरकारी अस्पताल से लेकर स्वास्थ्य केंद्रों और सिविल अस्पतालों में इलाज के लिए बेहतर संसाधन और सुविधा मुहैया कराने का दावा करती है, लेकिन बस्तर में ये विकास के दावे खाली कागजों में ही सीमित रह जाते हैं. स्तर के विद्युत विभाग की कार्यशैली और व्यवस्था तो जग जाहिर है। गावों और ब्लॉक एवं तहसील मुख्यालयों में बिजली की लचर व्यवस्था में सुधार की उम्मीद भी बेमानी है। बार बार बिजली गुल होना, घंटों बिजली न आना आम बात है। इस लचर विद्युत व्यवस्था से सरकारी अस्पताल भी प्रभावित हैं। यहां के डॉक्टरों को संसाधन की कमी से जूझना पड़ता है. साथ ही ग्रामीणों को भी इलाज के नाम पर केवल औपचारिकता ही मिल पाती है.
दरअसल, बस्तर के भानपुरी में सिविल अस्पताल और यहां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अव्यवस्थाओं का आलम है. भानपुरी में भी तहसील कार्यालय है। भानपुरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और भानपुरी में सिविल अस्पताल की स्थापना शासन द्वारा जरूर की गई है, मगर इन दोनों अस्पतालों में जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गईं हैं। ऐसे में डॉक्टरों को मरीजों का ईलाज व चेकअप मोबाइल फोन के टार्च की रौशनी में करना पड़ता है।
अस्पताल में भर्ती मरीजों के वार्डों में अंधेरा पसर जाता है। डॉक्टरों की केबिन में भी अंधेरा हो जाता है।रात के वक्त अधिकांश समय बिजली नहीं होती है. इतना ही नहीं अगर मौसम में खराब हो जाए तो कई महीनों तक अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र अंधेरे में डूबे रहते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि कई बार इमरजेंसी ऑपरेशन भी टॉर्च के लाइट में किए गए हैं. शासन को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत कराने के बावजूद कोई समाधान नहीं हो रहा है.
खासकर गर्मी और बरसात के दिनों में बिजली गुल होने एवं तेज आंधी तूफान चलने और भारी बरसात होने पर बार बार और घंटों बिजली गुल हो जाने की समस्या पैदा हो जाती है।