छत्तीसगढ़ मिलेट्स का हब , मिलेट मेला: बाजरा का सूप, रोटी, खिचड़ी की फैली खुशबू
छत्तीसगढ़ धीरे धीरे मिलेट्स हब के रूप में उभर रहा है। मिलेट्स फसलों के रकबा में लगभग 3 गुना वृद्धि हुई है। पहले 70 हजार हेक्टेयर रकबा में मिलेट्स की खेती होती थी, अब यह रकबा बढ़कर 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर हो गया है। मुख्य रूप से कोदो, कुटकी और रागी की खेती हो रही है। तीन हजार रुपये समर्थन मूल्य पर खरीदी करने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना में मिलेट्स उत्पादक किसानों को 9 हजार रूपए प्रति एकड़ की इनपुट सब्सिडी देने के परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का उत्पादन बढ़ा। पहले 12 से 15 रुपए प्रति किलो मिलेट्स का बाजार मूल्य होता था, आज बढ़कर 25 से 28 रुपए तक पहुंच चुका है। मिलेट्स के गुणों को देखते हुए इसे भोजन की थाली में शामिल किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पोषक गुणों के कारण आज मिलेट्स की डिमांड देश-विदेश में बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कोदो, कुटकी और रागी छत्तीसगढ़ में यह हमेशा से बोया जाता रहा है। यह फसल ग्रामीण क्षेत्रो में उन जमीनों पर लगाई जाती थी, जहां सिचाई नहीं के बराबर होती थी। पहले छत्तीसगढ़ के बड़े किसान भी कोदो को संग्रहित करके रखते थे, क्योंकि सूखे के समय यही पेट भरने के काम आता था। कोदो के बीज 12 वर्ष तक सुरक्षित रहते हैं। इसकी फसल में बीमारी नहीं लगती इस कारण इसमें पेस्टिसाइड का उपयोग नहीं होता। आज फसलों में उपयोग किए जाने वाले पेस्टिसाइड भी लाईफ स्टाईल के साथ बीपी, शुगर, कैंसर जैसे रोगों की वजह है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि पानी पड़ने के बाद कोदो का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए, इससे फूड पाईजनिंग का खतरा रहता है।
किडनी के मरीज कोदो सावा का सेवन करें
गुंजन गोएला ने मिलेट का महत्व बताते हुए कहा कि किडनी के मरीज कोदो, सावा खाएं तो उन्हें राहत मिलेगी। सावा से अच्छा दोसा बनाया जा सकता है। पफ मिलेट्स की भेलपुरी, पेनकेक, शेक, केक भी बनाए जा सकते हैं।
मध्याह्न भोजन में शामिल किया जाए - मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मिलेट मेला के शुभारंभ पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मिलेट्स को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में बच्चों के लिए संचालित मध्यान्ह भोजन में मिलेट्स को शामिल किया जाना चाहिए। मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए मिलेट्स उत्पादों के बाजार की समस्या नहीं रहेगी।