बेमौसम बारिश से धान की खड़ी फसल को नुकसान
बेमौसम बारिश और तूफान का दुष्प्रभाव सामने आ रहा है। लंबे तने वाले धान की खड़ी फसल खेतों में सो गई है। इससे कृषक चिंता में हैं। प्रशासन नुकसान का आंकलन कर रहा है कि बनरसी से लेकर माना बस्ती में नहर के किनारे धान की खेती को बेमौसम बारिश से बड़ा नुकसान हुआ है। किसान बताते हैं कि रुपया में चार आने का नुकसान तय है। जहां फसल सो गई है, वहां नुकसान ज्यादा होगा। तूफान के प्रभाव से हुई बारिश ने बेड़ा गर्क कर दिया है। खेत के निचले हिस्सों में अधिकांश फसल सो गई है। इसलिए भगवान का नाम लेकर लुआई (कटाई) कर रहे हैं। जहां फसल खड़ी भी है उसमें भी नीचे का धान सड़ रहा है। किसान का कहना है कि बारिश से फसल में अत्यधिक नमी आने से धान के दाने काले पड़ सकते हैं, जिससे उपज की गुणवत्ता प्रभावित होगी। विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि वे जल्द से जल्द खेतों से पानी की निकासी करें और फसल को सुखाने की व्यवस्था करें।
किसान का कहना है कि सोई फसल के नीचे की ज्यादातर उपज सड़ गई है। आगामी दिनों में यदि पानी गिरा तो फिर नुकसान की मात्रा बढ़ सकती है। इधर, कृषि विभाग के अनुसार बीमा कवरेज की शर्तों के अनुसार प्रभावित किसानों को उपज में आए अंतर का सर्वे कर मुआवजा घोषित किया जाएगा। कृषि,राजस्व व पंचायत विभाग मिलकर सर्वे प्रारंभ करेंगे।
वर्तमान में खेत में काटकर धान की फसल खड़ी हुई है, ऐसे में उसे नुकसान हो रहा है. खेत में काटकर सूखने के लिए किसानों ने छोड़ी थी. अब इस फसल की गुणवत्ता कमजोर हो जाएगी, जबकि सोयाबीन, उड़द और मक्का की फसल पहले ही कट गई है. अधिकांश किसानों ने इन्हें कवर्ड एरिया में स्टोर कर लिया है. इनमें से कुछ फसल खेत में सूखने के लिए छोड़ी हुई है, इससे भी नुकसान होगा. वर्तमान में खेत में धान की फसल ही खड़ी है, क्योंकि इसके उत्पादन का समय काफी लंबा होता है. यह चार महीने के आसपास में पककर तैयार होती है. इस समय खेतों में पानी भर जाने से फसल को वापस सूखने में समय लगेगा, जिससे धान की कटाई में भी देरी हो जाएगी. इन किसानों का आने वाला रबी सीजन भी थोड़ा तेजी से शुरू होगा.
