ट्रैक्टर जो न कर पाए वो ये छोटू मशीन कर देती, पैसा कम, सब्सिडी मस्त, काम जबरदस्त - CGKIRAN

ट्रैक्टर जो न कर पाए वो ये छोटू मशीन कर देती, पैसा कम, सब्सिडी मस्त, काम जबरदस्त


एक दौर था जब खेती किसानी के काम में हल बैल का बड़ा योगदान हुआ करता था, लेकिन अब खेती किसानी में मशीनों का दौर चल रहा है. हल बैल की जगह अब खेती में ट्रैक्टर का इस्तेमाल होने लगा है. लेकिन अभी भी कई किसान ऐसे हैं, जो छोटे किसान हैं. कई किसानों के पास छोटी छोटी जमीन है जहां ट्रैक्टर घुस भी नहीं पाते हैं. ऐसे किसानों के लिए के लिए पावर वीडर मशीन वरदान साबित हो रही है.छत्तीसगढ़ में किसानों के बीच पावर वीडर मशीन की मांग बढ़ रही है. यह हल्की, किफायती और सब्जी की खेती के लिए आदर्श मशीन है. उद्यानिकी विभाग इसे 30 से 50% सब्सिडी पर दे रहा है. इससे खेती सस्ती, आसान और अधिक उत्पादन वाली बन रही है. बिलासपुर जिले के किसानों के बीच इन दिनों छोटा पावर वीड मशीन तेजी से लोकप्रिय हो रही है. पारंपरिक ट्रैक्टर की जगह किसान अब इस हल्के और कारगर मशीन से जुताई कर रहे हैं. खासकर ठंड के मौसम में सब्जी, भाजी, दलहन और तिलहन फसलों के लिए यह मशीन खेती को आसान और मुनाफे का सौदा बना रही है. पावर वीडर एक छोटा कल्टीवेटर मशीन है, जो डीजल या पेट्रोल से चलती है. इसे एक व्यक्ति आसानी से चला सकता है. खेत की गहराई तक मिट्टी को भुरभुरा बनाता है, जिससे फसलों की जड़ों को पर्याप्त हवा और नमी मिलती है. छोटा पावर वीडर वजन में हल्का और संभालने में आसान होता है. एक व्यक्ति इसे छोटे खेतों में भी इस्तेमाल कर सकता है. डीजल मॉडल 30,000 से 60,000 रुपये तक के बीच बाजार में उपलब्ध हैं, जबकि पेट्रोल मॉडल 25,000 से 45,000 रुपये में मिल जाते हैं.

पावर वीडर से जुताई करने में ईंधन की खपत कम होती है और समय की बचत होती है. किसान बताते हैं कि जहां ट्रैक्टर से एक बीघा खेत की जुताई में 500 से 600 रुपये खर्च होते हैं. वहीं, पावर वीडर से यही काम 300 रुपये तक में हो जाता है. इससे छोटे किसानों को आर्थिक राहत मिलती है.ठंड के मौसम में जब किसान टमाटर, गोभी, पालक, मूली या धनिया जैसी फसलें लगाते हैं, तब भुरभुरी मिट्टी बेहद जरूरी होती है. पावर विडर की मदद से जुताई करने पर मिट्टी की संरचना ऐसी बन जाती है कि पौधों की जड़ें तेजी से फैलती हैं और फसल मजबूत होती है.कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों को पावर वीडर खरीदने पर 30% से 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है. किसान अपने नजदीकी कृषि विभाग या CSC केंद्र से आवेदन कर सकते हैं. छोटा पावर वीडर न सिर्फ खेती को आसान बना रहा है, बल्कि किसानों की लागत घटाकर उनकी आमदनी बढ़ाने का काम भी कर रहा है. बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में यह मशीन अब “किसान का सच्चा साथी” बन चुकी है

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