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उत्तर भारत के महापर्व छठ को लेकर रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग समेत पूरे प्रदेशभर में तैयार हो चुका है. नहाए खाए में सात्विक भोजन खाकर व्रतियों ने महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि है, जिसे सनातन परंपरा में छठ महापर्व के रूप में जाना जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य और इस पावन तिथि की देवी षष्ठी यानि छठी मैया को समर्पित है. लोक-आस्था से जुड़े इस पावन पर्व के तीसरे दिन आज आस्थावान लोग पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हुए शाम के समय सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देकर अपने परिवार और संतान की मंगलकामना करेंगे. वहीं आज तीसरे दिन डूबते सूर्य को व्रती महिलाएं और पुरुष अर्ध्य देंगे. घरों में जहां आज मिट्टी के चूल्हे बनाए गए तो गेंहू, चावल धोकर सुखाए गए. बीते कल खरना के साथ ही तीन दिनों का कठिन व्रत भी शुरू हो चुका है. रविवार को खरना को लेकर सुबह से व्रतियों ने अपने-अपने घरों में तैयारी शुरू कर दी। शहरी क्षेत्र के कई मोहल्लों में कुआं से श्रद्धालु पात्र में जल भरकर खरना का प्रसाद बनाने के लिए ले गए। शहर के पुरानी बाजार महावीर स्थान स्थित कुआं पर जल भरने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी रही। जिन लोगों ने गंगा स्नान कर गंगा जल घर ले गए, उन्होंने गंगा जल का प्रयोग प्रसाद बनाने में किया। वही मंगलवार की सुबह उगते सूर्यदेव की आराधाना के बाद यह व्रत पूरा होगा.
छठ पूजा- आज डूबते सूर्य को अर्ध्य देंगी व्रती महिलाएं …
Monday, October 27, 2025
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उत्तर भारत के महापर्व छठ को लेकर रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग समेत पूरे प्रदेशभर में तैयार हो चुका है. नहाए खाए में सात्विक भोजन खाकर व्रतियों ने महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गई है. आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि है, जिसे सनातन परंपरा में छठ महापर्व के रूप में जाना जाता है. यह पर्व भगवान सूर्य और इस पावन तिथि की देवी षष्ठी यानि छठी मैया को समर्पित है. लोक-आस्था से जुड़े इस पावन पर्व के तीसरे दिन आज आस्थावान लोग पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हुए शाम के समय सूर्यदेव को संध्या अर्घ्य देकर अपने परिवार और संतान की मंगलकामना करेंगे. वहीं आज तीसरे दिन डूबते सूर्य को व्रती महिलाएं और पुरुष अर्ध्य देंगे. घरों में जहां आज मिट्टी के चूल्हे बनाए गए तो गेंहू, चावल धोकर सुखाए गए. बीते कल खरना के साथ ही तीन दिनों का कठिन व्रत भी शुरू हो चुका है. रविवार को खरना को लेकर सुबह से व्रतियों ने अपने-अपने घरों में तैयारी शुरू कर दी। शहरी क्षेत्र के कई मोहल्लों में कुआं से श्रद्धालु पात्र में जल भरकर खरना का प्रसाद बनाने के लिए ले गए। शहर के पुरानी बाजार महावीर स्थान स्थित कुआं पर जल भरने के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी रही। जिन लोगों ने गंगा स्नान कर गंगा जल घर ले गए, उन्होंने गंगा जल का प्रयोग प्रसाद बनाने में किया। वही मंगलवार की सुबह उगते सूर्यदेव की आराधाना के बाद यह व्रत पूरा होगा.
छठ पूजा में संध्या अर्घ्य की पूजा का महत्व
हिंदू धर्म का यह एकमात्र ऐसा पर्व है, जिसमें भगवान सूर्य देव को संध्या के समय अर्घ्य दिया जाता है. छठ की इस पूजा को लेकर मान्यता है कि शाम के समय जब व्रती लोग संध्या अर्घ्य देते हैं, उस समय भगवान सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. ऐसे समय में व्रत करने वाले लोग अपने परिवार एवं संतान की मंगलकामना लिए हुए उन्हें अर्घ्य प्रदान करते हैं.
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