इस बार तीन शुभ नक्षत्रों के साथ होगा कान्हा का आगमन
जन्माष्टमी का पर्व हर साल भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए एक विशेष महत्व रखता है. इस बार, यह पर्व और भी खास हो गया है क्योंकि यह कुछ अत्यंत शुभ नक्षत्रों और योगों के साथ मनाया जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस बार कुछ ऐसे संयोग बन रहे हैं जो इस उत्सव को और भी पवित्र और फलदायी बना रहे हैं. जन्माष्टमी का पर्व हर साल भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए बेहद खास होता है, लेकिन इस बार यह और भी पावन और फलदायी बन रहा है. वजह है, एक साथ बनने वाले बहुत ही शुभ नक्षत्र और अद्भुत योग. पंचांग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त को मनाई जाएगी और इस दौरान ऐसे संयोग बनेंगे जो हर धार्मिक कार्य का फल कई गुना बढ़ा देंगे. इस बार जन्माष्टमी पर तीन विशेष नक्षत्रों की उपस्थिति भी इस पर्व को और भी खास बना रही है. ये नक्षत्र हैं भरणी, कृतिका, और रोहिणी. इन शुभ योगों और नक्षत्रों के साथ जन्माष्टमी मनाने से भक्तों को विशेष लाभ मिल सकता है. जो भक्त इस दिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना, व्रत, और दान करेंगे, उन्हें भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होगा. यह समय न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए, बल्कि जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने के लिए भी उत्तम माना जाता है.
जन्माष्टमी की तिथि और समय
पंचांग के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि 15 अगस्त की रात 11:48 बजे से शुरू होगी, जो 16 अगस्त को पूरे दिन रहेगी. ज्योतिषियों का मानना है कि चूंकि भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था, इसलिए 15 अगस्त की रात को ही उनका जन्मोत्सव मनाना शुभ रहेगा. हालांकि, उदया तिथि के कारण 16 अगस्त को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी.
बन रहे हैं ये विशेष शुभ योग
इस साल जन्माष्टमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं जो इस पर्व के महत्व को कई गुना बढ़ा रहे हैं. अमृतसिद्धि योग और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग 16 अगस्त को बन रहा है. ये दोनों योग किसी भी धार्मिक कार्य के लिए बहुत ही शुभ माने जाते हैं. इनका प्रभाव इतना शक्तिशाली होता है कि इन योगों में किए गए पूजा-पाठ, व्रत, और दान का फल कई गुना अधिक मिलता है.
अमृत सिद्धि योग: इस योग में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
सर्वार्थ सिद्धि योग: इस योग को सभी कार्यों की सिद्धि के लिए सबसे शुभ माना जाता है. इस दौरान किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल निश्चित रूप से मिलता है.
तीन शुभ नक्षत्रों का संयोग
रोहिणी नक्षत्र: भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए इस नक्षत्र को जन्माष्टमी के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस नक्षत्र का संयोग 17 अगस्त की सुबह 4:38 बजे से शुरू होगा, लेकिन तिथि के अनुसार पर्व का जश्न 15 और 16 अगस्त को ही मनाया जाएगा. इस नक्षत्र में पूजा करने से भगवान कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
भरणी और कृतिका नक्षत्र: इन नक्षत्रों में भी जन्माष्टमी का पर्व पड़ रहा है, जो इसे और भी अधिक शुभ और फलदायी बना रहा है. इन नक्षत्रों के शुभ प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है.