हाथ में डंडा, मुंह में सीटी, मन में आत्मविश्वास-सीटी की आवाज सुनते ही बदमाशों और शराबियों के बीच भर जाता है इनका खौफ
बिलासपुर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदिवासी बाहुल्य गांव जूहली है, जहां की महिलाएं नशे के खिलाफ लामबंद हैं. गांव को नशामुक्त बनाने के लिए महिलाएं एकजुट हो चुकी हैं. एक हाथ में डंडा और सीटी बजाते हुए जब महिलाओं की टोली निकलती है तो शराबियों, नशेड़ियों और अपराधियों के पसीने छूट जाते हैं. बिलासपुर जिले के सीपत थाना क्षेत्र में महिला कमांडो की धमक से असामाजिक तत्वों और नशेड़ियों की शामत आ गई है. महिलाओं ने बताया कि वो हर रविवार को बैठक करती हैं, जिसमें लोगों की समस्याओं पर चर्चा की जाती है. इस बैठक में गांव के सरपंच, पंच और जनता सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं उपस्थित रहती हैं. इस बैठक में गांव को सुदृढ़, समृद्ध, सुन्दर और शिक्षित गांव बनाने के लिए चर्चा की जाती है. दरअसल शराब के नशे के चलते घर के जेवर तक बिक जाते हैं. कई परिवार आर्थिक संकट सहित स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक तिरस्कार का सामना करते हैं. ऐसे में गांव को नशामुक्त बनाने के लिए महिला कमांडो की पहल की सभी सराहना कर रहे हैं. गांव की इस मुहिम से अन्य गांव के लोग भी अपने गांव में ऐसी टीम बनाने की कवायद में जुटे हैं.
महिला कमांडो टीम की सदस्य ने बताया कि नशामुक्त और आदर्श ग्राम बनाने के उद्देश्य से महिला कमांडो की टीम बनाई गई है. करीब 300 महिला कमांडो की टीम लगातार गांव के बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित है. महिला कमांडो टीम की सदस्य बताती हैं कि एक समय था जब गांव में कच्ची महुआ शराब की बिक्री चरम पर थी. गांव के कई नौजवानों को सड़क हादसे सहित बीमारी से अपनी जान गंवानी पड़ी. वनांचल क्षेत्र होने के कारण लगातार युवा नशे की गिरफ्त में आ रहे थे. इस गांव के लिए नशा एक बड़ा रूप लेकर चुनौती बन गया था.
बच्चों के भविष्य के लिए ये संघर्ष जरूरी
महिलाओं ने बताया कि गांव में नशे के चलते लड़ाई, झगडे़, मारपीट तक की नौबत आ रही थी, इसलिए हमने ठाना की चाहे जो करना पड़े, हम करेंगे. लेकिन शराब, गांजा बन्द कराकर गांव को नशामुक्त बनायेंगे. महिलाओं ने एक बैठक की और गली मोहल्लों या घरों में अवैध शराब बेचते या पीते शिकायत मिलने पर दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्णय लिया.
अब गांव में है शांति
महिलाओं का कहना है कि 15 साल से आज तक गांव का एक भी मामला पुलिस थाना तक नहीं पहुंचा है. गांव की हर समस्या गांव तक सीमित रहती है. गांव में ही समाधान हो जाता है.
महिला कमांडो को देख छूट जाते हैं पसीने
पुलिस का मिलता है सहयोग: महिला कमांडो की इस मुहिम को पुलिस की भी मदद मिल रही है. सीपत थाना प्रभारी गोपाल सतपथी ने बताया कि नशा केवल व्यक्ति विशेष को ही नहीं बल्कि उसके पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है. उन्होंने बताया, ''जब मैंने इस थाने की कमान संभाला तो जुहली गांव का एक भी अपराध इस थाने में पंजीबद्ध नहीं था. मुझे जिज्ञासा हुई और गांव को देखने और लोगों को समझने गांव पहुंचा तो पता चला कि महिलाओं की टीम ने गांवों की सुरक्षा सहित समाज को सही दिशा देने का जिम्मा उठाया है.''
थाना प्रभारी ने दिखाया रास्ता: सीपत थाना प्रभारी ने बताया कि सामाजिक हित की मुहिम को सफल बनाने के लिए बस इन्हें प्रशासन के सहयोग की जरूरत थी. लिहाजा इन्हें एसएसपी रजनेश सिंह और एडिशनल एसपी ग्रामीण अर्चना झा ने महिला कमांडो की जिम्मेदारी सौंपकर इनका मनोबल बढ़ाया और अब हर संभव सहयोग भी कर रहे हैं.
जुहली गांव की महिलाओं ने दिखाया दम
पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने चेतना अभियान के माध्यम से ग्राम जुहली की महिलाओं को चेतना प्रहरी का दर्जा दिया है. उन्होंने कहा कि ''इन महिलाओं ने न सिर्फ गांव बल्कि जिले और प्रदेश को गौरवांवित किया है. आने वाले समय में वनांचल ग्राम जुहली का नाम प्रदेश स्तर पर सामने आने वाला है.'' उन्होंने महिला कमांडो के जज्बे को सलाम करते हुए उनके कार्यों की तारीफ की.
बदल रहा गांव का माहौल:
सीपत थाना क्षेत्र के जुहली गांव में एकजुटता के साथ शांति का वातावरण है. यह गांव, उन सभी गांवों के लिए उदाहरण है, जो लगातार अपराध की गिरफ्त में हैं. अब महिला कमांडो को देखकर अन्य गांव के लोग भी इनसे प्रोत्साहित हो रहे हैं.