महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए योग केवल व्यायाम नहीं, बल्कि एक संपूर्ण जीवनशैली है
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने किया योगाभ्यास
आज की दौड़ती-भागती जि़ंदगी में जहाँ मानसिक तनाव, नींद की कमी, और शारीरिक बीमारियाँ आम होती जा रही हैं, वहीं योग हमें संतुलन का रास्ता दिखाता है। यह केवल शरीर को लचीलापन ही नहीं देता, बल्कि मन को भी स्थिर करता है। जब हम कहते हैं एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य, तो इसका मूल अर्थ यही है — कि अगर हम खुद स्वस्थ होंगे, तो हमारा समाज और पर्यावरण भी उसी ऊर्जा को महसूस करेगा।
हर वर्ष 21 जून को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस न केवल एक दिन का उत्सव है, बल्कि यह हमें याद दिलाता है कि योग एक जीवनशैली है-जो हमें शरीर, मन और आत्मा से जोड़ता है। इस वर्ष की थीम "Yoga for One Earth, One Health" वास्तव में यह दर्शाती है कि योग का अभ्यास न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि संपूर्ण पृथ्वी के संतुलन और सामूहिक कल्याण के लिए भी आवश्यक है। इस साल की थीम सिर्फ एक नारा नहीं है, यह एक जिम्मेदारी है — अपनी और इस धरती की सेहत की जिम्मेदारी। इस बार के आयोजन में योग संगम जैसे इवेंट देशभर में 1 लाख से अधिक स्थानों पर हो रहे हैं, जो योग को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास हैं।योग हर वर्ग के लिए लाभकारी है -बस आवश्यकता है इसे समझकर, अपनाकर और नियमित रूप से अभ्यास करने की।
क्यों मनाते हैं 21 जून को योग दिवस?
21 जून को इसलिए चुना गया क्योंकि यह साल का सबसे लंबा दिन होता है और यह आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत खास माना जाता है। 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता दी। 2015 में दिल्ली में हुए पहले योग दिवस ने ही दो वर्ल्ड रिकॉर्ड बना डाले।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज जशपुर जिला मुख्यालय में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में हजारों लोगों के साथ योगाभ्यास किया और सभी को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि योग कोई नई पद्धति नहीं, बल्कि हमारी प्राचीन सनातन परंपरा का अभिन्न अंग है, जिसे ऋषि-मुनियों ने विकसित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, जिसके परिणामस्वरूप 2015 से प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में विश्वभर में मनाया जा रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आज 175 से अधिक देशों में योग की गूंज सुनाई देती है। मुख्यमंत्री के साथ जनप्रतिनिधियों, स्कूली छात्र-छात्राओं, अधिकारियों, कर्मचारियों और आम नागरिकों ने उत्साहपूर्वक योगाभ्यास में भाग लिया। योग प्रशिक्षकों ने चक्रासन, अर्धचक्रासन, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, प्राणायाम, वज्रासन सहित विभिन्न आसनों का अभ्यास कराया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि दिन के 24 घंटों में से कुछ समय योग के लिए अवश्य निकालें। इससे न केवल गंभीर बीमारियां दूर होती हैं, बल्कि भविष्य में रोग होने की संभावना भी कम होती है। उन्होंने जेनेरिक दवाओं के उपयोग पर बल देते हुए कहा कि ये दवाएं प्रभावी, सुलभ और किफायती हैं। मुख्यमंत्री ने स्कूली बच्चों की बड़ी संख्या में भागीदारी की सराहना करते हुए कहा कि योग से बच्चों का मन शांत होता है और पढ़ाई में ध्यान केंद्रित होता है।
महिलाओं के लिए योग-आत्मबल और संतुलन का माध्यम
महिलाओं की दिनचर्या में शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्तर पर कई उतार-चढ़ाव आते हैं। योग न केवल हार्मोनल संतुलन बनाने में मदद करता है, बल्कि आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति भी प्रदान करता है। अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, तितली आसन, त्रिकोणासन और बद्धकोणासन जैसे अभ्यास स्त्रियों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। मासिक धर्म, थायरॉइड, पीसीओडी जैसी समस्याओं से राहत पाने के लिए भी नियमित योग अपनाना उपयोगी है।
बच्चों के लिए योग- एकाग्रता और अनुशासन की नींव
आज के समय में बच्चों का ध्यान भटकना, स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना, और मानसिक तनाव आम हो गया है। योग से बच्चों में अनुशासन, शारीरिक लचीलापन और मानसिक एकाग्रता आती है।
वृक्षासन, ताड़ासन, सूर्य नमस्कार, शशकासन और प्राणायाम की सरल विधियाँ बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक मजबूती भी प्रदान करती हैं। यदि माता-पिता बच्चों के साथ मिलकर योग करें, तो यह एक सुखद और प्रेरणादायी अनुभव बन सकता है।
बुजुर्गों के लिए योग- स्वस्थ और सम्मानजनक उम्र का सहारा
बुजुर्गों के लिए योग जीवन की रफ्तार को थामने और शांति से जीने का साधन है। नियमित योग से जोड़ों का दर्द, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप और श्वसन संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है। वज्रासन, मकरासन, पवनमुक्तासन और धीमी गति के प्राणायाम जैसे कपालभाति व अनुलोम-विलोम बुजुर्गों के लिए सरल और प्रभावशाली उपाय हैं।
योग किसी वर्ग, लिंग या उम्र का बंधन नहीं है - यह सबके लिए है। यदि हम प्रतिदिन कुछ समय योग और प्राणायाम को दें, तो न केवल हम स्वयं स्वस्थ रहेंगे, बल्कि हमारा परिवार, समाज और पर्यावरण भी संतुलित बनेगा।