लोगों की पहली पसंद बनी ताड़ी, गांवों में बढ़ी इसकी मांग - CGKIRAN

लोगों की पहली पसंद बनी ताड़ी, गांवों में बढ़ी इसकी मांग


बिलासपुर जिले के कई गांवों में गर्मी के बीच सड़कों किनारे ताड़ी बेचते लोग आम नजारा बन चुके हैं. यहां सुबह से ही ताड़ी पीने वालों की भीड़ लग जाती है. गांवों में यह पेय सिर्फ स्वाद के लिए नहीं बल्कि पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए भी पिया जाता है.ताड़ी एक पारंपरिक पेय है जो ताड़ के पेड़ से निकले रस से तैयार किया जाता है. इसका स्वाद मीठा और हल्का कसैला होता है. लोग राहत की तलाश में तरह-तरह के ठंडे पेय की ओर रुख करते हैं, तब छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में एक पारंपरिक पेय 'ताड़ी' लोगों को ठंडक देने के साथ-साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है. ताड़ के पेड़ से निकला यह पेय, जिसे देसी बियर भी कहा जाता है, अब स्थानीय बाजारों में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.

महिला विक्रेता बताती हैं कि वे रोजाना 20 ताड़ के पेड़ों से ताड़ी निकालती हैं और उसे बेचती हैं. रोजाना चार से पांच डिब्बा ताड़ी बिक जाती है. प्रति गिलास इसकी कीमत ₹20 होती है और इसे पीने के बाद पेट की सफाई के साथ कई समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. ताड़ी पीने वाले  कहते हैं, "जब भी रास्ते से गुजरता हूं और ताड़ी देखता हूं तो जरूर पीता हूं. यह पेट को पूरी तरह से साफ कर देता है और शरीर को ठंडक देता है. मैं इसे रोजाना पीता हूं और कई बार घर भी पैक कराकर ले जाता हूं. यह प्राकृतिक रूप से बना है, इसलिए नुकसान नहीं करता, बल्कि फायदा ही करता है."

ताड़ी को प्लास्टिक के छोटे मग में परोसा जाता है, जिसमें स्वाद बढ़ाने के लिए नमक और मिर्च पाउडर मिलाया जाता है. इससे इसका स्वाद और भी लाजवाब हो जाता है. कई लोग एक साथ दो-तीन गिलास तक पी जाते हैं और कुछ लोग तो पैक कराकर घर भी ले जाते हैं. ग्रामीणों के बीच ताड़ी की मांग लगातार बढ़ रही है. प्राकृतिक और सेहतमंद विकल्प के रूप में यह अब कोल्ड ड्रिंक और बाजारू जूस का देसी विकल्प बनती जा रही है. सैकड़ो की संख्या में रोजाना ताड़ी पीने पहुंच रहे हैं लोग. 

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