जल संरक्षण योजना के लिए छत्तीसगढ़ को मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार - CGKIRAN

जल संरक्षण योजना के लिए छत्तीसगढ़ को मिला प्रधानमंत्री पुरस्कार


 सिविल सर्विस डे पर जब विज्ञान भवन में देशभर के अफसरों को सम्मानित किया जा रहा था, तब छत्तीसगढ़ भी  सुर्खियों में थी। धमतरी जिले की पूर्व कलेक्टर IAS नम्रता गांधी  जिन्हें प्रधानमंत्री लोक प्रशासन उत्कृष्टता पुरस्कार 2023 से नवाजा गया। जीआईएस आधारित जल संरक्षण योजना के सफल संचालन के लिए छत्तीसगढ़ ने उपलब्धि हासिल की है. 21 अप्रैल को सिविल सर्विस डे के अवसर पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में आईएएस नम्रता गांधी को प्रधानमंत्री पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया गया। उन्होंने धमतरी में कलेक्टर रहते हुए अपने कार्यकाल के दौरान जिले में पानी की समस्या को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण पर विशेष काम किया था।नम्रता गांधी की पहल पर जिले के पुराने तालाबों की सफाई और उनका पुनर्जीवन किया गया। 225 से अधिक इंडस्ट्रियल यूनिट्स ने भी पानी बचाने के लिए भूजल बोर्ड के मानकों पर आधारित संरचनाएं बनाई। राइस मिलों में वाटर फ्लो मीटर लगे। गांवों में डाईक और डबरियां बनीं। आदिवासी इलाकों में विशेष ध्यान दिया गया। नम्रता गांधी ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद इसे टीम धमतरी को समर्पित किया है। नम्रता गांधी ने अपने संदेश में कहा कि जल संरक्षण और फसल चक्र परिवर्तन जैसे व्यापक विषयों पर सफलता केवल टीम वर्क से ही संभव है। सभी की भागीदारी से धमतरी में पानी बचाने और इसके प्रति आमजनों को जागरूक करने के लिए जो प्रयास किया गया, यह पुरस्कार उसकी सफलता को स्वयं ही बताता है। नम्रता गांधी ने जिले के सभी अधिकारियों-कर्मचारियों, जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओ, औद्योगिक संस्थानों के साथ-साथ सभी जिलेवासियों को भी इस पुरस्कार के मिलने पर बधाई और शुभकामनाएं दी है और उन सभी के सकारात्मक सहयोग के लिए आभार भी व्यक्त किया है।

जिले के सभी बड़े भवनों, निजी स्कूलों, अस्पतालों, रेस्टोरेंटों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और रूफ टॉप स्ट्रक्चर बनाना अनिवार्य किया गया। पानी की समस्या से जूझने वाले गांवों में जरूरी बैठकें कर जल संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक किया गया, उन्हें रैन वाटर हार्वेस्टिंग, रूफटॉप स्ट्रक्चर, बेस्ट वाटर मैनेजमेंट की तकनीकों की जानकारी दी गई। इस अभियान में जनजागरूकता के लिए जिला स्तर पर अधिकारियों, निजी संस्थान संचालकों की कार्यशालाएं आयोजित की गईं। रैलियों, प्रभात फेरियों, दीवार लेखन-नुक्कड़ नाटकों के साथ-साथ आधुनिक प्रचार-प्रसार के तरीकों एनीमेटेड वीडियो-ऑडियो आदि के माध्यम से लोगों में जल संरक्षण की अलख जगाई गई। इस काम में स्वयं सेवी संस्थाओं की भी मदद ली गई।

फसल चक्र परिवर्तन के बारे में गांवों में फैलाई जागरूकता

ग्राम पंचायतों में फसल चक्र परिवर्तन के बारे में जागरूकता फैलाई गई। स्थानीय स्तर पर पेड़ लगाने, पेड़ों पर रक्षासूत्र बांधने, शादी-ब्याह और उत्सवों में बहू-बेटियां को उपहार में पौधे देने जैसे सफल प्रयोग किए गए। इस अभियान की सफलता में तत्कालीन कलेक्टर नम्रता गांधी के नेतृत्व में शहरी और ग्रामीण सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। नगरीय क्षेत्रों के तालाबों की सफाई से लेकर निस्तारी पानी और बारिश के पानी की समुचित निकासी करने, ड्रेनेज सिस्टम विकसित करने के लिए भी योजना बनाई गई। भारतीय जैन संगठना, साथी समूह जैसी कई स्वयं सेवी संस्थाओं ने भी इस काम में सहयोग किया। तालाबों को पुनर्जीवित कर जलधारण क्षमता बढ़ाई गई।


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