शासकीयकरण की मांग पर अड़े पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत का कामकाज ठप्प
पंचायत सचिवों के शासकीयकरण की मांग को लेकर प्रदेशभर में सचिवों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इसी कड़ी में कोंडागांव जिले के 288 पंचायत सचिव अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन पर बैठ गए हैं, जिससे ग्राम पंचायतों के कार्य ठप हो गए हैं। पंचायत सचिवों के हड़ताल पर चले जाने के कारण ग्राम पंचायतों का कार्य पूरी तरह से ठप हो जाएगा। चूंकि अभी पंचायत चुनाव हुए हैं और अधिकतर पंचायतों में नए पंचायत प्रतिनिधि है। मतलब सरपंच और पंच बिलकुल नए हैं। उन्हें पंचायत के कामकाज की जानकारी ही नहीं। सचिवों का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तो वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। आंदोलन के चलते पंचायतों के दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत सचिवों के हड़ताल पर चले जाने के कारण ग्राम पंचायतों का कार्य पूरी तरह से ठप हो जाएगा। चूंकि अभी पंचायत चुनाव हुए हैं और अधिकतर पंचायतों में नए पंचायत प्रतिनिधि है। मतलब सरपंच और पंच बिलकुल नए हैं। उन्हें पंचायत के कामकाज की जानकारी ही नहीं।
प्रदेश पंचायत सचिव संघ के अनुसार, विधानसभा चुनाव 2023-24 में मोदी गारंटी के तहत पंचायत सचिवों के शासकीयकरण का वादा किया गया था। इसके तहत 7 जुलाई 2024 को रायपुर के इंडोर स्टेडियम में मुख्यमंत्री समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने जल्द शासकीयकरण का भरोसा दिया था। 16 जुलाई 2024 को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा समिति गठित कर 30 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बावजूद सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिससे सचिवों में भारी नाराजगी है।
प्रदेश पंचायत सचिव संघ ने 10 मार्च 2025 को कवर्धा में बैठक कर आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की। इसके तहत 17 मार्च को विधानसभा घेराव, 18 मार्च से जनपद मुख्यालयों में अनिश्चितकालीन हड़ताल और 1 अप्रैल को मंत्रालय घेराव करने का निर्णय लिया गया है। कोंडागांव जिले के पंचायत सचिव भी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं।
सचिवों का कहना है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं तो वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। आंदोलन के चलते पंचायतों के दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं, जिससे ग्रामीणों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह पंचायत सचिवों की मांगों पर जल्द निर्णय ले।
हर बार केवल भरोसा मिला
सचिवों का कहना है कि इस मांग को लेकर पहले भी कई बार आंदोलन और हड़ताल हो चुकी हैं, मगर हर बार सरकार की तरफ से केवल आश्वासन मिला। समस्या जस की तस बनी हुई है। हड़ताल के चलते पंचायतों में चल रहे शासकीय कार्य प्रभावित हो रहे हैं। खासतौर पर प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे महत्वपूर्ण सर्वे और अन्य योजनाओं के कार्य रुकने की स्थिति बन गई है।