इस बार हर्बल गुलाल से महकेगी होली, महिलाओं का प्रयास पर्यावरण संरक्षण को दे रहा बढ़ावा
रायपुर की स्व-सहायता समूह की महिलाएं इस होली के लिए हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं, जिससे न केवल उन्हें आर्थिक लाभ हो रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है. गोवर्धन महिला स्व-सहायता समूह ने यह पहल लगभग चार साल पहले बतौर प्रयोग शुरू की थी, जो अब एक सफल व्यवसाय बन चुका है. इस बार खाटू श्याम मंदिर के लिए 1 टन और संबलपुर के लिए 300 किलो हर्बल गुलाल के बड़े ऑर्डर मिले हैं. रायपुर के जरवाय स्थित गौठान में इन दिनों महिलाएं हर्बल गुलाल बनाने में व्यस्त हैं. टेसू, गेंदा और गुलाब के फूलों का उपयोग कर प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जा रहा है, जो न केवल त्वचा के लिए सुरक्षित होगा बल्कि उसमें फूलों की प्राकृतिक खुशबू भी होगी. महिलाएं इन फूलों को सुखाने के बाद उन्हें बारीक पीसकर गुलाल में तब्दील कर रही हैं. महिलाओं का यह प्रयास न केवल उन्हें आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है. रासायनिक रंगों की तुलना में यह हर्बल गुलाल पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित है, जिससे जल और मिट्टी प्रदूषण भी कम होगा. इस प्रकार, रायपुर की ये महिलाएं अपनी मेहनत और लगन से होली के त्योहार को खुशहाल और सुरक्षित बना रही हैं.
इस बार होली को और भी खास बनाने के लिए रायपुर की स्व-सहायता समूह की महिलाएं पूरी तैयारी में जुट गई हैं. ये महिलाएं फूलों की खुशबू और उनके प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर हर्बल गुलाल बना रही हैं. इस प्रयास से न सिर्फ लोगों को प्राकृतिक और सुरक्षित रंग मिलेंगे, बल्कि महिलाओं को भी आर्थिक लाभ मिलेगा.
गोवर्धन महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने यह कार्य लगभग चार साल पहले प्रयोग के तौर पर शुरू किया था. धीरे-धीरे इस प्रयास को पहचान मिलने लगी और अब यह एक सफल व्यवसाय का रूप ले चुका है. इस बार खाटू श्याम मंदिर और संबलपुर से बड़े ऑर्डर मिले हैं. खाटू श्याम मंदिर के लिए 1 टन और संबलपुर के लिए 300 किलो हर्बल गुलाल का ऑर्डर मिला है. प्रति किलो गुलाल की कीमत 100 रुपए निर्धारित की गई है, जिससे यह महिलाएं अच्छी आमदनी कर सकती हैं.