पंचायत चुनाव में सरपंच प्रत्याशी का अनोखा प्रचार, द्वार-द्वार साष्टांग प्रणाम करके मांग रहे वोट - CGKIRAN

पंचायत चुनाव में सरपंच प्रत्याशी का अनोखा प्रचार, द्वार-द्वार साष्टांग प्रणाम करके मांग रहे वोट

मुनुंद गांव में 2300 मतदाता और 350 मकान हैं.,  सुरेंद्र यादव ने 300 घरों में जाकर वोट मांगे.


चुनावों में नेता अक्सर आपको ये कहते मिल जाएंगे कि मतदाता उनके लिए भगवान हैं लेकिन छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में सरपंच पद का एक ऐसा प्रत्याशी है जो वाकई नेताओं को भगवान मान कर चुनाव प्रचार कर रहा है. वो हर परिवार के पास जब भी वोट मांगने के लिए पहुंच रहे हैं तो बकायदा पैरों पर लेट कर वोट मांग रहे हैं. जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पंचायत मुनुंद में वोटरों को लुभाने के लिए प्रत्याशी अजब- गजब टाइप की हरकत कर रहे हैं. यहां सरपंच पद के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव गांव के मतदाताओं के द्वार जमीन पर लोट मारते पहुंच रहे हैं और उन्हें फूल, दुब सहित नारियल भेंट कर आशीर्वाद मांग रहा है, और गांव में ईमानदार सरकार बनाने की अपील कर रहे हैं.

 छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा  जिले की ग्राम पंचायत मुनुंद में सरपंच पद के प्रत्याशी सुरेंद्र यादव ने चुनाव प्रचार का अनोखा तरीका अपनाया है. वे मतदाताओं के घरों तक जमीन पर लोट मारते हुए पहुंच रहे हैं. यही नहीं वहां पहुंचने के बाद सुरेन्द्र लोगों को फूल, दूब और नारियल भेंट कर आशीर्वाद मांग रहे हैं. इसके साथ ही वे बताते हैं कि उनका चुनाव चिन्ह अनाज बरसाता किसान है और इसी पर वोट देकर उन्हें विजयी बनाने का आशीर्वाद दें. उन्होंने जनता से ईमानदार सरकार बनाने की अपील की है. 

सुरेंद्र यादव से जब पूछा गया कि वे चुनाव प्रचार का ये अनोखा तरीका क्यों अपना रहे हैं तो उन्होंने बताया कि इस बार ग्राम पंचायत चुनाव में कुल 7 प्रत्याशी मैदान में हैं और सभी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं. इसी को देखते हुए उन्होंने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक घर-घर जाकर प्रचार करने की योजना बनाई है. प्रत्याशी सुरेंद्र यादव ने बताया कि वे मतदाताओं (मत विधाता) को नारियल, फूल और दूब और अपना घोषणा पत्र पंपलेट देकर आशीर्वाद मांग रहे हैं और जनता से सिर्फ एक मौका देने की अपील कर रहे हैं, उन्होंने कहा है की हर मतदाता मेरे लिए महादेव के समान है, मैं अपने प्रयास से जनता का दिल जीतने आया हूं. और बताया कि उनके डरा इससे पहले भी सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें 15 मतों से हार का सामना करना पड़ा था इस बार उन्होंने अपनी चुनावी तरीका को बदला है.  उनका यह अंदाज गांव में चर्चा का विषय बन गया है. अब 20 फरवरी को होने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता उनके प्रयासों को कितना समर्थन देती है. 

                                                                                                                                                

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