छत्तीसगढ़ मेंआज धूमधाम से मनाया जाएगा पोला तिहार
पोला तिहार छत्तीसगढ़ में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में पोला और तीजा खास महत्व रखता है. तीजा और पोला पर्व में महिलाएं अपने मायके में इस पर्व को मनाने के लिए आती हैं. मायके से मिला हुआ साड़ी पहनकर महिलाए तीजा का पर्व मनाती हैं. आज सोमवार को पूरे छत्तीसगढ़ में पोला तिहार धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. पोला पर्व की तैयारियां घर घर शुरु हो चुकी हैं. घरों में पारंपरिक मिठाई और नमकीन बनने की शुरुआत हो चुकी है. मिठाई खुरमी और नमकीन ठेठरी का पोला पर्व में बनाया जाना खास होता है. मिट्टी के बने बैलों की भी इस बार अच्छी डिमांड है. पोला पर्व पर मिट्टी के बने खिलौने बच्चों को खूब भाते हैं. मिट्टी के बैल और खिलौने की पूजा भी पोला पर्व के दिन की जाती है. पोला पर्व में छत्तीसगढ़ी पकवान ठेठरी, खुरमी जैसे पारंपरिक पकवान भी बनाए जाते हैं. पोला का पर्व किसानों का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है. पोला पर्व किसानों और खेतीहर मजदूर के लिए विशेष महत्व रखता है.
पोला पर्व पर बैलों को लेकर कहा जाता है कि बैल किसान के बेटे की तरह होते हैं. पोला पर्व पर किसान बैलों की खास तौर से पूजा करते हैं. खेती किसानी में बैलों का सबसे अहम काम होता है. पोला पर्व पर किसान बैलों की पूजा कर उनके प्रति सम्मान जताते हैं. कुल मिलाकर यह पर्व किसानों के बैलों के उत्सव का पर्व है.
"भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को पोला का पर्व मनाया जाता है. ऐसा माना गया है की बैल भगवान का स्वरूप है और इस वजह से इसकी पूजा की जाती है. छत्तीसगढ़ या फिर भारत के जितने भी कृषि से जुड़े गांव हैं उनके लिए यह पर्व विशेष महत्व रखता है. गाय बछड़े की पूजा होने के साथ ही बैलों को सजाया जाता है''. - पंडित प्रियाशरण त्रिपाठी ज्योतिष एवम वास्तुविद
गाय और बैलों की होती है पूजा: गाय और बैलों को लक्ष्मी जी के रूप में देखा जाता है और इसे पूजनीय माना गया है. पोला पर्व में बैलों की विशेष रूप से पूजा आराधना की जाती है, जिनके पास बैल नहीं होते हैं वह मिट्टी के बैलों की पूजा आराधना करके चंदन टीका लगाकर उन्हें माला पहनाते हैं.