इस लोकसभा चुनाव में सिर्फ मोदी रहे चुनावी मुद्दा
देश में लोकसभा चुनाव 2024 का आज आखिरी दिन है। राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदशों में भी आज चुनाव खत्म हो जायेगा। आज चुनाव के बाद एक्जिट पोल एक्टिव हो जायेंगे पर वह सिर्फ अनुमान ही है। परिणाम तो 4 जून को ही पता चलेगा। आज आखिरी चरण का मतदान चल रहा है। देखने में यह आया है कि इस चुनाव में सिर्फ मोदी मोदी एंड मोदी ही चुनावी मुद्दा रहा। पक्ष के साथ विपक्ष भी मोदी का नाम लेने से नहीं चूके। हर किसी की जुबां पर सिर्फ मोदी ही रहा। चाहे वह मुद्दा कोई भी हो कैसा भी हो लेकिन हर समय मोदी का नाम ही आया है। भाजपा और सहयोगी दलों के लिए मोदी के काम पर और गारंटी पर फोकस किया गया तो वहीं विपक्ष के द्वारा मोदी विरोधी के नारे दिये गये। इस बार पक्ष ने अबकी बार 400 पार नारा दिया तो वहीं विपक्ष उनकों 150 सीटों तक ही पहुंचने की बात कह रही। ध्यान देने वाली बात तो यह है कि राजग के साथ-साथ विपक्ष भी किसी न किसी तरीके से मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ रहा है। मुद्दा मोदी ही बन गए हैं। चाहे वह पक्ष हो या विपक्ष सभी के मुख पर मोदी ही नाम आ रहा है। इस चुनाव में मोदी ही मुद्दा है। चाहे को हारे या जीते बस मोदी ही मोदी है।
2014 से लेकर अब तक न केवल लोकसभा, बल्कि अधिकतर विधानसभा चुनावों में भी भाजपा पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही मैदान में उतरती रही है। लेकिन 2024 का चुनाव थोड़ा अलग है और सबसे महत्वपूर्ण भी है। सही मायने में पहली बार चुनाव पूरी तरह सिर्फ मोदी के नाम और काम पर लड़ा गया है। राजग के लिए दस साल के कार्यकाल की मोदी की विश्वसनीयता मुद्दा रहा तो विपक्ष के निशाने पर भी मोदी ही रहे। पक्ष और विपक्ष के छोटे से बड़े नेताओं की जुबान पर मोदी ही रहे। ऐसे में बहुमत का कोई भी आंकड़ा भाजपा के लिए ऐतिहासिक साबित होगा, क्योंकि पूर्व में लगातार तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके जवाहर लाल नेहरू के समय विकल्पहीनता थी। जबकि इस बार विपक्ष ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी है। ऐसे में राजनीतिक रूप से इस जीत की व्यापकता किसी भी सरकार की जीत से बड़ी गिनी जाएगी। एक चर्चा जो चुनाव की घोषणा से पूर्व ही शुरू हुई और पूरे प्रचार अभियान के दौरान छाई रही वह थी- अबकी बार 400 पार।
शुरुआती दौर में इस बार 400 पार के नारे ने विपक्ष के मनोबल को तो ध्वस्त कर दिया लेकिन फिर विपक्ष को यह आरोप लगाने का मौका भी दिया कि भाजपा सत्ता में आई तो संविधान बदल देगी।
लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए पीएम मोदी ने जिम्मेदारी खुद अपने कंधों पर ली और मोदी की गारंटी से प्रचार अभियान शुरू हुआ। जगह-जगह उनकी सभाएं हुई। प्राय: सभी प्रदेशों में उनकी सभा का आयोजन किया गया। आत्मविश्वास इतना कि जबकि विपक्षी गठबंधन लोकलुभावन घोषणाओं की लंबी सूची बना रहा था, भाजपा की ओर से एक भी चुनावी घोषणा नहीं की गई। इससे पहले बता दें कि 2019 के चुनाव से पहले आयुष्मान भारत, मुफ्त एलपीजी, किसान सम्मान जैसी कई योजनाएं शुरू की गई थीं। लेकिन इस बार ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई सिर्फ मोदी की गारंटी ही नारों और वादों में दिखाई दी।
बीजेपी की ओर से 2024 में यह भरोसा दिलाया गया कि सरकार योजनाओं को चालू रखेगी। सच्चाई यह है कि मोदी सरकार को यह भरोसा है कि वह वापस आ रही है और इसीलिए कांग्रेस की तरह बड़ी लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा नहीं की क्योंकि किसी भी सरकार के लिए बड़ा वित्तीय बोझ उठाना मुश्किल होगा। जनवरी में जब राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ था तो जरूर अटकलें लगाई जा रही थीं कि इसका चुनाव में बहुत बड़ा भावनात्मक प्रभाव होगा। भाजपा नेताओं की ओर से राम मंदिर का जिक्र जरूर हुआ, लेकिन इसे मुद्दा बनाने की कोशिश नहीं हुई।
यदि इस बार नारा अबकी बार 400 पार ने सफलता पा ली तो यह 2029 के लिए शुभ संकेत होगा। इसका प्रभाव आने वाले अगले कुछ महीनो ेमें होने वाले विधानसभा चुनाव में भी असर डालेगा। जो भी हो चुनाव परिणाम आने मेें अब ज्यादा दिन नहीं है यदि भाजपा बहुमत पार कर जाती है तो इसका असर अगले कुछ महीनों में होने वाले तीन राज्यों के विस चुनाव में भी दिखेगा।