कांग्रेस के लोकसभा में हार का कारण कहीं हारे हुए मोहरों पर दांव खेलना तो नहीं...?
छत्तीसगढ़ में लगभग 6 महीने पहले विधानसभा चुनाव में कांगे्रस को करारी हार का सामना करना पड़ा था वैसे ही इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी साख बनाने में भी पीछे रह गये। इस बार प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से भाजपा 10 तो कांग्रेस केवल एक सीट ही जीत पाई। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस की बुरी हार की वजह पार्टी के भीतर मची अंतर्कलह, गुटबाजी, नेतृत्व क्षमता का अभाव हो सकता है। इसके अलावा कांग्रेस का टिकट वितरण फार्मूला भी इसके लिए जिम्मेदार रहा है। खासकर भ्रष्टाचार के मामले में फंसे नेताओं और विधानसभा चुनाव में हारे हुए नेताओं पर पार्टी ने दोबारा दांव खेला था, जबकि भाजपा ने आठ नए चेहरों को मैदान में उतारा था। कांग्रेस ने केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच व कार्रवाईयों की गिरफ्त में रहे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पार्टी ने राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया था। इस कारण से जनता है कि जनता ने कांगे्रस को शिरे से नकार दिया। जनता अब जागरूक हो चुकी है उसे पता है किसे वोट देना है और किसे नहीं देना है। पिछले कांगे्रस सरकार में भी इनकी अंतर्कलह ढाई-ढाई साल वाला मुख्यमंत्री बनने का फामूर्ला काफी चर्चा में रहा। लेकिन आखिरी तक इसका समाधान नहीं हो सका।
कांगे्रस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर महादेव आनलाइन सट्टा एप मामले में ईडी की जांच के बाद ईओडब्ल्यू भी एफआइआर कर जांच कर रही है। इसी तरह शराब घोटाले में आरोपित रहे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को भी कांग्रेस ने बस्तर से चुनावी मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं, चर्चित कोयला घोटाला मामले में आरोपित भिलाई के विधायक देवेंद्र सिंह यादव को भी कांग्रेस ने बिलासपुर से लोकसभा चुनाव का प्रत्याशी बनाया था। इन तीनों नेताओंं को पराजय का मुंह देखना पड़ा है। कांगे्रस की हार की एक कारण यह भी हो सकती है कि कांग्रेस ने इस चुनाव में विधानसभा चुनाव में हारे हुए नेताओं पर दांव खेला था। इसमें पूर्व गृह मंत्री व कांग्रेस नेता ताम्रध्वज साहू को महासमुंद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। वह विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण सीट पर भाजपा के ललित चंद्राकर से हार गए थे। जांजगीर-चांपा लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता डा. शिव डहरिया को कांग्रेस ने मैदान में उतारा था। डहरिया भी विधानसभा चुनाव 2023 में आरंग विधानसभा सीट से हार गए थे। उन्हें भाजपा के गुरु खुशवंत साहेब ने हराया था। इसी तरह रायपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने पूर्व विधायक विकास उपाध्याय को मैदान में उतारा था वह भी विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। कांकेर लोकसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस ने पिछली बार हुए लोकसभा चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी बीरेश ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा था।
इस बार लोकसभा चुनाव में कांगे्रस के वादों पर भी लोगों को विश्वास करना कठिन हो गया था। उन्होने अपनी बात लोंगों तक तो पहुंचाई पर उनको विश्वास नहीं दिला पाई। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में छह चुनावी सभाएंं हुईं इसमें कांग्रेस ने पांच न्याय और 25 गारंटियों को मतदाताओं तक पहुंचाने की कोशिश की लेकिन मुद्दे अधिक प्रभावी नहीं हो पाए। महिलाओं को एक लाख सालाना देने की घोषणा पर महिलाओं ने विश्वास नहीं किया।