महासमुंद में क्या इस बार पंजा कमल को दे पायेगा मात...?
प्रदेश में अब राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है जैसे जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आते जा रही है अब प्रत्याशी नामांकन के साथ शक्ति प्रदर्शन कर रहे है। यदि प्रदेश के महासमुंद लोकसभा सीट की बात की जाये तो यह छत्तीसगढ़ की राजनीति का एक बड़ा केंद्र रहा है. यहां से विद्याचरण शुक्ल 6 बार सांसद चुने गए. वो एक बार यहां से जनता दल की टिकट पर भी संसद पहुंचे हैं. विद्याचरण शुक्ल के भाई एवं अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे श्यामाचरण शुक्ल भी यहां से एक बार सांसद चुने गए हैं. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पहले सीएम रहे अजीत जोगी भी महासमुंद के सांसद रहे हैं. महासमुंद में 19 बार हुए लोकसभा चुनाव (उपचुनाव समेत) में कांग्रेस पार्टी ने 12 बार जीत दर्ज की है. कभी कांग्रेस का किला कहे जाने वाले महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में पिछले तीन बार से बीजेपी का कब्जा है. लेकिन उसके बाद साल 1998 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने कांग्रेस से ये सीट छीन ली. उसके बाद से बीजेपी यहां रेस में आ गई. हालांकि 1999 और 2004 में कांग्रेस की यहां पर जीत हुई. लेकिन उसके बाद से लगातार बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है. कांग्रेस इस सीट पर इस बार वापसी करने की कोशिश करेगी. बता दें कि महासमुंद से इस बार बीजेपी ने रुपकुमारी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि कांग्रेस ने पिछले कांगे्रस सरकार में मंत्री रहे ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है. रूपकुमारी चौधरी महासमुंद के बसना की रहने वाली हैं और वह यहां साल 2013 में विधायक भी रह चुकी हैं. महासमुंद लोकसभा सीट बीते तीन बार से बीजेपी के खाते में है. यहां साल 2009 से बीजेपी के उम्मीदवार जीत दर्ज करते आ रहे हैं. इस बार यहां बीजेपी ने महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने साहू वोट बैंक में सेंध लगाने के ख्याल से ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है. साहू वोट को देखते हुए कांग्रेस ने एक बार ताम्रध्वज साहू के उपर दांव खेला है।
प्रदेश में महासमुंद लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं. जिसमें सरायपाली (एससी सीट), बसना, खल्लारी, महासमुंद, राजिम, बिंद्रानवागढ़, कुरुद और धमतरी की सीटें शामिल हैं. इन सबमें बिंद्रानवागढ़ (एसटी) विधानसभा सीटें हैं. इस सीट पर स्थानीयता और जातिवाद का मुद्दा हमेशा हावी रहता है. महासमुंद जिले में तीन नगर पालिका परिषद, तीन नगर पंचायत और पांच ब्लॉक मुख्यालय है.
भाजपा जीती थी 2014 में
सन 2014 की लोकसभा चुनाव में महासमुंद सीट हाईप्रोफाईल सीट थी। क्योंकि उस चुनाव में चंदूलाल नाम के कई प्रत्याशी को चुनाव में उतारा गया था। उसके बाद भी कांगे्रस उस सीट पर विजय नहीं पा सकी और करारी हार का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां चंदूलाल साहू ने कांग्रेस पार्टी के अजीत जोगी को एक कड़े मुकाबले में लगभग 1,217 वोटों से हराया था. यहां तीसरे चौथे और पांचवे स्थान पर भी चंदूलाल साहू नाम के उम्मीदवार थे. तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय चंदूलाल साहू को 20255, चौथे स्थान के चंदूलाल साहू को 12308 और पांचवे स्थान पर रहे चंदूलाल साहू को 10979 वोट मिले थे. कहा जाता है कि अजीत जोगी ने सभी निर्दलीय चंदूलाल साहू को बीजेपी के चंदूलाल साहू को हराने के लिए मैदान में उतारा था.
2019 में भाजपा की तीसरी जीत
महासमुंद में भाजपा की तीसरी जीत शानदार रही। भाजपा के चुन्नी लाल साहू ने कांग्रेस पार्टी के धनेन्द्र साहू को 90,511 वोटों से हराया था. चुन्नी लाल साहू को जहां 616,580 वोट मिले वहीं कांग्रेस के धनेन्द्र साहू को 5,26,069 वोट, तीसरे स्थान पर रहे निर्दलीय देवेन्द्र सिंह ठाकुर को 43.06 प्रतिशत मत मिले थे. जबकि चौथे स्थान पर रहे बीएसपी प्रत्याशी धनसिंह कोसरिया को 11245 वोट मिले. तीसरे और चौथे स्थान पर रहे प्रत्याशी को नोटा 21241 से भी कम वोट मिले थे.