क्या कांकेर में वापस कांग्रेस अपना परचम लहरा पायेगा....! दिलचस्प होगा कांकेर का लोकसभा चुनाव - CGKIRAN

क्या कांकेर में वापस कांग्रेस अपना परचम लहरा पायेगा....! दिलचस्प होगा कांकेर का लोकसभा चुनाव

 


छत्तीसगढ़ के कांकेर लोकसभा का चुनाव बड़ा ही दिलचस्प रहा है जिला बनने के पहले यह कांग्रेस का गढ़ रहा है यहाँ से अरविंद नेताम 5 बार संसद रहे है. लेकिन जिला बनने के बाद इसे बीजेपी ने हथिया लिया है. 1998 में कांकेर के भाजपा उम्मीदवार सोहन पोटाई को  जीत मिली थी उसके बाद यह बीजेपी का गढ़ बन गया है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने मोहन मंडावी को प्रत्याशी बनाया. मोहन मंडावी ने कांग्रेस प्रत्याशी बीरेश ठाकुर को बड़े अंतर से हराया. इस साल भी बीजेपी ने इस सीट से प्रत्याशी बदल दिया है. बीजेपी ने इस बार कांकेर सीट से अंतागढ़ के पूर्व विधायक और धर्मांतरण विरोधी चेहरा भोजराज नाग को टिकट दिया है. वे पूर्व सरपंच, पूर्व जनपद अध्यक्ष रहने के साथ ही पूर्व विधायक भी रह चुके हैं.  पिछले पांच कार्यकाल से कांकेर लोकसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशियों का दबदबा रहा है. यही वजह है कि कांकेर सीट को बीजेपी का गढ़ कहा जाता है.  हालांकि हर चुनाव की तरह इस बार भी कांकेर लोकसभा क्षेत्र संवेदनशील होने की वजह से अतिरिक्त फोर्स की मांग की गई है. कई मतदान केंद्र तक जाने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लिया जाता है. कांकेर लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है. इस सीट पर 8 अप्रैल को नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख है. कांग्रेस ने इस सीट पर प्रत्याशी के नाम पर मुहर नहीं लगाई है, इसको लेकर दिल्ली मंथन का दौर जारी है.  कांकेर लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की 8 सीटें आती है, जिसमें से 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. वहीं तीन सीटों पर बीजेपी के कब्जे में है. इन विधानसभा सीटों में गुंडरदेही, संजारी बालोद, सिहावा (एसटी), डोंडी लोहारा (एसटी), अंतागढ़ (एसटी), भानुप्रतापपुर (एसटी), कांकेर (एसटी) और केशकाल (एसटी) शामिल हैं। 2023 में हुए विधानसभा चुनावों में कांकेर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी आशाराम नेताम की सबसे कम महज 16 वोटों से जीत हुई थी. 

बता दें की कांकेर पहले कांग्रेस का गढ़ रहा है, कांग्रेस के अरविंद नेताम यहां से पांच बार सांसद रहे। वे इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव सरकार में भी मंत्री रहे। उनके पिता विधायक थे। उन्होंने कभी लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में सोचा नहीं था लेकिन 1971 के दूसरे चुनाव में उन्हें कांग्रेस से टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की।वर्ष 1980 में अरविंद नेताम ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। फिर वे 1991 तक लगातार सांसद चुने गए। वहीं, 1996 में उनकी पत्नी छबीला नेताम भी कांग्रेस से ही सांसद बनीं। इसके बाद वर्ष-1998 से यह लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ बन गई है। जिसे कांग्रेस विगत छह चुनावों में भेद नहीं पाई है।


2014 में अंतागढ़ विधानसभा से जीता था उपचुनाव

भोजराज नाग साल 2014 में अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव बीजेपी से जीत हासिल कर विधायक बने थे. उन्होंने सरपंच पद से अपनी राजनीति की शुरूआत की थी. 1992 में वे अंतागढ़ के गांव हिमोड़ा से सरपंच बने थे. इसके बाद वे साल 2000 से लेकर 2005 तक जनपद पंचायत अंतागढ़ के अध्यक्ष पद पर रहे. इसके बाद साल 2009 से लेकर 2014 तक वे जिला पंचायत सदस्य भी बने. फिर 2014 में भोजराज नाग ने अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव में जीत हासिल की.


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