महासमुंद लोकसभा सीट - क्या इस बार पंजा कमल को देगा मात.... ?
महासमुंद लोकसभा सीट कई मायनों मे दिलचस्प किस्सों की गवाह रही है. इस सीट पर 12 बार कांग्रेस और 4 बार BJP का कब्जा रहा है. महासमुंद लोकसभा की सीट सबसे हाई-प्रोफाइल मानी जाती है। वैसे तो सीट पर कांग्रेस के कब्जे का इतिहास रहा है, लेकिन कांग्रेस के चक्रव्यूह को भाजपा ने भेदने में सफलता हासिल की।महासमुंद से ही कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ला ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। बतौर सांसद अपने नौ कार्यकाल में से विद्याचरण ने अपने पहले चुनाव समेत छह चुनाव महासमुंद से ही जीते। पिछले तीन चुनावों से तो भाजपा का ही कब्जा है। पूर्व मुख्यमंत्री भी यहां से भाग्य आजमाते रहे हैं. महासमुंद लोकसभा सीट बीते तीन बार से बीजेपी के खाते में है. यहां साल 2009 से बीजेपी के उम्मीदवार जीत दर्ज करते आ रहे हैं. इस बार यहां बीजेपी ने महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने साहू वोट बैंक में सेंध लगाने के ख्याल से ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है. महासमुंद लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी लोकसभा सीट है. इस क्षेत्र में कभी कांग्रेस का दबदबा था. लेकिन बीते डेढ़ दशक से बीजेपी ने यहां पर कब्जा जमा रखा है, बीते तीन लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां पर लगातार जीत दर्ज की है. कांग्रेस इस सीट पर इस बार वापसी करने की कोशिश करेगी. महासमुंद से इस बार बीजेपी ने रुपकुमारी चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि कांग्रेस ने ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है. रूपकुमारी चौधरी महासमुंद के बसना की रहने वाली हैं और वह यहां साल 2013 में विधायक भी रह चुकी हैं.
विद्याचरण 3 पार्टियों से लड़ चुके हैं चुनाव
महासमुंद लोकसभा सीट कई मायनों मे दिलचस्प किस्सों की गवाह रही है. केन्द्र में अनेकों बार वरिष्ठ मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल महासमुंद लोकसभा सीट से कांग्रेस , जनता दल एवं भाजपा प्रत्याशी रूप में किस्मत आजमाते रहे हैं. विद्याचरण शुक्ल 06 बार कांग्रेस से और 01 दफे जनता दल से चुनाव जीत कर महासमुंद से सांसद बने थे. इस लोकसभा सीट से अविभाजित मध्यप्रदेश के समय सन् 1991 एवं 1996 मे छत्तीसगढ़ के सुविख्यात संत कवि पवन दीवान ने कांग्रेस प्रत्याशी के रूप मे जीत हासिल की थी .
2014 के चुनाव में 11 चंदूलाल थे मैदान में
2014 का महासमुंद चुनाव देशभर में चर्चा का विषय रहा। प्रसिद्ध टीवी शो केबीसी में इस चुनाव से सवाल भी पूछे गए थे। चुनाव में भाजपा ने चंदूलाल साहू और कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को प्रत्याशी बनाया था। भाजपा प्रत्याशी का वोट काटने यहां हमनाम प्रत्याशी उतारे गए थे। भाजपा व निर्दलीय सहित आठ चंदूलाल जबकि तीन चंदूराम साहू थे। कुल 11 चंदू भैया मैदान में थे। इनमें से निर्दलीय ज्यादातर चंदू भैया राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं थे। कई के पास जमानत राशि जमा करने के भी पैसे नहीं थे। इस चुनाव में अजीत जोगी चुनाव हार गए थे। जबकि भाजपा के चंदूलाल साहू लगातार दूसरी बार विजयी रहे। इस चुनाव में कुल 38 उम्मीदवार थे।
महासमुंद सीट का संसदीय इतिहास
1952 में कांग्रेस के शिवदास डागा ने जीत दर्ज की.
1962 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल सांसद बने.
1967 में फिर कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल जीते.
1971 में कांग्रेस के कृष्णा अग्रवाल की जीत मिली.
1977 में बीएलडी के बृजलाल वर्मा को जीत मिली.
1980 में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल फिर सांसद बने.
1984 में कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल चौथी बार सांसद बने.
1989 में कांग्रेस से विद्याचरण शुक्ल पांचवी बास सांसद बने.
1991 में कांग्रेस के पवन दीवान जीते.
1996 में फिर कांग्रेस के पवन दीवान को जीत मिली.
1998 में बीजेपी के चंद्रशेखर साहू जीते.
1999 में कांग्रेस के श्यामा चरण शुक्ला की जीत हुई.
2004 में कांग्रेस के अजीत जोगी की जीत हुई.
2009 में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने जीत दर्ज की.
2014 में बीजेपी के चंदूलाल साहू ने दोबारा जीत दर्ज की.
2019 में बीजेपी के चुन्नीलाल साहू ने जीत हासिल की.
महासमुंद लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा सीटें: महासमुंद लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं. जिसमें सरायपाली (एससी सीट), बसना, खल्लारी, महासमुंद, राजिम, बिंद्रानवागढ़, कुरुद और धमतरी की सीटें शामिल हैं. इन सबमें बिंद्रानवागढ़ (एसटी) विधानसभा सीटें हैं. इस सीट पर स्थानीयता और जातिवाद का मुद्दा हमेशा हावी रहता है. महासमुंद जिले में तीन नगर पालिका परिषद, तीन नगर पंचायत और पांच ब्लॉक मुख्यालय है.
बीते तीन लोकसभा में महासमुंद का मतदान प्रतिशत
2009 लोकसभा चुनाव: 56.7 फीसदी मतदान
2014 लोकसभा चुनाव: 74:61 फीसदी वोटिंग
2019 लोकसभा चुनाव: 74:63 फीसदी मतदान