छत्तीसगढ़
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में अपने सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इसमे दुर्ग शहर का दबदबा रहा है. पहली सूची में 6 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया था. दूसरी सूची में 1 और तीसरी सूची में 4 प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के साथ ही सभी 11 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार अब चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस के 4 प्रत्याशी जो दुर्ग जिले से हैं उनमें देवेंद्र यादव भिलाई से विधायक हैं, उन्हें बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को महासमुंद से प्रत्याशी बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव से चुनाव मैदान में हैं, जबकि दुर्ग लोकसभा सीट से राजेंद्र साहू प्रत्याशी हैं। ये सभी नेता दुर्ग जिले से आते है. छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले को अक्सर सियासत का दुर्ग कहा जाता है। कांग्रेस ने हाल ही में अपने जो 4 लोकसभा प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है, उसने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। कांग्रेस ने इस चुनाव में दुर्ग के कई कद्दावर नेताओं पर दांव लगाया है। कांग्रेस और बीजेपी एस बार किसी भी हालत में चुनाव जितना चाह रहे है. कांग्रेस के दुर्ग जिले से प्रत्याशी उतारने पर बीजेपी जहां इसे लेकर तंज कर रही है तो वहीं कांग्रेस भी बीजेपी को आईना दिखा रही है। आखिर दुर्ग के नेताओं पर कांग्रेस और बीजेपी की इतनी निर्भरता क्यों हैं? और क्या राजनीति का केंद्र बिंदु दुर्ग है जहा से चंदूलाल चंद्राकर और मोतीलाल वोरा से लेकर भूपेश बघेल तक दुर्ग जिला प्रदेश की सियासत में दबदबा रहा है. कांग्रेस इसे भुनाने की कोशिश कर रहा है. कांग्रेस के प्रत्याशियों की लिस्ट पर नजर दौड़ाए तो यह बात चौकाती है की कांग्रेस ने 4 लोकसभा सीटों पर दुर्ग जिले के कद्दावर नेताओं पर भरोसा जताया है। यही वजह है कि सियासत के दुर्ग को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो चली है। बता दें की ऐसा पहली बार हो रहा है जब बीजेपी और कांग्रेस ने एक साथ 5 अलग-अलग सीटों पर दुर्ग के नेताओं पर भरोसा जताया हो। छत्तीसगढ़ की सियासत पर दुर्ग के नेताओं के दबदबे का क्या दूरगामी असर देखने को मिलता है। वहीँ बीजेपी भी इसमे पीछे नही है वह भी दुर्ग की कद्दावर नेता सरोज पांडेय को कोरबा से चुनाव लड़वा रही है।
कांग्रेस ने दुर्ग के नेताओ पर खेला दांव, क्या ये विधायक लगाएंगे बेड़ा पार ?
Thursday, March 28, 2024
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कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में अपने सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है. इसमे दुर्ग शहर का दबदबा रहा है. पहली सूची में 6 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया था. दूसरी सूची में 1 और तीसरी सूची में 4 प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के साथ ही सभी 11 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार अब चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस के 4 प्रत्याशी जो दुर्ग जिले से हैं उनमें देवेंद्र यादव भिलाई से विधायक हैं, उन्हें बिलासपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया है। वहीं पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू को महासमुंद से प्रत्याशी बनाया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव से चुनाव मैदान में हैं, जबकि दुर्ग लोकसभा सीट से राजेंद्र साहू प्रत्याशी हैं। ये सभी नेता दुर्ग जिले से आते है. छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले को अक्सर सियासत का दुर्ग कहा जाता है। कांग्रेस ने हाल ही में अपने जो 4 लोकसभा प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की है, उसने इस बात को सच साबित कर दिखाया है। कांग्रेस ने इस चुनाव में दुर्ग के कई कद्दावर नेताओं पर दांव लगाया है। कांग्रेस और बीजेपी एस बार किसी भी हालत में चुनाव जितना चाह रहे है. कांग्रेस के दुर्ग जिले से प्रत्याशी उतारने पर बीजेपी जहां इसे लेकर तंज कर रही है तो वहीं कांग्रेस भी बीजेपी को आईना दिखा रही है। आखिर दुर्ग के नेताओं पर कांग्रेस और बीजेपी की इतनी निर्भरता क्यों हैं? और क्या राजनीति का केंद्र बिंदु दुर्ग है जहा से चंदूलाल चंद्राकर और मोतीलाल वोरा से लेकर भूपेश बघेल तक दुर्ग जिला प्रदेश की सियासत में दबदबा रहा है. कांग्रेस इसे भुनाने की कोशिश कर रहा है. कांग्रेस के प्रत्याशियों की लिस्ट पर नजर दौड़ाए तो यह बात चौकाती है की कांग्रेस ने 4 लोकसभा सीटों पर दुर्ग जिले के कद्दावर नेताओं पर भरोसा जताया है। यही वजह है कि सियासत के दुर्ग को लेकर सियासी बयानबाजी भी तेज हो चली है। बता दें की ऐसा पहली बार हो रहा है जब बीजेपी और कांग्रेस ने एक साथ 5 अलग-अलग सीटों पर दुर्ग के नेताओं पर भरोसा जताया हो। छत्तीसगढ़ की सियासत पर दुर्ग के नेताओं के दबदबे का क्या दूरगामी असर देखने को मिलता है। वहीँ बीजेपी भी इसमे पीछे नही है वह भी दुर्ग की कद्दावर नेता सरोज पांडेय को कोरबा से चुनाव लड़वा रही है।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के लिए 1 मौजूदा सांसद सहित 3 विधायक और 3 पूर्व विधायक को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं 2019 में लोकसभा हारने वाले प्रत्याशी को भी दोबारा मौका दिया है. सिर्फ 3 सीटों पर नए चेहरे को पार्टी ने मौका दिया है. कांग्रेस में सबसे खास बात यह है कि एक ही जिले से 4 प्रत्याशी हैं. इनमें 3 प्रत्याशी ऐसे हैं, जिसे गृह क्षेत्र के बाहर भेजकर पार्टी चुनाव लड़ा रही है. अब देखना यह है की क्या ये नेता विधायक कांग्रेस को जितने में सक्षम होते है या फिर मोदी की गारेंटी के आगे ढेर हो जाते है.
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