बच्चो को मधुमेह/डायबिटीज का बढ़ता खतरा, इससे कैसे बचाएं......
आज कल मधुमेह या डायबिटीज का खतरा बढ़ते जा रहा है यह किसी भी उम्र के लोगो को अपना शिकार बनाते जा रहा है. बच्चे हो या बुजुर्ग सब इसकी चपेट में आते जा रहे है. पहले डायबिटीज शब्द सुनकर दिमाग मे ख्याल आता है कि यह सिर्फ व्यस्कों तथा बुजुर्गों में पायी जाने वाली बीमारी है किन्तु यह एक भ्रान्ति है. युवाओं के अलावा आजकल किशोरों तथा बच्चों में भी यह बीमारी पायी जाती है. आजकल की खराब जीवन शैली और खानपान में लापरवाही के चलते डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स को मेटाबलाइज करके ऊर्जा बनाने की क्षमता में कमी आ जाती है. मधुमेह या डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है. यह शरीर के मस्तिष्क समेत अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है. अनुसंधानकर्ता लंबे समय से उस लिंक की बात करते रहे हैं कि मधुमेह की वजह से कॉगनिटिव फंक्शन (संज्ञानात्मक कार्य) यानी डिमेंशिया हो सकता है. हाल ही में आए एक अध्ययन में बहुत हद तक इसकी पुष्टि की गई है. अब रिसर्च में दावा किया गया है कि डायबिटीज टाइप-2 और अल्जाइमर बीमारी में गहरा संबंध है. अगर आपको कम उम्र में डायबिटीज होता है, तो अल्जाइमर बीमारी से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार एक अध्ययन में पता चला है की अल्जाइमर के 81 फीसदी मरीजों में मधुमेह टाइप-2 के लक्षण पाए गए हैं. जानकारी के अनुसार टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय के प्रारंभिक निष्कर्ष में पाया गया है कि मधुमेह और अल्जाइमर रोग के लिंक की वजह एक प्रोटीन है, जो आंत में पाया जाता है. इस अध्ययन रिपोर्ट को अमेरिकन सोसायटी फॉर बायोकैमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में प्रस्तुत भी किया जा चुका है. शोधकर्ताओं ने अपने प्रयोगों में चूहों का उपयोग करके लिंक की जांच की. वैसे निष्कर्षों को अभी तक प्रकाशित नहीं किया गया है, और न ही सहकर्मी-समीक्षा की गई है.
इस बीमारी में देखने वाली सबसे बड़ी दिलचस्प बात यह है कि मधुमेह बीमारी जितनी कम उम्र में होगी, डिमेंशिया का खतरा उतना अधिक रहता है. इसकी व्याख्या बहुत साफ है, यदि ब्रेन को अधिक मात्रा में सुगर दिया जाता है, तो खतरा उतना अधिक बना रहता है. इसलिए कम उम्र में डायबिटिज है, तो डिमेंशिया का खतरा ज्यादा रहेगा. इससे यह पता चला है की जब ब्लड सुगर का लेवल ज्यादा होता है, तो यह ब्रेन के नर्व और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. याददाश्त कमजोर होने लगती है, मूड बदलने लगता है, आपका वजन भी बढ़ सकता है, हॉर्मोनल चेंजेज दिखने लगते हैं.
टाइप-2 डायबिटिज को कैसे खत्म करें-
सबसे पहले तो आपको मेडिसिन और इंसुलिन थेरेपी लेनी पड़ेगी. और आपको डाइट और एक्सरसाइज पर ध्यान देना होगा. हेल्दी खाना खाएं. रेगुलर एक्सरसाइज करें. ब्लड सुगर लेवल की जांच करते रहें. लाइफ स्टाइल में बदलाव करें. परिवार का सहयोग जरूरी है. बार-बार डॉक्टर से परामर्श प्राप्त करें.
टाइप 2 डायबिटीज से ऐसे बचें
सबसे पहले पौष्टिक आहार लें और अधिक चीनी व अत्यधिक कार्बोहाइड्रेटेड डाइट लेने से बचें. ध्यान रहे की बच्चों को शारीरिक रुप से सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करें, जैसे कि उन्हे रोजाना 1 घंटा खेल कूद, सायकल चलाना आदि गतिविधियां करवाएं, जिससे उनमें मोटापा न बढ़े. यदि बच्चे का वजन जल्दी बढ़ रहा है तो डॉक्टर की सलाह लें तथा डायटीशियन को भी दिखाऐं. इस प्रकार मोटापे से होने वाली टाइप-2 डायबिटीज से बचा जा सकता है.
बच्चों में मधुमेह के लक्षण-
खूब ज्यादा प्यास लगना तथा मुंह सूखना, चिड़चिड़ापन व थकान महसूस होना, अत्यधिक भूख लगना, वजन कम होना, बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में बार-बार उठकर पेशाब करना या बिस्तर गीला करना, बार-बार संक्रमण होना, चोट का जल्दी ठीक नहीं होना.
खाना में क्या खाए -
सबसे पहले तो आप कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें.
सेब- सेब में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है. इसके अतिरिक्त विटामिन भी उच्च मात्रा में होता है. इसमें वसा नहीं होता है.
बादाम- शरीर को अपने स्वयं के इंसुलिन का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद करता है. इसमें मैग्नीशियम होता है.
चिया सीड्स- प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर यह शरीर के वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं.
हल्दी - करक्यूमिन शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करने वाला माना जाता है.
अन्य उपयोगी खाद्य पदार्थ हैं -बीन्स, कैमोमाइल चाय, दलिया, ब्लूबेरी, लीन मांस और अंडे.
नारियल तेल, जैतून तेल और सरसों तेल जैसे स्वस्थ वसा का उपयोग करें.