अयोध्या में साकार हो रहा राम मंदिर निर्माण से नए स्वर्णिम युग की शुरुआत
लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण और उसमें प्राण प्रतिष्ठा का यह महान अवसर है तो उसके कार्यक्रम को ऐसा व्यापक स्वरूप देना ही चाहिए। राजनीतिक विरोध में कोई कुछ भी कहे यह स्वीकार करना होगा कि अगर पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार नहीं होती तो न अयोध्या का स्वरूप बदलता और न ही राम मंदिर का समयसीमा के अंदर निर्माण होता।
22 जनवरी 2024 का दिन इतिहास के ऐसे अध्याय में अंकित होने जा रहा है, जो सामान्यत: वर्तमान इतिहास लेखन की परंपरा से गायब है। इस दिन अयोध्या के श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी। इसमें सात हजार विशिष्ट श्रेणी के अतिथियों, लगभग चार हजार साधु-संतों, 50 देशों और सभी राज्यों से करीब 20 हजार लोगों के उपस्थित रहने की संभावना है। कुछ समय पहले तक सामान्य कस्बे की तरह दिखने वाले अयोध्या धर्मक्षेत्र में इतनी संख्या में अतिथि आ सकते हैं, इतना बड़ा समारोह हो सकता है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी। यह आमूल रूप से बदल चुकी अयोध्या का प्रमाण है। अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अत्यंत भव्य एवं विशाल रेलवे स्टेशन, इसी तरह चारों ओर की आधुनिक सड़कें किनके सपने में रहे होंगे? शहर में लगाए गए 25 राम स्तंभ, 40 सूर्य स्तंभ के साथ रामायण के 180 प्रसंगों के भित्ति चित्रों से सभी कारिडोर को सजाकर अयोध्या को उसका मूल सांस्कृतिक चरित्र देने की कोशिश की गई है।