छत्तीसगढ़ से भेजे गए चावल से बनेगा अयोध्या में भोग, भेजा गया तीन हजार कुंतल चावल
छत्तीसगढ़ के स्टेट राइस मिलर्स एसोसिएशन की तरफ से अयोध्या में चावल भेजा जा रहा है. इसपर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम विष्णु देव साय ने कहा, ''यह हमारे राज्य के लिए गर्व की बात है कि राज्य के 2500 राइस मिलर्स को अयोध्या में 3000 क्विंटल चावल आपूर्ति का अवसर मिला है. 11 ट्रक भेजे जा चुके हैं. भगवान राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ से अयोध्या के लिए तीन हजार कुंतल चावल भेजा गया है। 11 ट्रकों से चावल रवाना किया गया। सीएम विष्णुदेव साय ने हरी झंडी दिखाकर सभी ट्रकों को रवाना किया। छत्तीसगढ़ के सुगंधित बासमती चावल से अयोध्या का महाभंडारा महकेगा। महाभंडारे में प्रसाद के रूप में चावल बांटा जाएगा। दरअसल छत्तीसगढ़ माता कौशल्या का मायका और भगवान राम का ननिहाल है।
छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को मानते हैं भांजा
छत्तीसगढ़ में सिर्फ भगवान राम को पूजते ही नहीं है बल्कि प्रदेश के लोग उन्हें अपना भांजा भी मानते हैं। यहीं वजह है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे चंदखुरी में सफेद कमल खिले तालाब के बीचों बीच माता कौशल्या का भव्य मंदिर है। इसे 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। त्रेता युग में इसे कौशलपुर नगरी के नाम से पुकारा जाता था।
यह हमारे लिए सौभाग्य की बात- सीएम साय
सीएम साय ने कार्यक्रम से जुड़ी तस्वीरें शेयर करते हुए ट्वीट किया, ''भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में तन-मन और धन समर्पित करने का भाव संजोए छत्तीसगढ़. आज वीआईपी रोड, रायपुर स्थित श्रीराम मंदिर में प्रभु श्रीराम जी के प्राण प्रतिष्ठा समारोह हेतु अर्पित चावल को लेकर अयोध्या जाने वाली ट्रकों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. छत्तीसगढ़ राइस मिलर्स के साथियों का इस पुनीत कार्य के लिए हृदय से धन्यवाद. हम सबका सौभाग्य है कि आगामी जनवरी माह में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बनने वाला भोग और भंडारा भगवान श्री राम जी के ननिहाल से भेजे गए 11 ट्रकों से भरे 300 मीट्रिक टन सुगंधित चावल से बनेगा.''
माता कौशल्या का मायका है छत्तीसगढ़
पुराणों के मुताबिक, भगवान राम की माता कौशल्या का जन्म स्थान छत्तीसगढ़ है। यह उनका मायका है। भगवान राम का ननिहाल है। चंदखुरी में बने भव्य मंदिर में माता कौशल्या की गोद में भगवान राम बैठे हुए दिखाई देते हैं। इसी जगह को भगवान राम का ननिहाल कहते हैं। भूपेश सरकार में राम वनगमन पथ के तहत इस मंदिर का भव्य निर्माण किया गया है। अभी भी पथ का निर्माण कार्य चल रहा है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम जब वनवास पर निकले थे तो यही से उन्होंने दक्षिण भारत की यात्रा की शुरुआत की थी।