क्या महादेव एप बदल देगा छत्तीसगढ़ में चुनावी समीकरण....?, दूसरी ओर टीएस सिंह देव के बयान ने मचाई खलबली - CGKIRAN

क्या महादेव एप बदल देगा छत्तीसगढ़ में चुनावी समीकरण....?, दूसरी ओर टीएस सिंह देव के बयान ने मचाई खलबली


छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों का मतदान सफलतापूर्वक संपन्न हो गया है. अब छत्तीसगढ़ के प्रमुख दलों सहित जनता को इंतजार है नतीजों का. इस बार कांग्रेस सत्ता में दोबारा आएगी या फिर बीजेपी सत्ता की कमान संभालेगी, ये तो 3 दिसंबर को पता चलेगा लेकिन इससे पहले कांग्रेस में सीएम पद के लिए मांग उठनी शुरू हो गई है.  बता दें छत्तीसगढ़ में एक बार फिर सीएम फेस को लेकर घमासान मचा हुआ है। अब लोग ये पूछने लगे हैं कि इस बार कका या बाबा? तीन महीने पहले तक कांग्रेस तीनों राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में जीत रही थी। यह ओपिनियन पोल बता रहे थे। कांग्रेस ने इन्हीं ओपिनियन पोल को देख कर अखिलेश, केजरीवाल और नीतीश को भाव नहीं दिया। और उसके साथ गठबंधन नही किया, जबकि अब ओपिनियन पोल बदल चुके हैं। नए ओपिनियन पोल में भाजपा मध्यप्रदेश और राजस्थान जीत रही है। जबकि छत्तीसगढ़ में महादेव एप ने मुकाबला कड़ा कर दिया। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में मतदान हो चुका है। प्रधानमंत्री ने मतदान से एक दिन पहले ही राजस्थान में अपने चुनावी भाषण में इन दोनों राज्यों में जीत का दावा कर दिया। उन्होंने तो मुख्यमंत्री बघेल के हारने की भविष्यवाणी भी कर दी है। बघेल अपने चचेरे भाई विजय बघेल और अमित जोगी के साथ तिकोने मुकाबले में गए थे। अमित जोगी कांग्रेस के वोट काट कर विजय बघेल का रास्ता खोल रहे थे। छत्तीसगढ़ में पिछली बार कांग्रेस की जीत और भाजपा की हार में सरगुजा की बहुत भूमिका थी। यह टीएस सिंहदेव का इलाका है। उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी। इसलिए 2018 में सरगुजा की सभी 17 सीटें कांग्रेस जीत गई थी। अब सरगुजा कांग्रेस के हाथ से खिसकता दिख रहा है, क्योंकि सोनिया गांधी ने वायदा करके भी उन्हें ढाई साल बाद सीएम नहीं बनाया। मोदी ने चुनाव से दो दिन पहले यह कह कर आग में घी डाल दिया कि बघेल ने दस जनपथ में पैसे पहुंचा दिए थे। इसलिए टीएस सिंहदेव सीएम नहीं बन पाए। अब टीएस सिंहदेव खुद कह रहे हैं कि 17 में से सात-आठ सीटें जीत लेंगे। कुल मिलाकर इन सब बातों से जिस छत्तीसगढ़ को कांग्रेस का सुरक्षित किला बताया जा रहा था। उस छत्तीसगढ़ में भाजपा ने कांग्रेस को कड़ा मुकाबला दिया है। दूसरी ओर टीएस सिंह देव ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर वो मुख्यमंत्री नहीं बने तो चुनाव ही नहीं लड़ेंगे. इससे मौजूदा सीएम भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने की राह आसान होती तो नहीं दिख रही. टीएस सिंह देव का कहना है कि मुख्यमंत्री बनने के लिए यह उनका आखिरी मौका है. अगर ऐसा नहीं होता है तो आगे चुनाव लड़ने का कोई औचित्य नहीं है और न ही वो लड़ेंगे. मतदाता जो भी जिम्मेदारी देंगे, वह निभाने के लिए तैयार हैं. 

मध्यप्रदेश जहां पिछली बार आधा प्रतिशत कम वोट के बावजूद भी भाजपा की सीटें कांग्रेस से पांच कम रह गई थी, वहां आधा प्रतिशत वोटिंग ज्यादा हुई है। छत्तीसगढ़ जहां पिछली बार भारी बहुमत से कांग्रेस ने भाजपा से सत्ता छिनी थी, जहां वोटिंग पौन प्रतिशत कम हुई है। ये आंकड़े और कुछ दिखाए या न दिखाएं, इतना संकेत जरुर देते हैं कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का पलड़ा भारी है और मध्यप्रदेश में कांटे की टक्कर है।

शनिवार को दिनभर सबसे ज्यादा चर्चा पाटन विधानसभा को लेकर होती रही। पाटन पर पूरे देश की नजर है। यहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस से तो भाजपा से दुर्ग सांसद के बीच मुकाबला हुआ। हालांकि दोनों दल अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। पाटन को लेकर सट्टा बाजार बेहद गर्म है। दूसरा सबसे बड़ा मुकाबला दुर्ग ग्रामीण को माना जा रहा है। यहां से गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का मुकाबला भाजपा के ललित चंद्राकर से है। चुनाव के पहले भाजपा प्रत्याशी ललित चंद्राकर को गृहमंत्री के सामने कमजोर प्रत्याशी माना जा रहा था। तीसरा बड़ा मुकाबला भिलाई नगर में हुआ। जहां से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर भाजपा के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पाण्डेय और कांग्रेस के विधायक व युवा नेता देवेंद्र यादव आमने-सामने थे। दोनों के बीच कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है। दुर्ग शहर का भी मुकाबला दिलचस्प रहा। जहां से कांग्रेस के अरुण वोरा व भाजपा के गजेंद्र यादव के बीच सीधा मुकाबला हुआ। चर्चा में यह भी कांटे की टक्कर बताई जा रही है। ऐन वक्त पर कमजोर समझे जा रहे भाजपा प्रत्याशी ने जिस तरह से वापसी की, उसने मुकाबले को रोचक बना दिया है।

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