मतदान के बाद जीत-हार पर सट्टा बाजार गर्म, चौक-चौराहों पर चुनाव की हो रही चर्चा
छत्तीसगढ़ का विधानसभा चुनाव खत्म हो गया हैं, लेकिन चुनाव को लेकर चर्चा और अटकलों का दौर जारी है. मिली जानकारी के अनुसार चुनाव के बाद कई जगह सटोरिए भी सक्रिय हो गए हैं. चुनावी सीजन में सट्टा बाजार गर्म है। पहले टिकट वितरण को लेकर लाखों का सट्टा चला। अब ईवीएम पर कैद भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के जीत-हार पर सट्टा लगना शुरू हो चुका है। विधानसभा मतदान के बाद अब जीत-हार के कयास लगने शुरू हो गए हैं और इसके साथ ही प्रत्याशियों पर दांव भी लगने लगे हैं. चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार व राजनीतिक दल अपने समर्थकों से क्षेत्रवार मतदान व वोटों के आंकड़ों को जुटाने में लग गए हैं, तो कहीं धोखे व पाला बदलने की भी खबरें सामने आ रही है. मतदान के तीसरे दिन हालांकि सभी की जुबां पर चुनाव की चर्चा है. कौन जीतेगा, कौन हारेगा और कौन रहेगा दूसरे नम्बर पर, किसका दबदबा रहेगा तथा जीत-हार में कितना अंतर होगा. प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी तथा किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी, इस पर भी सटोरिए मोल-भाव कर रहे हैं. सटोरियों के द्वारा लाखों का दांव स्थानीय प्रत्याशियों की हार-जीत पर नहीं, बल्कि प्रदेश में सरकार बनने और किस पार्टी की कितनी सीटें आ रही हैं इस पर लग रहा है. जानकारी यह भी मिली है की जीतने वाले प्रत्याशियों के ऊपर दांव के तीन गुना भाव है। ऐसे में सटोरिए सक्रिय हैं। वहीं हारने वाले प्रत्याशियों पर भी दांव लग रहा हैं।
शहर हो या गाँव सभी जगहों पर होटल, पान दुकान, सार्वजनिक चौक- चौराहों, चाय की टपरियों में अब पार्टियों के कार्यकर्ता के साथ-साथ चुनाव में दिलचस्पी रखने वाले लोग भी अपने-अपने आंकड़े बताकर जीत का दावा-प्रतिदावा कर रहे हैं. जीत-हार के दावों के बीच अब कोई शर्त लगाने की भी चुनौती दे रहा है. एक ओर कांग्रेस के समर्थक जीत के आंकड़े गिना रहे हैं तो दूसरी ओर बीजेपी के समर्थक केंद्र सरकार की योजनाओं के बल पर जीत के लिए आश्वस्त हैं. वहीं राजनीतिक पंडित भी अपना गुणा-भाग कर चुनावों के परिणाम निकालने लगे हैं और जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा, इस पर भी हर घंटे लोगों के दावे बदलने लगे हैं. दूसरी ओर मतदाताओं की चुप्पी ने भी प्रत्याशियों व राजनीतिक दलों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
विधानसभा चुनाव में भारी मतदान से राजनीतिक गलियारों की चर्चाएं तो गर्म है हीं, वहीं जोड़-घटाओ लगाने वाले राजनीतिक पंडित भी पेशो पेश में हैं. हालांकि राजनीति का यह ऊंट किस करवट बैठेगा, यह तो तीन दिसम्बर को ही पता चलेगा, लेकिन इतना तय है कि 80 प्रतिशत से ऊपर हुए मतदान से कईयों के समीकरण बनने बिगड़ने लगे हैं. अपने-अपने दावे व प्रति दावों के बीच दोनों ही राजनीतिक दल भारी मतदान को अपने पक्ष में बता रहे हैं. जहां प्रमुख कांग्रेस पार्टी से सरकार की योजनाओं व विकास कार्यों से जोड़ कर देख रही हैं, तो भाजपा इसे बदलाव का संकेत मान रही है.
सूत्रों के अनुसार सरगुजा के सूरजपुर शहर में बाजियों और सट्टेबाजों में सर्वाधिक प्रतिष्ठापूर्ण सीटें अंबिकापुर से टीएस सिंहदेव, सीतापुर से अमरजीत भगत व भरतपुर-सोनहत से रेणुका सिंह की है. इन तीनों सीटों पर सर्वाधिक चर्चाओं का दौर है साथ ही इन पर दांव भी लगाने के लिए लोग अपने-अपने दावों के बीच आतुर हैं. इन तीनों सीटों को लेकर जिला मुख्यालय का सट्टा बाजार भी गर्म है. वहीं उप मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री व खाद्य मंत्री की प्रतिष्ठा भी इन सीटों से जुड़ी हुई है. इधर कुछ सटोरियों की मानें, तो धमतरी और कुरूद विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों पर सबसे ज्यादा सट्टा लग रहा है। जीतने वाले प्रत्याशियों के लिए तीन गुना भाव है, जबकि हारने वाले प्रत्याशियों पर कम है।