पाटन में बघेल बनाम बघेल, हर किसी की जुबान पर आखिर क्या होगा........? - CGKIRAN

पाटन में बघेल बनाम बघेल, हर किसी की जुबान पर आखिर क्या होगा........?


छत्तीसगढ़ की सबसे हाई प्रोफाइल सीट में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने उनके सांसद भतीजे विजय बघेल आमने-सामने हैं। छत्तीसगढ़ के मध्य प्रदेश से अलग होने से पहले, भूपेश बघेल 1993 से पाटन निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे। हालाँकि, 2008 में उन्हें उनके भतीजे विजय बघेल ने हरा दिया था। तब से, पाटन एक प्रमुख राजनीतिक युद्ध का मैदान बन गया है। पिछले चुनाव में, बघेल ने यहां जीत हासिल की और बाद में मुख्यमंत्री बने। दोनों कुर्मी जाति से हैं. कुर्मी राज्य में एक प्रभावशाली ओबीसी समुदाय है, जिसकी इस निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी आबादी है. दुर्ग जिले का पाटन, ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र की सीमा राजधानी रायपुर से लगती है. यहां कुर्मी और साहू समुदाय के वोटर सबसे ज्यादा हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही उम्मीदवार कुर्मी समुदाय से हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। पाटन विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दो पिछड़े वर्ग के नेताओं के बीच प्रभुत्व का निर्धारण करेगा। विश्लेषकों का कहना है कि कुर्मी और साहू समुदायों के मतदाताओं के वर्चस्व वाले पाटन विधानसभा क्षेत्र के चुनाव परिणाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की संभावना है। राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि आगामी चुनावों में, जाति जनगणना एक महत्वपूर्ण कारक होगी - जिसके बारे में बघेल को जानकारी है और वह इसे ध्यान में रखेंगे। इस बीच, बीजेपी ने अभी तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सीट पाटन पर मुकाबला दिलचस्प है. बीजेपी ने भूपेश बघेल के रिश्तेदार विजय बघेल को उतारा है तो पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे और जेजेसीजे प्रमुख अमित जोगी ने भी बघेल के खिलाफ चुनाव लड़ रहे है. तीन बड़े नेताओं के मैदान में आने से मुकाबला रोचक हो गया है. विजय बघेल दुर्ग से बीजेपी के सांसद हैं. इससे पहले भी कई बार विजय बघेल और भूपेश बघेल इस सीट से एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. साल 2008 में तो भूपेश बघेल अपने रिश्तेदार विजय बघेल से चुनाव हार गए थे.  बघेल बनाम बघेल की चुनावी भिड़ंत का गवाह बनी इस सीट पर छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरे देश की नजरें अगर लगी हैं तो इसीलिए कि यहां से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांग्रेस प्रत्याशी हैं और उन्हें चुनौती देने या कहें कि घेरने के लिए भाजपा ने उनके भतीजे और दुर्ग से सांसद विजय बघेल को चुनावी मैदान में उतारा है। विजय बघेल उम्र में भूपेश से दो साल बड़े हैं, लेकिन लगते भतीजे हैं। इसलिए यह सवाल हर किसी की जुबान पर है कि पाटन का क्या होगा नतीजा चाचा या भतीजा।

पाटन में ऐसे घरो की कमी नहीं जहां दोनों प्रत्याशियों के समर्थन का आभास होता है। माहौल में गर्मी कोई भी महसूस कर सकता है। यह गर्मी भूपेश बघेल और विजय बघेल के सार्वजनिक संबोधनों में भी दिखती है। दोनों का दावा है कि चुनाव वे नहीं, बल्कि क्षेत्र की जनता लड़ रही है। वैसे तो इस सीट पर छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के अमित जोगी भी मुकाबले में हैं और इस आधार पर मुकाबला त्रिकोणीय भी कहा जा रहा है।

भाजपा और कांग्रेस में सीधी भिड़ंत

भूपेश यहां से 1993, 1998, 2003, 2013 और 2018 में जीत चुके हैं, जबकि विजय बघेल को 2008 में सफलता मिली थी। पिछली बार उन्होंने भाजपा के मोतीलाल साहू को लगभग 25 हजार वोट से हराया था। छह में से पांच का स्ट्राइक रेट होने के बावजूद अगर इस बार भूपेश बघेल को प्रचार के दौरान आम लोगों के साथ नाई की दुकान में हजामत बनवाने के लिए आना पड़ा है तो लोग अंदाज लगा रहे हैं कि भतीजे के साथ लड़ाई चाचा के लिए इतनी आसान भी नहीं है। यह वह सीट है जो दुर्ग संभाग की बीस सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में सीधी भिड़ंत है और पाटन इस क्षेत्र की धुरी है। यहां मतदान तक जो माहौल बनेगा, वह पूरे संभाग के लिए निर्णायक हो सकता है।


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