अंबिकापुर विधानसभा सीट से राजेश अग्रवाल टीएस सिंहदेव आमने-सामने, कभी टीएस सिंह देव के करीबी थे राजेश अग्रवाल
छत्तीसगढ़ में पाटन के बाद दूसरी सबसे हाई प्रोफाइल सीट अंबिकापुर में भाजपा की टिकट का सस्पेंस आखिरकार समाप्त हो गया. डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के कब्जे वाली इस सीट से बीजेपी ने राजेश अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. अब प्रदेश के डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और बीजेपी के राजेश अग्रवाल के बीच सीधा मुकाबला होगा. काफी माथापच्ची के बाद बीजेपी आलाकमान ने प्रदेश की दूसरी हाईप्रोफाइल सीट के लिए उम्मीदवार का चयन कर लिया है | सरगुजा संभाग की 14 में से 14 सीट वर्ष 2018 में जीतने वाली कांग्रेस के लिए इस बार काफी चुनौती है अंबिकापुर विधानसभा का राजनीतिक इतिहास वर्षों से कांग्रेस के पक्ष में रहा है. 2003 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो अंबिकापुर विधानसभा हमेशा से कांग्रेस के कब्जे में रहा है. 2003 में परिसीमन के पहले आरक्षित रही अंबिकापुर सीट में भाजपा के कमलभान सिंह ने कमल खिलाया था. उसके बाद 2008 में परिसीमन के बाद अम्बिकापुर सीट सामान्य सीट हो गई और 2008 फिर 2013 और 2018 में इस सीट से लगातार तीन बार कांग्रेस के टीएस सिंहदेव विधायक के रूप में चुने जा रहे हैं. ऐसे में बीजेपी ने विधानसभा के कांग्रेसी बेल्ट से आने वाले राजेश अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. राजेश अग्रवाल बीजेपी में आने के पहले कांग्रेस में रहते हुए टी एस सिंहदेव के करीबी माने जाते थे और क्षेत्र में वो टी एस सिंहदेव का राजनीतिक चाल को भली भांति समझते हैं. ऐसे में राजेश अग्रवाल पर भाजपा ने दांव खेला है. पर देखना होगा कि कांग्रेस के फेवर वाली अंबिकापुर विधानसभा में राजेश अग्रवाल, टीएस सिंहदेव के सामने कैसी चुनौती पेश करते हैं.
अंबिकापुर सीट खास है कि यहां से बीजपी ने एक ऐसे चेहरे पर दांव खेला है जो डेढ़ साल पहले तक न सिर्फ कांग्रेस में सक्रिय था, बल्कि डिप्टी सीएम व अंबिकापुर से कांग्रेस प्रत्याशी टीएस सिंहदेव के बेहद करीबी भी माने जाते रहे हैं. बीजेपी ने यहां से जो दांव खेला है, उससे न सिर्फ कांग्रेस और राजनीतिक के जानकारों को हैरत में डाला है, बल्कि स्थानीय स्तर के बीजेपी नेता भी अचंभित रह गए हैं. वजह यही है कि राजेश अग्रवाल सिंहदेव के बेहद करीबी रहे हैं और कांग्रेस में भी उनकी सक्रियता बनी हुई थी. करीब डेढ़ साल पहले उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. अब अचानक उन्हें सिंहदेव के खिलाफ ही चुनाव मैदान में उतार दिया गया है.
कौन हैं राजेश अग्रवाल ?
2009 में लखनपुर नगर पंचायत अध्यक्ष बनने वाले राजेश अग्रवाल के पिता चांदीराम अग्रवाल बीजेपी के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के सक्रिय कार्यकर्ता रहे थे. वहीं उनके चाचा कैलाश अग्रवाल कांग्रेसी थे. 2014 में कांग्रेस के समर्थन से वे एक बार नगर पंचायत अध्यक्ष बने. फिर 2017 में उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली. इस दौरान वे टीएस सिंहदेव के करीबियों में से एक माने जाते रहे. हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता से त्यागपत्र देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी.